Sandesara Brothers Scam Verdict हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 15,500 करोड़ रुपये से ज्यादा के बैंक लोन घोटाले में आरोपी भगोड़े संदेसरा बंधुओं (Sandesara Brothers) के मामले में एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसने पूरे देश में कानूनी और आर्थिक जानकारों के बीच एक नई बहस छेड़ दी है। कोर्ट ने संदेसरा बंधुओं को बकाया राशि का एक-तिहाई हिस्सा चुकाने के बदले आरोप मुक्त करने का आदेश दिया है। इस फैसले के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या विजय माल्या (Vijay Mallya) और नीरव मोदी (Nirav Modi) जैसे अन्य भगोड़े आर्थिक अपराधी भी अब इसी रास्ते पर चलकर सजा से बच सकते हैं?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के तुरंत बाद, विदेश भागे शराब कारोबारी विजय माल्या ने भी सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी। माल्या ने ट्वीट कर कहा कि जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और पैसे चुकाने का ऑफर दिया था, तो उन्हें ऐसी राहत क्यों नहीं दी गई? माल्या का यह बयान साफ इशारा करता है कि संदेसरा बंधुओं के मामले में आए फैसले ने अन्य आर्थिक भगोड़ों के मन में भी उम्मीद की किरण जगा दी है।
क्या है ‘सुप्रीम’ फैसला और इसका असर?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि संदेसरा बंधुओं को दी गई राहत सिर्फ इसी मामले तक सीमित है और इसे नजीर (Precedent) न माना जाए। लेकिन कानून के जानकारों का मानना है कि इस फैसले के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील आर.के. सिंह का कहना है कि विजय माल्या का ट्वीट कोई हैरानी की बात नहीं है। 14 से ज्यादा ऐसे भगोड़े हैं जो भारत से हजारों करोड़ का चुना लगाकर फरार हैं, और वे सभी अब इस फैसले की आड़ में राहत मांग सकते हैं।
‘पैसे से ईमान खरीदने का दौर’
वकील आर.के. सिंह ने इस फैसले पर चिंता जताते हुए कहा कि यह एक नया क्रिमिनल जुरिस्प्रूडेंस (Criminal Jurisprudence) तैयार करने जैसा है। उन्होंने कहा कि सरकार का तर्क है कि हम एक बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था (Growing Economy) हैं और हमारा मुख्य उद्देश्य डूबा हुआ पैसा वापस लाना होना चाहिए। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि क्या पैसे देकर अपराध को धोया जा सकता है? क्या यह संदेश नहीं जाएगा कि अगर आप बड़ा घोटाला करते हैं और फिर उसका कुछ हिस्सा लौटा देते हैं, तो आप सजा से बच सकते हैं?
क्या बंद हो जाएगा न्याय का रास्ता?
कानून के जानकारों का कहना है कि प्ली बार्गेनिंग (Plea Bargaining) छोटे-मोटे अपराधों के लिए होती है, न कि हजारों करोड़ के महाघोटालों के लिए। अगर हर भगोड़ा इसी तरह पैसे चुकाकर बरी होने लगा, तो कानून का डर (Deterrence) खत्म हो जाएगा। कल को कोई भी अपराधी आकर कहेगा कि मैं भी पैसा लौटाने को तैयार हूं, मुझे भी माफ कर दो। तब अदालतों के लिए उन्हें मना करना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि न्यायिक नैतिकता (Judicial Morality) और समानता के अधिकार का हवाला दिया जाएगा।
आगे क्या हो सकता है?
इस फैसले ने एक ‘फ्लड गेट’ (Flood Gate) खोलने का काम किया है। अब देखना यह होगा कि क्या नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और अन्य भगोड़े भी इसी तर्ज पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे? और अगर ऐसा होता है, तो क्या हमारी न्यायिक व्यवस्था ‘काली कमाई से कालिख साफ करने’ की इस कवायद को रोकेगी या इसे बढ़ावा देगी? यह एक बड़ा सवाल है जिसका जवाब आने वाला वक्त ही देगा।
मुख्य बातें (Key Points)
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सुप्रीम कोर्ट ने संदेसरा बंधुओं को बकाया राशि का 1/3 हिस्सा देने पर राहत दी है।
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विजय माल्या ने इस फैसले के बाद सवाल उठाए हैं कि उन्हें ऐसी राहत क्यों नहीं मिली।
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कानून के जानकारों को डर है कि इससे अन्य आर्थिक भगोड़ों को बढ़ावा मिलेगा।
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सरकार का तर्क है कि बढ़ती अर्थव्यवस्था में डूबा पैसा वापस लाना प्राथमिकता है।
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यह फैसला भविष्य में बड़े आर्थिक अपराधों के मामलों में नजीर बन सकता है।






