RBI Rate Cut की चर्चा: जीएसटी रेट में हालिया कटौती के बाद अब लोगों को एक और बड़ी खुशखबरी मिल सकती है। चर्चा है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आने वाले दिनों में रेपो रेट (Repo Rate) में कटौती कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ईएमआई (EMI) पर आम आदमी का बोझ कम हो जाएगा।
RBI की तीन दिवसीय मौद्रिक नीति (Monetary Policy) बैठक 1 अक्टूबर को समाप्त हो रही है। अनुमान लगाया जा रहा है कि केंद्रीय बैंक रेपो रेट को 5.50% पर स्थिर रख सकता है। लेकिन कई अर्थशास्त्री मानते हैं कि कमजोर निवेश, वैश्विक व्यापार दबाव और नियंत्रित महंगाई दर को देखते हुए RBI ‘सरप्राइज रेट कट’ का फैसला भी कर सकता है।
क्यों अहम है यह फैसला? : दरअसल, इस साल की शुरुआत से अब तक RBI ने 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है। इसके बावजूद प्राइवेट इन्वेस्टमेंट (Private Investment) में खास सुधार नहीं हुआ। अगस्त पॉलिसी मीटिंग में RBI ने दरों को स्थिर रखते हुए ‘न्यूट्रल स्टांस’ अपनाया था, जिसके बाद फाइनेंशियल कंडीशंस और टाइट हो गईं।
इसी बीच अमेरिका और भारत के बीच व्यापार तनाव बढ़ गया है। अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर 50% तक टैरिफ लगा दिया और वीजा फीस बढ़ा दी। इसका सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। ऐसे हालात में RBI अगर पहले से कदम उठाता है तो यह ‘इंश्योरेंस रेट कट’ साबित हो सकता है।
एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
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रॉयटर्स पोल के मुताबिक, तीन-चौथाई अर्थशास्त्रियों को लगता है कि RBI फिलहाल दरों में बदलाव नहीं करेगा।
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हालांकि, Citi, Barclays, Capital Economics, SBI जैसी बड़ी वित्तीय संस्थाएं मानती हैं कि रेट कट का मौका बन सकता है।
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कैपिटल इकॉनॉमिक्स का अनुमान है कि RBI अगले हफ्ते कटौती कर सकता है और दिसंबर में एक और रेट कट संभव है।
भारत की जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) जून तिमाही में 7.8% रही, जो अनुमान से बेहतर है। लेकिन कई विशेषज्ञ मानते हैं कि महंगाई के एडजस्टमेंट के बाद यह आंकड़ा उतना मजबूत नहीं है जितना दिख रहा है।
Key Points (मुख्य बातें)
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RBI की मौद्रिक नीति बैठक 1 अक्टूबर को खत्म हो रही है।
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रेपो रेट 5.50% पर स्थिर रखने की उम्मीद, लेकिन सरप्राइज रेट कट से इनकार नहीं।
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अमेरिका के टैरिफ और ग्लोबल प्रेशर से अर्थव्यवस्था पर दबाव।
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EMI कम होने से आम आदमी को सीधी राहत मिल सकती है।






