रियल एस्टेट कंपनियों (Real Estate Companies) के दिवालिया (Bankrupt) होने का सिलसिला थम नहीं रहा है। मार्च के आखिर में सुपरटेक (Supertech) के दिवालिया होने की खबर आई थी। फिर, बुधवार (6 अप्रैल) को एटीएस ग्रुप (ATS Group) की कंपनी आनंद डिवाइन डेवलपर्स के दिवालिया होने की खबर मिली।
हजारों ग्राहकों को घर मिलने का इंतजार
यह दूसरों के लिए सिर्फ एक खबर है, लेकिन उन हजारों लोगों के लिए यह बड़ा झटका है, जिन्होंने इन कंपनियों से घर खरीदा है। इससे पहले यूनिटेक ग्रुप, आम्रपाली और जेपी ग्रुप के मुश्किल में फंसने की खबरें आ चुकी हैं। इन कंपनियों के हजारों ग्राहकों की मेहनत की कमाई का पैसा फंसा हुआ है। आखिर एक के बाद एक रियल्टी कंपनियों के दिवालिया होने की क्या वजह है?
ज्यादा कर्ज बना कंपनियों के गले की फांस
रियल एस्टेट कंपनियों के दिवालिया होने की एक वजह नहीं है। लेकिन, हाल में आई खबरों से साफ है कि ज्यादातर कंपनियां इस वजह से दिवालिया होने की कगार पर पहुंची, क्योंकि उनके पास कर्ज को चुकाने का पैसा नहीं था। दरअसल, इन कंपनियों ने बैंकों ओर वित्तीय संस्थानों से एक के बाद एक कर्ज लिया। फिर, एक समय ऐसा आया, जब कर्ज को चुकाने में दिक्कतें आने लगीं। लोन का पैसा नहीं मिलने पर आखिरकार बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने कानूनी रास्ता अपनाया। फिर, यह मामला IBC के पास पहुंच गया।
आम लोगों को हो रहा सबसे ज्यादा नुकसान
रियल एस्टेट कंपनियों के दिवालिया होने से सबसे बड़ा नुकसान उन लोगों का है, जिन्होंने मेहनत की अपनी गाढ़ी कमाई से घर खरीदा होता है। अब तक नोएडा एक्सटेंशन में आम्रपाली के हजारों ग्राहक अपना घर मिलने का इंतजार कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद घर मिलने की उनकी उम्मीद बढ़ी है। लेकिन, इसमें काफी समय लग रहा है। इस बीच होम लोन की उनकी ईएमआई लगातार जा रही है। इनमें ऐसे कई ग्राहक हैं, जिन्होंने घर खरीदने के लिए अपनी सेविंग्स का पूरा पैसा लगा दिया।
कर्ज का पैसा चुका नहीं पाई आनंद डिवाइन
एटीएस ग्रुप की कंपनी आनंद डिवाइन डेवलपर्स प्रा. लि. (Anand Divine Developers) के खिलाफ दिवालिया की कार्रवाई (Insolvency proceedings) शुरू कर दी गई है। इस कंपनी ने आईसीआईसीआई वेंचर कैपिटल फंड रियल एस्टेट स्कीम 1 से कर्ज लिया था। वह कथित रूप से 25 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने में नाकाम रही। फिर आईसीआईसीआई वेंचर कैपिटल फंड ने नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) में याचिका दाखिल की। जिसके बाद कंपनी को दिवालिया घोषित करने का प्रोसेस शुरू हो गया। इसका असर गुड़गांव के सेक्टर 104 में बन रहे एटीएस ट्रायंफ (ATS Triumph) प्रोजेक्ट के 443 होमबायर्स पर पड़ेगा।
सुपरटेक के इनसॉल्वेंसी का प्रोसेस चल रहा है
दिल्ली-NCR की रियल्टी कंपनी सुपरटेक लिमिटेड (Supertech Ltd) 25 मार्च को इनसॉल्वेंसी में चली गई। नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद में Supertech की कई परियोजनाएं अटकी हुई हैं। सुपरटेक पर यूनियन बैंक का काफी बकाया था। पेमेंट पर कंपनी के बार-बार डिफॉल्ट करने की वजह से यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank of India) ने नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) की दिल्ली बेंच के पास सुपरटेक के इनसॉल्वेंसी की याचिका दायर की थी। बैंक की इस याचिका को NCLT-दिल्ली ने स्वीकार कर लिया।
रियल्टी कंपनियों ने ग्राहकों के पैसे का दुरुपयोग किया
एक्सपर्टस का कहना है कि रियल्टी कंपनियों के मालिकों का लालच भी उनके दिवालिया होने की वजह है। रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट, 2016 (RERA) के लागू होने से पहले रियल्टी कंपनियों के मालिकों ने घरों के ग्राहकों से लिए पैसे का इस्तेमाल नई जमीन खरीदने और नए प्रोजेक्ट लॉन्च करने के लिए किया। बाद में रेगुलेटरी सहित दूसरी मुश्किलों की वजह से उनके नए प्रोजेक्ट फंस गए। फिर उन्होंने प्रोजेक्ट पर काम बंद कर दिया। एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में अटके पड़े आधा से ज्यादा प्रोजेक्ट रेरा लागू होने से पहले के हैं।
अधिकारियों और कंपनियों के बीच सांठगांठ
बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी के बीच सांठगांठ की कई खबरें आ चुकी हैं। कुछ समय पहले नोएडा अथॉरिटी पर Comptroller and Auditor General (CAG) की एक रिपोर्ट उत्तर प्रदेश असेंबली में पेश की गई थी। इसमें लैंड एलॉटमेंट और डेवलपमेंट प्लान के एप्रूवल में कई तरह की लापरवाहियां सामने आई थीं। इसके चलते राज्य सरकार के खजाने को 55,000 करोड़ रुपये का लॉस हुआ था। यह लॉस साल 2005 से 2014 के बीच का है। आज भी करप्शन का सिलसिला जारी है।