RSS 100 Years Speech: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 वर्ष पूरे होने के मौके पर नागपुर के रेशम बाग मैदान में आयोजित स्थापना दिवस समारोह में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कई अहम मुद्दों पर अपनी राय रखी। उन्होंने हिंदू राष्ट्र की अवधारणा से लेकर ऑपरेशन सिंदूर, नेपाल में उथल-पुथल, विदेशी संबंध और स्वावलंबन तक पर विस्तार से बात की।
हिंदू राष्ट्र की परिभाषा
भागवत ने कहा कि हमारी राष्ट्रीयता सांस्कृतिक आधार पर बनी है, न कि राष्ट्र-राज्य की अवधारणा पर। उन्होंने कहा, “सभी विविधताओं के बावजूद हमें एक सूत्र में पिरोने वाली पहचान हिंदू राष्ट्रीयता है। जिसे ‘हिंदू’ शब्द से आपत्ति है, वह इसे हिंदवी या आर्य भी कह सकता है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि सनातन संस्कृति ने गुलामी और आक्रमण झेले हैं, लेकिन भारत आज भी मजबूती से खड़ा है।
हिंदू समाज का शील और बल
संघ प्रमुख ने कहा कि हिंदू समाज ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है, और अब समय है कि हिंदुओं के शील और बल को बनाए रखा जाए। उन्होंने कहा कि संगठित हिंदू समाज ही सुरक्षा और विकास की गारंटी है।
विश्व व्यवस्था में बदलाव की मांग
भागवत ने कहा कि मौजूदा वैश्विक व्यवस्था में बदलाव जरूरी है। उन्होंने कहा, “दुनिया को एकदम पीछे नहीं मोड़ा जा सकता, लेकिन धीरे-धीरे छोटे कदमों से सही रास्ते पर आना होगा।” उन्होंने जोड़ा कि विदेशी संबंध ज़रूरी हैं, लेकिन ये मजबूरी नहीं होने चाहिए।
अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी और स्वदेशी पर जोर
भागवत ने अमेरिका की नई Tariff Policy की आलोचना की, जिसके असर से पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि भारत को पूरी तरह बाहरी अर्थव्यवस्था पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। उन्होंने स्वदेशी और आत्मनिर्भरता पर भरोसा जताया और कहा कि मजबूरी में निर्भरता खतरनाक है।
ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमला
संघ प्रमुख ने 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले को याद करते हुए कहा कि आतंकियों ने धर्म पूछकर 26 निर्दोषों की हत्या की थी। उन्होंने कहा कि इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया और सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए सख्त जवाब दिया। इसने भारत की नेतृत्व क्षमता और सेना की तैयारी को दिखाया।
पड़ोसी देशों की हिंसा पर चिंता
भागवत ने नेपाल और अन्य पड़ोसी देशों में उथल-पुथल पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि क्रांति या हिंसा से उद्देश्य पूरे नहीं होंगे। “वे हमारे पड़ोसी ही नहीं, बल्कि हमारे अपने हैं। इसलिए भारत को स्थिरता और सहयोग का रास्ता अपनाना चाहिए।”
संघ की शाखाओं की अहमियत
उन्होंने कहा कि संघ की शाखाएं सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि आदत बदलने की व्यवस्था हैं। शाखा के जरिए स्वयंसेवकों में राष्ट्र निर्माण की भावना और अनुशासन विकसित होता है। उन्होंने कहा कि परिवार व्यवस्था जहां दुनिया से गायब हो चुकी है, भारत में अब भी जीवित है और यही समाज को मजबूती देती है।
विविधताओं में एकता
भागवत ने कहा कि भारत में विविधताएं भेदभाव का कारण बन रही हैं। उन्होंने कहा कि “हम सब एक ही समाज के हिस्से हैं, हमारी विविधता खान-पान और रहन-सहन तक ही है। आपसी व्यवहार में सद्भाव रहना चाहिए, कानून हाथ में लेना गलत प्रवृत्ति है।”
गुरु तेग बहादुर और गांधी को श्रद्धांजलि
भागवत ने अपने भाषण में गुरु तेग बहादुर के बलिदान के 350वें वर्ष का उल्लेख किया और कहा कि उन्होंने सांप्रदायिक सद्भाव के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। साथ ही महात्मा गांधी की जयंती पर स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को अविस्मरणीय बताया।
RSS की स्थापना डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में विजयादशमी के दिन की थी। उस समय सिर्फ 17 लोग उपस्थित थे, लेकिन आज यह संगठन करोड़ों स्वयंसेवकों के साथ देश के सबसे प्रभावशाली सामाजिक संगठनों में गिना जाता है। BJP इसका वैचारिक स्तंभ मानी जाती है। 100 साल पूरे होने पर यह संबोधन ऐतिहासिक माना जा रहा है।
Key Points (Summary)
-
Mohan Bhagwat बोले – हिंदू शब्द से आपत्ति हो तो खुद को हिंदवी या आर्य कहें।
-
संगठित हिंदू समाज ही सुरक्षा और विकास की गारंटी।
-
America Tariff Policy पर चिंता, स्वदेशी और आत्मनिर्भरता पर जोर।
-
Pahalgam terror attack और ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार की कार्रवाई की सराहना।
-
नेपाल हिंसा और पड़ोसी देशों की उथल-पुथल पर चिंता जताई।
-
गुरु तेग बहादुर और महात्मा गांधी को किया याद।






