Rent Agreement Rules 2025 in Hindi: केंद्र सरकार ने देश भर के किराएदारों और मकान मालिकों के बीच वर्षों से चल रहे संघर्ष को खत्म करने के लिए रेंट एग्रीमेंट नियम 2025 लागू कर दिया है। यह नया कानून न केवल किराए की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगा, बल्कि बड़े शहरों में मनमाने किराए और सिक्योरिटी डिपॉजिट की समस्या को भी हमेशा के लिए खत्म कर देगा।
दिल्ली, मुंबई, पुणे और बेंगलुरु जैसे मेट्रोपॉलिटन शहरों में किराए का घर लेना और देना हमेशा से ही विवाद का विषय रहा है। कभी मकान मालिक मनमाने तरीके से किराया बढ़ा देते थे, तो कभी सिक्योरिटी मनी के नाम पर मोटी रकम वसूल ली जाती थी। इस अनिश्चितता ने किराएदारों को मानसिक दबाव में रखा था और मकान मालिकों को भी कानूनी पचड़ों में फंसाया था। इसी समस्या के स्थाई समाधान के लिए सरकार ने नए नियमों का ढांचा तैयार किया है, जो दोनों पक्षों को सुरक्षा प्रदान करेगा।
अब ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हुआ अनिवार्य
नए नियमों के मुताबिक, अब रेंट एग्रीमेंट का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है। पुराने समय में चलने वाले हाथ से लिखे करार या साधारण स्टैंप पेपर वाले एग्रीमेंट अब मान्य नहीं होंगे। हर एग्रीमेंट को डिजिटल स्टैंप के साथ ऑनलाइन रजिस्टर करना होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किराए का समझौता होने के 60 दिनों के भीतर इसे रजिस्टर कराना अनिवार्य होगा। इससे सिस्टम में पारदर्शिता आएगी और दोनों पक्षों के पास पक्का सबूत रहेगा।
सिक्योरिटी डिपॉजिट की सीमा तय
अक्सर देखा जाता था कि मकान मालिक 6 महीने या साल भर का किराया एडवांस में मांग लेते थे। नए नियम ने इस पर लगाम लगा दी है। अब रिहाइशी (Residential) मकानों के लिए मकान मालिक 2 महीने से अधिक का सिक्योरिटी डिपॉजिट नहीं ले सकते। वहीं, कमर्शियल प्रॉपर्टी के मामले में यह सीमा अधिकतम 6 महीने तक तय की गई है। इससे किराएदारों पर पड़ने वाला एकमुश्त आर्थिक बोझ काफी कम हो जाएगा।
किराया बढ़ाने और बेदखली के सख्त नियम
किराया वृद्धि को लेकर भी स्पष्ट गाइडलाइन जारी कर दी गई है। अब मकान मालिक साल में केवल एक बार ही किराया बढ़ा सकते हैं। इतना ही नहीं, किराया बढ़ाने से कम से कम 90 दिन (3 महीने) पहले किराएदार को लिखित नोटिस देना अनिवार्य होगा। बेदखली के नियमों को भी सख्त किया गया है। कोई भी मकान मालिक बिना रेंट ट्रिब्यूनल के आदेश के किराएदार को घर से नहीं निकाल सकता। धमकी देना, ताला बदलना या बिजली-पानी का कनेक्शन काटने जैसी हरकतों पर अब कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मरम्मत और प्राइवेसी का अधिकार
नए कानून में किराएदार की प्राइवेसी का भी पूरा ध्यान रखा गया है। मकान मालिक को घर में प्रवेश करने या निरीक्षण करने के लिए 24 घंटे पहले नोटिस देना होगा। वह अपनी मर्जी से कभी भी घर में नहीं घुस सकता। इसके अलावा, मकान की मरम्मत को लेकर भी स्थिति साफ की गई है। यदि घर में कोई जरूरी मरम्मत है और मकान मालिक उसे 30 दिन के भीतर नहीं कराता है, तो किराएदार उसे खुद ठीक करवा सकता है और उसका खर्च किराए से काट सकता है।
पुलिस वेरिफिकेशन और जुर्माना
सुरक्षा के लिहाज से अब किराएदार का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य कर दिया गया है। इससे प्रॉपर्टी का गलत इस्तेमाल रोका जा सकेगा। नियमों का पालन न करने पर जुर्माने का भी प्रावधान है। यदि रेंट एग्रीमेंट रजिस्टर्ड नहीं पाया जाता है, तो राज्य के नियमों के अनुसार कम से कम 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही, पारदर्शिता बढ़ाने के लिए यह सलाह दी गई है कि यदि किराया 5000 रुपये से ज्यादा है, तो उसका भुगतान ऑनलाइन मोड से ही किया जाए ताकि उसका डिजिटल रिकॉर्ड मौजूद रहे।
बदल जाएगा किराएदारी का पूरा सिस्टम
रेंट एग्रीमेंट नियम 2025 से भारत के रेंटल मार्केट का पूरा परिदृश्य बदलने की उम्मीद है। सरकार का दावा है कि इन नियमों से खाली पड़े बड़े आवासों का उपयोग बढ़ेगा और एक विश्वास आधारित सिस्टम स्थापित होगा। अब मकान मालिक अपनी मर्जी से किराएदार को नहीं निकाल पाएंगे, उन्हें कानूनी आधार और ट्रिब्यूनल के आदेश का पालन करना होगा। इससे कोर्ट में लंबित मुकदमों की संख्या भी कम होगी और रेंटल मार्केट में संतुलन बना रहेगा।
मुख्य बातें (Key Points)
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एग्रीमेंट होने के 60 दिनों के भीतर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य।
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रिहाइशी मकान के लिए अधिकतम 2 महीने का सिक्योरिटी डिपॉजिट।
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किराया बढ़ाने से 90 दिन पहले लिखित नोटिस देना जरूरी।
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बिना रेंट ट्रिब्यूनल के आदेश के किराएदार को बेदखल नहीं किया जा सकता।






