कंधार, 7 अगस्त (The News Air)
तालिबान की क्रूरता किसी से छुपी नहीं है। अफ़ग़ानिस्तान इस समय तालिबान की हिंसा का शिकार है। तालिबानी कट्टरपंथियों ने अफ़ग़ानिस्तान में पख्तिया प्रांत के चमकानी इलाक़े में स्थित गुरुद्वारा तहला साहिब में लगे पवित्र निशान साहिब को हटा दिया था। गुरुद्वारे को तहस-नहस भी किया था, जिसे अफगानिस्तानी सरकार ने दुरुस्त करा दिया है।
जानें पूरा मामला- अफ़ग़ानिस्तान (Afghanistan) तालिबानी शासन की ओर बढ़ रहा है और इसी के साथ वहाँ कट्टरपंथ हावी होता जा रहा है। तालिबानी शासक दूसरे धर्मों पर अत्याचार कर रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने गुरुद्वारा तहला साहिब पर हमला बोला था। उन्होंने छत से सिख समाज का पवित्र निशान साहिब ध्वज उतरवा दिया था। गुरु नानक देव (Guru Nanak Dev) भी इस गुरुद्वारे में जा चुके हैं। हालांकि अब फिर से गुरुद्वारे को दुरुस्त करा दिया गया है।
लंबे समय से तालिबान के निशाने पर है यह गुरुद्वारा- गुरुद्वारा तहला साहिब लंबे समय से तालिबानियों के निशाने पर रहा है। पिछले साल गुरुद्वारे से निदान सिंह सचदेवा (Nidan Singh Sachdeva) नामक एक शख़्स को अगवा कर लिया गया था। बाद में अफ़ग़ान सरकार और सिख समुदाय के दबाव के बाद 22 जून, 2020 को उसे रिहा करा लिया गया था। बीते साल मार्च में ही क़ाबुल में एक आतंकी हमले में सिख समुदाय के 30 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। इस हमले की ज़िम्मेदारी खूँख़ार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) ने ली थी। लेकिन भारतीय अधिकारियों के अनुसार इस वारदात में हक्कानी नेटवर्क और लश्कर-ए-तैयबा का हाथ था।
अमेरिका सेना के जाते ही तालिबान का हमला-अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिका और नाटो यानी उत्तरी अटलांटिक सन्धि संगठन (North Atlantic Treaty Organization) की वापसी के साथ ही तालिबान क्रूरता की हदें पार करता जा रहा है। तालिबान धीरे-धीरे हथियारों के बूते अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा जमाता जा रहा है। इस बीच बता दें कि संयुक्त राष्ट्र(UN) के दूत देबोरा एलयॉन्स ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और इस मामले में इस्तक्षेप की मांग की है। वहीं, तालिबान से तत्काल शहरों पर हमले रोकने की मांग करते हुए सुरक्षा परिषद से अनुरोध किया है। बता दें कि तालिबान के आगे अफ़ग़ानिस्तान की सेना टिक नहीं पा रही है। अकेले शुक्रवार को उसने दो बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया।