दुनिया को टेंशन में देख RBI घबराई, नहीं कम होगी आपकी ईएमआई?

0
RBI

5 अप्रैल को, आरबीआई की एमपीसी ने लगातार सातवीं बैठक में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया. केंद्रीय बैंक ने मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रेपो रेट को कुल 250 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया था. जिसके बाद बाद रेपो रेट 6.50 फीसदी हो गया था.

अगर आप ये सोच रहे हैं तो कि इस साल के अंत तक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ब्याज दरों में कटौती करने की तैयारी कर रही है. तो भूल जाइए. जो रिपोर्ट सामने निकल आ रही है वो ये है कि मौजूदा साल तो क्या करंट फाइनेंशियल ईयर में भी आरबीआई ब्याज दरों में कटौती नहीं करने जा रहा है. मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की मजबूत इकोनॉमिक ग्रोथ और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की पॉलिसी डायरेक्शन में बदलाव को देखते हुए रिजर्व बैंक चालू वित्तीय वर्ष में ब्याज दरें कम करने की संभावना नहीं है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर मोगर्न स्टेनली ऐसा क्यों कह रहा है?

ईएमआई में राहत की कोई संभावना नहीं

मॉर्गन स्टेनली की इकोनॉमिस्ट उपासना चाचरा और बानी गंभीर ने मंगलवार अपने एक नोट में कहा कि हमारा मानना है कि प्रोडक्टीविटी ग्रोथ में सुधार, इंवेस्टमेंट रेट में इजाफा लगातार देखने को मिल रहा है. दूसरी ओर अमेरिकी फेड भी अभी ब्याज दरों में कटौती नहीं करने जा रहा है. साथ ही आने वाले महीने में महंगाई दर 4 फीसदी के टारगेट से ऊपर रहने की संभावना है. इसका मतलब है कि ब्याज दरों के भी हाई रहने की उम्मीद है.

दोनों इकोनॉमिस्ट ने उम्मीद जताई है कि​ वित्त वर्ष 2025 में पॉलिसी रेट में राहत की कोई संभावना नहीं है. उनका अनुमान है कि आरबीआई अपने रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर स्टेबल रखेगा. 5 अप्रैल को, आरबीआई की एमपीसी ने लगातार सातवीं बैठक में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया. केंद्रीय बैंक ने मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रेपो रेट को कुल 250 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया था. जिसके बाद बाद रेपो रेट 6.50 फीसदी हो गया था.

अमेरिकी बैंक भी पॉलिसी की दिशा

वहीं दूसरी ओर अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेड रिजर्व भी अपनी पॉलिसी ​रेट की दिशा में बदलाव कर रहा है. पहले कहा जा रहा था कि जून के महीने में ब्याज दरों में कटौती देखने को मिलेगी. लेकिन ऐसा नहीं होने जा रहा है. अमेरिका में पहला रेट कट जुलाई में देखने को मिल सकता है. पहले ये कहा गया था कि साल भर में 4 रेट कट होंगे, लेकिन इसे घटाकर अब तीन कर दिया गया है. वहीं अमेरिकी फेड ने साल 2025 में 300 बेसिस प्वाइंट रेट कट का टारगेट रखा था. जिसे कम कर 1.75 फीसदी कर दिया है. इन तमाम बातों का यही मतलब है कि फेड रिजर्व भी महंगाई से ले​कर जियो पॉलिटिकल टेंशन को लंबे समय तक के लिए महसूस कर रहा है.

डॉलर के मुकाबले रुपए में कमजोरी

मॉर्गन स्टेनली के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि वास्तव में, अमेरिकी डॉलर में मजबूती के साथ हाई फेड रेट की वजह से आरबीआई सतर्क रुख अपना सकता है. विश्लेषकों ने कहा कि कैपेक्स और प्रोडक्टीविटी की वजह से मजबूत होता ग्रोथ रेट इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि ब्याज दरें लंबे समय तक के लिए हाई रह सकती है. मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, डॉलर में मजबूती से रुपए पर अधिक असर देखने को मिल सकता है. इंपोर्टिड सामानों के महंगे होने का अनुमान है.

0 0 votes
Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments