The News Air- रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव इस हफ़्ते भारत आने वाले हैं। ये दौरा इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत रूस के सबसे बड़े ख़रीदारों में से एक है। यूक्रेन पर हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाकर इंटरनेशनल ट्रेड से अलग-थलग करना शुरू कर दिया है।
रायटर्स के मुताबिक़, दोनों देश रूसी बैंकों पर पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए बैन के बाद पेमेंट सिस्टम को आसान बनाने पर चर्चा कर सकते हैं। जानकारी के मुताबिक़, लावरोव के शुक्रवार को भारत आने की संभावना है। हालांकि, दिल्ली में रूसी दूतावास ने अभी तक इस दौरे की पुष्टि नहीं की है। वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसके पास साझा करने के लिए कोई जानकारी नहीं है।
24 फरवरी को यूक्रेन पर हुए रूसी हमले के बाद लावरोव की यह तीसरी विदेश यात्रा होगी। इससे पहले लावारोव मार्च की शुरुआत में अपने यूक्रेनी समकक्ष से बातचीत के लिए तुर्क़ी और गुरुवार को चीन जा चुके हैं।
रुपया-रूबल व्यापार प्रणाली पर बन सकती है सहमति
सूत्रों के मुताबिक़, भारत सरकार रुपया-रूबल व्यापार प्रणाली स्थापित करने पर विचार कर रही है। भारतीय और रूसी वित्तीय अधिकारियों के बीच चर्चा जारी है। ये भी माना जा रहा है कि रुपया-रूबल ट्रेड विंडो के अलावा, दोनों देशों के केंद्रीय बैंकों के माध्यम से सभी सरकारी और अर्ध-सरकारी भुगतान सीधे निपटाने सहित कार्ड जैसे विकल्पों पर भी विचार कर सकते हैं।
कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश का मौक़ा
रूसी विदेश मंत्री की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच ट्रेड रिलेशन को आसान बनाने के लिए वैकल्पिक मैकेनिज्म को लेकर बात हो सकती है। भारत सरकार के एक अन्य सूत्र ने कहा कि यूक्रेन संकट के बावज़ूद भारत रूस को भारतीय कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पास पैसे का उपयोग करने की अनुमति देने पर विचार कर रहा है।
रूस ने RBI के पास रूसी डिफेंस इक्विपमेंट के लिए क़रीब 200 करोड़ रुपए भुगतान को बरक़रार रखा है। हालांकि, भारत सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि रूस के साथ संबंध बनाए रखने के लिए भारत को पश्चिमी दबाव से कूटनीतिक तौर पर निपटना होगा।
रूस से सनफ्लॉवर ऑयल का कांट्रैक्ट
भारत ने हाल ही में यूक्रेन से सप्लाई बंद होने के बाद अप्रैल डिलीवरी के लिए 45,000 टन सनफ्लॉवर ऑयल ख़रीदने का कांट्रैक्ट किया। पिछले साल भारत ने रूस से एक महीने में क़रीब 20,000 टन सनफ्लॉवर ऑयल ख़रीदा था।
केंद्र के एक सीनियर अफ़सर के मुताबिक़, अगर किफ़ायती दरों पर चीज़ें मिलती है, तो भारत रूस से अधिक वस्तुओं को इंपोर्ट करेगा। वहीं, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल स्टडीज़ के प्रोफेसर हैप्पीमन जैकब ने कहा कि भारत ने किसी भी तरह से रूस के साथ व्यापार जारी रखने का मन बना लिया है।
रूस भारत का मेन डिफेंस सप्लायर
रूस, भारत के डिफेंस इक्विपमेंट का मेन सप्लायर है। हालांकि, चीन की तुलना में भारत के साथ इसका कुल सालाना व्यापार कम है। भारत ने रूस के साथ पिछले कुछ सालो में औसतन 9 बिलियन डॉलर (68 हज़ार करोड़ रुपए) का व्यापार किया। इसमें प्रमुख तौर पर फर्टिलाइजर्स और तेल का व्यापार शामिल है। इसकी तुलना में चीन के साथ भारत का सालाना द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर (क़रीब 7.56 लाख करोड़ रुपए) से अधिक है।
यूक्रेन पर हमले के बाद भारत ने रूस से किफ़ायती दर पर क्रूड ऑयल ख़रीदने का सौदा किया है। भारत ने क़रीब 1.3 करोड़ बैरल ऑयल ख़रीदे हैं। वहीं, पिछले साल कुल 1.6 करोड़ बैरल ऑयल इंपोर्ट किया गया था। भारत अब स्टील बनाने में इस्तेमाल होने वाले रूसी कोयले के इंपोर्ट को भी दोगुना करने पर विचार कर रहा है।
रूस की आलोचना से परहेज़
भारत ने वैश्विक मंचों पर यूक्रेन में सीजफायर रोकने की बात दोहरा चुका है, लेकिन UN सिक्योरिटी काउंसिल की मीटिंग में रूस के ख़िलाफ़ वोटिंग से परहेज़ किया है। भारत ने हमले को लेकर रूस की आलोचना तक नहीं की है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी कह चुके हैं कि रूस के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में भारत की स्थिति स्पष्ट नहीं है।