यूक्रेन में रूसी ‘T-72’ टैंकों का हाल देख सेना लाएगी ‘महाबली’, लड़ेगा भविष्य का युद्ध, प्लान समझिए

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यूक्रेन में रूसी 'T-72' टैंकों का हाल देख सेना लाएगी 'महाबली', लड़ेगा भविष्य का युद्ध, प्लान समझिए
यूक्रेन में रूसी 'T-72' टैंकों का हाल देख सेना लाएगी 'महाबली', लड़ेगा भविष्य का युद्ध, प्लान समझिए

नई दिल्ली, 19 फरवरी (The News Air) भारतीय सेना आने वाले कुछ सालों में अत्याधुनिक हथियारों और तकनीकों से अपग्रेड होने वाली है। सेना ने टैंकों के खात्मे वाली खबरों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने वाला बताते हुए कहा कि 12 लाख सैनिकों की क्षमता वाली सेना खुद को और मजबूत कर रही है। इसके लिए अत्याधुनिक साजो-समान और तकनीक की तैयारी की जा रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यूक्रेन युद्ध में रूसी टैकों की ड्रोन और एंटी टैंक मिसाइल, अत्याधुनिक नेक्स्ट जेनरेशन लाइट एंटी टैंक हथियार के जरिए हुआ नुकसान खराब रणनीति के कारण हुआ था। भारतीय सेना अब इन चीजों से सीख लेकर एक महाबली युद्धक वाहन खरीदने की तैयारी में है।

रूस में टी-72 का क्यों हुआ बुरा हाल? : उन्होंने बताया कि रूस ने टैंकों को बिना पर्याप्त सप्लाई व्यवस्था के तैनात किया। मतलब, जरूरी सामान और ईंधन पहुंचाने की योजना ठीक नहीं थी।
टैंकों के साथ पर्याप्त पैदल सैनिक, तोपखाना, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण और हवाई मदद नहीं थी। यानी टैंकों को अकेला छोड़ दिया गया, जिससे दुश्मनों को उन पर हमला करना आसान हो गया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि महत्वपूर्ण संयुक्त सैन्य अभियान वाली रणनीति गायब थी। उन्होंने आगे कहा कि टैंक आक्रामक और रक्षात्मक दोनों तरह के कार्यों के लिए प्रासंगिक हैं। बड़े युद्धों में गतिशीलता, मारक क्षमता और सुरक्षा के मामले में टैंकों का कोई विकल्प नहीं है।

फ्यूचर के युद्ध को लेकर हो रही है तैयारी : उन्होंने बताया कि हमारे भविष्य के टैंक प्रोजेक्टों को हवाई खतरों के साथ ही साथ बेहतर कनेक्टिविटी के साथ अत्यधिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है। जरूरी सुरक्षा उपाय जैसे ड्रोन से बचाव, न सिर्फ एक-एक टैंक को बल्कि पूरे दल को भी सुरक्षित रखेंगे। भारतीय सेना पुराने रूसी T-72 टैंकों को बदलने के लिए भविष्य की जंगों के लिए तैयार 1,770 लड़ाकू वाहनों (FRCV) बनाने की बड़ी योजना बना रही है। इस करीब 57,000 करोड़ रुपये की परियोजना के लिए विभिन्न कंपनियों से प्रस्ताव लेने की प्रक्रिया (RFP) इसी साल शुरू होने वाली है। ये नए वाहन 2030 से सेना में शामिल हो जाएंगे और पुराने टैंकों की जगह लेंगे।

AI तकनीक का भी होगा भरपूर इस्तेमाल : एक अधिकारी ने बताया कि भविष्य के लड़ाकू वाहनों (FRCV) में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ड्रोन इंटीग्रेशन, एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम जैसी अत्याधुनिक तकनीकें होंगी। भारतीय सेना इस साल स्वदेशी अर्जुन मार्क-1ए टैंकों में से पहले पांच टैंकों को अपनी सेना में शामिल करेगी। सितंबर 2021 में 7,523 करोड़ रुपये में ऑर्डर किए गए इन टैंकों में मारक क्षमता, गतिशीलता, टिकाउपन और सुरक्षा बढ़ाने के लिए 14 बड़े और 57 छोटे अपडेट किए गए हैं। ये 118 बेहतर टैंक एक दशक से भी अधिक समय पहले शामिल किए गए पहले 124 अर्जुन टैंकों में शामिल हो जाएंगे।

चीन पर भी नजर : उन्होंने बताया कि इसके अलावा, ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्रों के लिए 354 स्वदेशी हल्के टैंकों को ‘प्रोजेक्ट जोरवार’ के तहत शामिल किया जाएगा, जिसकी लागत लगभग 17,500 करोड़ रुपये होगी। इस टैंक का वजन 25 टन से कम होगा, लेकिन मारक क्षमता और सुरक्षा बहुत ज्यादा होगी। ऐसे टैंकों की जरूरत पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनातनी से जरूरी कर दिया है। इन 354 स्वदेशी हल्के टैंकों में से 59 तो रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के लिए रखे गए हैं, बाकी 295 का निर्माण सरकार द्वारा ‘मेक-1’ श्रेणी के तहत किया जाना है।

अपग्रेड पर भी चल रहा है काम : भारतीय सेना अपने पुराने टैंकों को अपग्रेड करने की कई योजनाओं पर काम कर रही है। उदाहरण के लिए, उनके T-72 टैंकों में मौजूदा 780 हॉर्सपावर के इंजन की जगह 1000 हॉर्सपावर के इंजन लगाने के प्रस्ताव को रक्षा मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। इस 2,300 करोड़ रुपये की योजना के तहत 200 इंजन सीधे आयात किए जाएंगे, जबकि 800 भारत में बनाए जाएंगे। एक अधिकारी ने बताया, ‘T-72 टैंकों में थर्मल साइट्स, आग का पता लगाने और बुझाने के सिस्टम, और अन्य सिस्टम भी लगाए जा रहे हैं। T-90S टैंकों में स्वचालित लक्ष्य ट्रैकर्स, डिजिटल बैलिस्टिक कंप्यूटर और कमांडर थर्मल इमेजर्स लगाए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि भविष्य के लड़ाकू वाहन (FRCVs) को तीन चरणों में सेना में शामिल किया जाएगा, जिनमें से पहले चरण में 590 वाहन शामिल होंगे। हर चरण में नई तकनीकें शामिल की जाएंगी ताकि उनकी सबसे ज्यादा सुरक्षा, मारक क्षमता और तेजी सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने आगे साफ किया कि टैंक खत्म नहीं हुए हैं।

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