नई दिल्ली, 06 सितंबर,(The News Air): सेबी की चीफ माधबी के दिन अच्छे नहीं तल रहे हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में उनपर लगे आरोपों की अब जांच होगी। संसदीय लोक लेखा समिति (पीएसी) मधुबी पुरी बुच के खिलाफ आरोपों की जांच करने के लिए तैयार है और इस महीने के अंत में उन्हें तलब कर सकती है। 29 अगस्त को पैनल की पहली बैठक में कई सदस्यों ने सेबी के कामकाज और बुच के खिलाफ आरोपों की जांच की मांग करने के बाद इस मुद्दे को पीएसी के एजेंडे में जोड़ा गया था। पीएसी का नेतृत्व कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल करते हैं और इसमें सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी इंडिया ब्लॉक दोनों के सदस्य हैं।एजेंडा आइटम में रेगुलेटर या प्रमुख का नाम नहीं है। इसे संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित नियामक निकायों का प्रदर्शन समीक्षा के रूप में लिस् किया गया है। हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि यह सेबी प्रमुख के खिलाफ हाल के आरोपों से ही सामने आया है। उनमें से एक व्यक्ति ने कहा ने कहा कि इस मुद्दे को 29 अगस्त की बैठक में स्वत: संज्ञान लेते हुए जोड़ा गया था क्योंकि कई सदस्य पूंजी बाजार नियामक और सेबी प्रमुख के खिलाफ गंभीर आरोपों के बारे में चिंतित थे। संबंधित मंत्रालय के अधिकारियों को इस महीने तलब किया जा सकता है।
बुच पर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अदाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सेबी की जांच को लेकर हितों के टकराव का आरोप लगाया गया है। विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने आईसीआईसीआई बैंक, उनके पूर्व नियोक्ता द्वारा बुच को किए गए भुगतान पर सवाल उठाया है। जी के संस्थापक सुभाष चंद्रा ने उन पर भ्रष्ट आचरण का आरोप लगाया है और, कर्मचारियों ने वित्त मंत्रालय को नियामक में खराब के बारे में लिखित शिकायत की है।
सेबी ने कर्मचारियों द्वारा किए गए दावों का खंडन किया है और कहा है कि उनके विरोध के पीछे “बाहरी तत्व” थे। मार्केट रेगुलेटर ने एक बयान में कहा कि कार्यस्थल पर “सार्वजनिक अपमान” की शिकायतें “गलत जगह” थीं। कांग्रेस पार्टी ने कहा था कि बुच ने आईसीआईसीआई बैंक में लाभ का पद संभाला था और सेबी से वेतन लेने के बावजूद आय प्राप्त की थी।
अगली मीटिंग में क्या होगा?
विपक्षी दलों ने इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय हित में है क्योंकि विदेशी निवेशक चिंतित हो रहे थे और भारत के शेयर बाजारों की अखंडता के बारे में संदेह थे। पीएसी अपनी अगली बैठक 10 सितंबर को आयोजित करेगा लेकिन यह जल जीवन मिशन के ऑडिट समीक्षा तक सीमित रहेगा। ऊपर उद्धृत लोगों ने कहा कि इस महीने के अंत में आगे की बैठकें आयोजित की जाएंगी। वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों को बताया गया है कि उन्हें इस महीने पीएसी के सामने पेश होने की आवश्यकता हो सकती है।