दरअसल उन्होंने कांग्रेस के तेवरों से क्घुद को किनारा किया है। उन्होंने हिंडनबर्ग विवाद पर अब कहा है कि अडानी को इसमें टारगेट किया जा रहा है। अडानी ग्रुप के मामले में JPC जांच कराने की मांग का राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार ने अब तक समर्थन नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि, “JPC की मांग हमारे सभी साथियों ने की, ये बात सच है मगर हमें लगता है कि JPC में 21 में से 15 सदस्य सत्ताधारी पार्टी के होंगे। यहां ज्यादातर लोग सत्ताधारी पार्टी के हों वहां देश के सामने सच्चाई कहां तक आएगी। एक जमाना ऐसा था जब सत्ताधारी पार्टी की आलोचना करनी होती थी तो हम टाटा-बिड़ला का नाम लेते थे। टाटा का देश में योगदान है। आजकल अंबानी-अडानी का नाम लेते हैं, उनका देश में क्या योगदान है, इस बारे में सोचने की आवश्यकता है।”
दरअसल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार ने अडाणी-हिंडनबर्ग केस में विपक्ष की JPC (जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी) की मांग को बेकार बताया है। एक निजी मीडिया चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में पवार ने कहा कि, JPC में सत्तारूढ़ पार्टी का बहुमत होता है। उससे सच्चाई सामने नहीं आ पाती है। इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ही एक सही और सटीक विकल्प है।
उधर, अब खुद कांग्रेस ने भी शरद पवार के बयान से खुद को अलग कर लिया। मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा, “ये उनके अपने विचार हो सकते हैं, लेकिन 19 पार्टियां इस पर एकमत हैं कि PM मोदी से जुड़े अडाणी ग्रुप का मुद्दा बहुत ही गंभीर है।”
शरद पवार क्या करने वाले हैं कोई नया कमाल
अब जबकि ऐसे समय में जहां देश की तमाम विपक्षी पार्टियां गौतम अडानी के मुद्दे पर BJP और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश कर रही हैं। वहीं शरद पवार के इस नए रुख ने सभी को विस्मित कर दिया है। लेकिन इसके पीछे शरद पवार की असल चाल क्या होगी, यह तो वक़्त बताएगा। लेकिन इतना तय है कि, शरद पवार के इस नए कदम से महाराष्ट्र के साथ साथ राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक समीकरणों में भी कोई अलग परिणाम देखने को अवश्य मिलेगा।






