Veer Baal Diwas 2025 – ‘वीर बाल दिवस’ के ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण अवसर पर देश ने अपनी नई पीढ़ी के अदम्य साहस और प्रतिभा को सलाम किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में 20 असाधारण प्रतिभा वाले बच्चों को ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2025’ से सम्मानित किया। ये पुरस्कार बहादुरी, कला-संस्कृति, खेल, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, सामाजिक सेवा, पर्यावरण और नवाचार (Innovation) जैसे सात क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिए गए। राष्ट्रपति ने इन नन्हें विजेताओं को “देश का भविष्य” बताते हुए कहा कि ये बच्चे अपने परिवार, समाज और पूरे राष्ट्र का नाम रोशन कर रहे हैं।
जान देकर बचाई दूसरे की जान: योमा और कमलेश की शौर्यगाथा
इस साल पुरस्कार पाने वाले बच्चों में कुछ ऐसी कहानियां भी सामने आईं जिन्होंने सबकी आंखों में गर्व और दुख के आंसू ला दिए।
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योमा प्रिया (तमिलनाडु): महज 8 साल की इस बच्ची को मरणोपरांत बहादुरी पुरस्कार दिया गया। योमा ने एक पार्क में करंट की चपेट में आए एक छोटे बच्चे को बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी। दुर्भाग्यवश, करंट लगने से उनकी मौत हो गई। यह सम्मान उनकी मां ने ग्रहण किया।
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कमलेश कुमार (बिहार): बिहार के कमलेश कुमार को भी मरणोपरांत सम्मानित किया गया। उन्होंने एक नदी में डूबते हुए बच्चे को बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी।
खेल और कला में बच्चों का कमाल
बहादुरी के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी बच्चों ने परचम लहराया है:
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वैभव सूर्यवंशी (क्रिकेटर): 14 साल के वैभव सूर्यवंशी, जो हाल ही में बड़े टूर्नामेंट्स में अपने प्रदर्शन के लिए चर्चा में रहे, को खेल के क्षेत्र में सम्मानित किया गया।
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एसर लाल दुहावनी (मिजोरम): 9 साल की एसर लाल दुहावनी को कला और संस्कृति के क्षेत्र में पुरस्कार मिला। वे अपनी सुरीली आवाज के लिए YouTube पर मशहूर हैं और लाखों लोग उन्हें फॉलो करते हैं।
इसके अलावा, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सैनिकों तक रोज दूध और चाय पहुँचाकर उनका हौसला बढ़ाने वाले एक बच्चे को भी सम्मानित किया गया।
विश्लेषण: शहादत से प्रेरणा और भविष्य का निर्माण (Expert Analysis)
‘वीर बाल दिवस’ और ‘राष्ट्रीय बाल पुरस्कार’ का संयोग मात्र एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह भारत की युवा पीढ़ी को उसकी जड़ों और मूल्यों से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम है। गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों के सर्वोच्च बलिदान की याद में मनाया जाने वाला यह दिन आज के बच्चों को बताता है कि साहस उम्र का मोहताज नहीं होता। योमा प्रिया और कमलेश जैसे बच्चों की कहानियां यह साबित करती हैं कि त्याग और वीरता के संस्कार आज भी भारतीय समाज की रगों में दौड़ रहे हैं। यह पुरस्कार न केवल इन बच्चों की उपलब्धियों को मान्यता देता है, बल्कि लाखों अन्य बच्चों को भी समाज और राष्ट्र के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देता है।
जानें पूरा मामला (Background)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 में गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व पर घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। यह दिन सिखों के 10वें गुरु, श्री गुरु गोविंद सिंह जी के चार साहिबजादों की शहादत और वीरता को समर्पित है। इसी दिन बच्चों को सम्मानित कर उनकी बहादुरी को ऐतिहासिक वीरता से जोड़ने का प्रयास किया जाता है। ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार’ की शुरुआत 1996 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा की गई थी।
मुख्य बातें (Key Points)
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Veer Baal Diwas पर 20 बच्चों को Pradhan Mantri Rashtriya Bal Puraskar मिला।
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विजेताओं को मेडल, सर्टिफिकेट और ₹1 लाख की नकद राशि दी गई।
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तमिलनाडु की Yoma Priya और बिहार के Kamlesh Kumar को मरणोपरांत बहादुरी पुरस्कार।
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14 वर्षीय क्रिकेटर Vaibhav Suryavanshi और मिजोरम की Esther Lalduhawmi भी सम्मानित।
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ये विजेता बच्चे आगामी Republic Day Parade में भी हिस्सा लेंगे।






