Realme Watch 5 Factory Tour: क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी कलाई पर बंधी स्मार्टवॉच फैक्ट्री में किस तरह तैयार होती है? भारत में जल्द ही लॉन्च होने वाली Realme Watch 5 को लेकर टेक्नोलॉजी प्रेमियों में भारी उत्साह है। आज हम आपको सीधे फैक्ट्री के उस हिस्से में ले चलते हैं जहां तकनीक और इंसानी हुनर मिलकर इस गैजेट को आकार देते हैं। यहां एक-एक पुर्जे को जोड़ने से लेकर उसकी कड़ी टेस्टिंग तक, हर स्टेप बेहद दिलचस्प और हाई-टेक है।
असेंबली लाइन से होती है शुरुआत
वॉच मेकिंग की शुरुआत सबसे अहम हिस्से यानी ‘असेंबली लाइन’ से होती है। यहां सबसे पहले मदरबोर्ड (Motherboard) पर काम किया जाता है, जो घड़ी का मुख्य फंक्शन या ‘दिमाग’ होता है। मदरबोर्ड को सावधानी से फोम ट्रे से निकाला जाता है और उसका सेल्फ टेस्ट और इंस्पेक्शन किया जाता है। इसके बाद उस पर मोटर फोम अटैच की जाती है। इस दौरान एक खास सेल्फ चेक होता है—अगर स्क्रीन पर व्हाइट कलर दिखता है तो इसका मतलब मदरबोर्ड इंसर्शन के लिए तैयार है, ग्रीन का मतलब नंबर ओके है और रेड का मतलब नंबर में कोई गड़बड़ी (NG) है।
बैटरी और सोल्डरिंग का बारीक काम
चेकिंग के बाद मेन बोर्ड को एक बड़ी शील्ड पर फिक्स किया जाता है और बैटरी वेल्डिंग फिक्सचर का इस्तेमाल होता है। यहां सोल्डरिंग आयरन की मदद से टिन फिक्स किया जाता है। इसके बाद बैटरी के साथ तारों की सोल्डरिंग (Wire Soldering) की जाती है। सुरक्षा के लिहाज से बैटरी के केबल्स को दोबारा चेक किया जाता है। बैटरी के कोड को स्कैन करके उसे बाइंड किया जाता है और फिर मेन बोर्ड को घड़ी के ढांचे में सही तरीके से इंस्टॉल कर दिया जाता है।
हार्ट रेट सेंसर और स्क्रीन इंस्टॉलेशन
घड़ी के पिछले हिस्से में हार्ट रेट बीटीवी बटन (Heart Rate BTV Button) को कसने के बाद स्क्रीन को फिक्स किया जाता है। सभी जॉइंट्स की दोबारा चेकिंग होती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सब कुछ ठीक है। मदरबोर्ड को लेंस के नीचे रखकर बहुत बारीकी से देखा जाता है ताकि किसी भी तरह के डिफेक्ट को पकड़ा जा सके। इसके बाद स्पीकर्स और बैटरी वायर जैसी चीजों की असेंबली होती है और हर हिस्से को मजबूती से जोड़ने के लिए यूवी ग्लू (UV Glue) का इस्तेमाल किया जाता है।
कड़ी टेस्टिंग और ड्रॉप चेक
डिस्प्ले स्क्रीन इंस्टॉल करने के बाद बटनों को दबाकर और लाइट के जरिए चेक किया जाता है। हर घड़ी का क्यूआर कोड स्कैन होता है। फैक्ट्री में क्वालिटी कंट्रोल बहुत सख्त होता है। यहां डिफेक्टिव प्रोडक्ट्स को अलग ट्रे में रख दिया जाता है और सही प्रोडक्ट्स को ही आगे भेजा जाता है। घड़ियों का प्रेशर चेक, बैटरी चेक और ड्रॉप चेक (गिराकर देखना) किया जाता है। यह पूरा प्रोसीजर काफी समय लेने वाला होता है, लेकिन क्वालिटी से कोई समझौता नहीं किया जाता।
ब्रांडिंग और फाइनल ‘स्माइली’
सभी टेक्निकल जांच पूरी होने के बाद घड़ी पर Realme की ब्रांडिंग की जाती है। इसके बाद घड़ी पर स्ट्रैप लगाया जाता है। पैकिंग से ठीक पहले एक बार फिर लेंस के जरिए घड़ी को बहुत करीब से देखा जाता है कि कहीं कोई स्क्रैच तो नहीं है। जब घड़ी सभी पैमानों पर खरी उतरती है, तो स्क्रीन पर एक ‘स्माइली’ (Smiley) दिखाई देती है, जिसका मतलब है कि यह ग्राहकों तक जाने के लिए तैयार है। अंत में चार्जर और वायर के साथ इसे बॉक्स में पैक कर दिया जाता है।
मुख्य बातें (Key Points)
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वॉच मेकिंग की शुरुआत मदरबोर्ड की टेस्टिंग और कलर कोडिंग (White, Green, Red) से होती है।
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बैटरी और तारों को जोड़ने के लिए सोल्डरिंग और यूवी ग्लू का इस्तेमाल किया जाता है।
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हर घड़ी का प्रेशर चेक, ड्रॉप चेक और सेंसर टेस्ट बारीकी से किया जाता है।
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फाइनल चेक में ‘स्माइली’ दिखने पर ही घड़ी को पास करके पैक किया जाता है।






