RBI Monetary Policy Highlights 2025 : भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India – RBI) की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee – MPC) की 54वीं बैठक से देश के मिडिल क्लास (Middle Class) के लिए बड़ी राहत की खबर सामने आई है। 9 अप्रैल को हुई बैठक में रेपो रेट (Repo Rate) को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया गया है। यह लगातार दूसरी बार की गई कटौती है, इससे पहले 7 फरवरी 2025 को भी रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत किया गया था। यह मई 2020 के बाद पहली बार है जब दर में कटौती की गई है और ढाई साल में यह पहला रिविजन है।
रेपो रेट में कटौती का सीधा असर आम जनता की EMI पर पड़ता है। जब बैंकों को आरबीआई से सस्ता फंड मिलता है, तो होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन जैसे कर्ज सस्ते हो जाते हैं। इससे लोन की ब्याज दरें घटती हैं और मासिक किस्तों में राहत मिलती है। साथ ही मौद्रिक नीति रुख (Monetary Policy Stance) को ‘तटस्थ’ से बदलकर ‘उदार’ कर दिया गया है, जो आने वाले समय में और कटौती के संकेत देता है।
इस बैठक में यूपीआई (UPI – Unified Payment Interface) ट्रांजैक्शन से जुड़े बड़े बदलाव की घोषणा भी की गई। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI – National Payments Corporation of India) को ग्राहकों से दुकानदारों (P2M) को किए जाने वाले यूपीआई लेनदेन की सीमा संशोधित करने की अनुमति दी गई है। हालांकि, व्यक्ति से व्यक्ति (P2P) के बीच यूपीआई ट्रांजैक्शन की सीमा एक लाख रुपये ही बनी रहेगी।
फिलहाल, P2M ट्रांजैक्शन की अधिकतम सीमा अलग-अलग क्षेत्रों में तय है – पूंजी बाजार, बीमा आदि के लिए प्रति लेनदेन 2 लाख रुपये, जबकि टैक्स भुगतान, शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल और IPO के लिए यह सीमा 5 लाख रुपये है।
GDP ग्रोथ (GDP Growth) के अनुमान को भी संशोधित किया गया है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर का अनुमान 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत किया गया है। हालांकि, आरबीआई ने निवेश गतिविधियों में तेजी और सरकार के बुनियादी ढांचे पर बढ़ते खर्च को भविष्य में सकारात्मक संकेत माना है।
महंगाई (Inflation) पर भी नजर रखी गई है। मुद्रास्फीति अनुमान को 4.2 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत किया गया है। आरबीआई ने स्पष्ट किया कि व्यापार शुल्कों में बदलाव से आर्थिक परिदृश्य प्रभावित हुआ है, लेकिन संतुलन बनाए रखने की कोशिश की जा रही है।
सोने के आभूषणों और गहनों के बदले दिए जाने वाले लोन (Gold Loan) को लेकर भी नए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। ये दिशा-निर्देश नियमों को कड़ा करने के लिए नहीं बल्कि लेंडिंग व्यवहार को संगठित और सुसंगत बनाने के लिए हैं। इस तरह के लोन आम तौर पर उपभोग और आय सृजन दोनों उद्देश्यों के लिए होते हैं।
साथ ही को-लोन (Co-lending) प्रक्रिया के दायरे को भी बढ़ाने और एक समान विनियामक ढांचे की योजना भी साझा की गई है। स्ट्रेस्ड एसेट्स (Stressed Assets) की समस्या से निपटने के लिए सिक्योरिटाइजेशन फ्रेमवर्क (Securitization of Stressed Assets Framework) पर मसौदा दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं, जिससे बैंकों को जोखिम कम करने में मदद मिलेगी।
बैठक के अंत में जानकारी दी गई कि मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 4 से 6 जून, 2025 को होगी, जो वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी बैठक होगी।