नई दिल्ली, 16 जुलाई (The News Air): भारतीय दंड संहिता (IPC) में मैरिटल रेप को अपराध की कैटेगिरी में न रखने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि वह इस मामले की सुनवाई गुरुवार को करेगा। यह मामला नई आपराधिक कानूनों के तहत मैरिटल रेप को अपवाद मानने के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं से जुड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को आयकर से संबंधित एक लंबे मामले की सुनवाई के लिए दिन तय किया था। इसके बाद, ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमेन एसोसिएशन (AIDWA) की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने मैरिटल रेप मामले को जल्द से जल्द सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया।
जयसिंह ने कहा कि चूंकि आयकर का मामला सुनवाई के लिए पूरा दिन लेगा, इसलिए वैवाहिक बलात्कार मामले को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने पीठ से कहा, ‘हम इसकी सराहना करेंगे अगर आप वैवाहिक बलात्कार से जुड़े मामलों को प्राथमिकता दे सकें।’ CJI चंद्रचूड़ ने जयसिंह को आश्वासन दिया कि अगर मंगलवार को सुनवाई नहीं हो सकी तो बुधवार या गुरुवार को मामला सुना जाएगा। उन्होंने कहा, ‘अगर हम इसे आज सुनवाई के लिए नहीं ले सके, तो हम इसे कल या उसके अगले दिन देखेंगे।’
क्या है पूरा मामला?
दिल्ली हाई कोर्ट की दो जजों की पीठ ने 12 मई, 2022 को मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने से संबंधित मुद्दे पर अलग-अलग फैसले सुनाए थे। जस्टिस राजीव शकधर ने इसे अपराध घोषित करने का पक्ष लिया, जबकि न्यायमूर्ति सी हरिशंकर ने इस राय से असहमति जताई और कहा कि धारा 375 का अपवाद 2 संविधान का उल्लंघन नहीं करता है क्योंकि यह समझदार मतभेदों पर आधारित है।
इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कई याचिकाएं दायर की गईं, जिनमें उचित दिशा-निर्देश देने की मांग की गई थी। AIDWA की याचिका भी इन्हीं याचिकाओं में शामिल है, जिसमें नए आपराधिक कानूनों के तहत वैवाहिक बलात्कार को अपवाद मानने को चुनौती दी गई है। अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाता है।