3-Hour Cheque Clearance Rule : अगर आप भी इस उम्मीद में थे कि 3 जनवरी 2026 से आपका चेक बैंक में जमा होते ही 3 घंटे के अंदर क्लियर हो जाएगा, तो आपके लिए एक निराशाजनक खबर है। भारतीय रिजर्व बैंक ने चेक क्लियरेंस में तेजी लाने के अपने महत्वाकांक्षी फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है। इसका मतलब है कि अब बैंकों पर यह दबाव नहीं होगा कि वे 3 घंटे की सख्त डेडलाइन के भीतर चेक को पास या रिजेक्ट करें। आरबीआई ने स्पष्ट कर दिया है कि इस योजना का ‘फेज-2’ अगले आदेश तक टाल दिया गया है और देश भर में अभी ‘फेज-1’ के नियम ही लागू रहेंगे।
क्या था ‘3 घंटे’ का प्लान और क्यों लगा ब्रेक?
आरबीआई का मूल प्लान यह था कि जैसे ही ग्राहक का चेक बैंक की शाखा में पहुंचे, उसके 3 घंटे के भीतर बैंक को उस पर फैसला लेना अनिवार्य होगा। अगर बैंक ऐसा करने में विफल रहता, तो सिस्टम ऑटोमैटिकली चेक को ‘पास’ मान लेता और पैसा सीधे ग्राहक के खाते में जमा हो जाता। यह कदम बैंकिंग इतिहास में एक बड़ा बदलाव होता।
लेकिन अब, नए आदेश के मुताबिक, यह डेडलाइन लागू नहीं होगी। आरबीआई और बैंकों को लगा कि सिस्टम को लगभग ‘रियल टाइम’ बनाने और इतने बड़े बदलाव को लागू करने के लिए अभी और तकनीकी तैयारी की जरूरत है। इसलिए ‘फेज-2’, जिसमें हर चेक के लिए ‘T+3 क्लियर आवर्स’ का नियम था (जैसे 10 बजे जमा चेक पर 2 बजे तक फैसला), उसे रोक दिया गया है।
अब कैसे और कब मिलेंगे पैसे? (वर्तमान नियम)
‘फेज-2’ टलने के बाद, अब चेक क्लियरेंस की प्रक्रिया ‘फेज-1’ के नियमों के तहत ही चलेगी। इसके अनुसार:
-
चेक जमा करने का समय: सुबह 9:00 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक रहेगा।
-
बैंकों के पास समय: चेक को कंफर्म या रिजेक्ट करने के लिए बैंकों के पास सुबह 9:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक का वक्त होगा।
यानी, प्रोसेसिंग दिन भर चलेगी, लेकिन 3 घंटे वाली तत्काल अनिवार्यता नहीं होगी। फेज-1 में भी एक नियम है कि अगर शाम 7:00 बजे तक पेइंग बैंक कोई जवाब नहीं देता है, तो चेक को ‘डीम्ड अप्रूव्ड’ (Deemed Approved) मान लिया जाएगा और सेटलमेंट हो जाएगा। इसके बाद बैंक को 1 घंटे के भीतर ग्राहक के खाते में पैसा क्रेडिट करना होगा।
समझें पूरा प्रोसेस: कैसे काम करता है CTS?
यह पूरा सिस्टम ‘चेक ट्रंकेशन सिस्टम’ (CTS) पर आधारित है। आरबीआई ने इसके तहत ‘कंटीन्यूअस क्लियरेंस एंड सेटलमेंट’ (CCS) मॉडल शुरू किया है।
-
फिजिकल चेक नहीं घूमता: अब फिजिकल चेक को एक बैंक से दूसरे बैंक नहीं भेजा जाता।
-
डिजिटल इमेज: बैंक काउंटर पर चेक लेते ही उसे स्कैन करते हैं और उसकी डिजिटल इमेज व MICR डेटा तुरंत क्लियरिंग हाउस भेज देते हैं।
-
पेइंग बैंक तक पहुँच: क्लियरिंग हाउस से यह डेटा उस बैंक (पेइंग बैंक) के पास जाता है, जहाँ से पैसा कटना है।
-
सुरक्षित भंडारण: प्रोसेस पूरी होने के बाद फिजिकल चेक को एक कॉमन वेयरहाउस में सुरक्षित रख लिया जाता है।
वरिष्ठ पत्रकार का विश्लेषण
आरबीआई का यह कदम ‘देर आए दुरुस्त आए’ वाली रणनीति का हिस्सा लगता है। 3 घंटे में क्लियरेंस का विचार निस्संदेह क्रांतिकारी था और इससे ग्राहकों को बहुत फायदा होता, लेकिन अगर बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं था, तो हड़बड़ी में इसे लागू करना जोखिम भरा हो सकता था। सिस्टम में कोई भी तकनीकी खामी करोड़ों रुपये के गलत ट्रांजैक्शन का कारण बन सकती थी। आरबीआई ने सुरक्षा और सटीकता को प्राथमिकता देते हुए ‘स्पीड’ पर फिलहाल ‘ब्रेक’ लगाया है, जो एक परिपक्व नियामक का संकेत है। हालांकि, फेज-1 के तहत भी क्लियरेंस पहले के मुकाबले काफी तेज हो चुका है।
आम आदमी के लिए जरूरी सलाह
चूंकि अब सारा फैसला डिजिटल इमेज देखकर होता है, इसलिए चेक भरते समय गलती की गुंजाइश खत्म हो गई है। छोटी सी चूक से आपका चेक तुरंत रिजेक्ट हो सकता है। इसलिए ध्यान रखें:
-
तारीख बिल्कुल साफ लिखें।
-
नाम में कोई कटिंग (कांट-छांट) न हो।
-
रकम शब्दों और अंकों में एक समान हो।
-
सिग्नेचर बैंक रिकॉर्ड से पूरी तरह मेल खाता हो।
मुख्य बातें (Key Points)
-
Decision Deferred: RBI ने 3 घंटे में चेक क्लियरेंस के ‘फेज-2’ नियम पर रोक लगाई।
-
Current Rule: अब चेक जमा करने का समय सुबह 9 से 3 और बैंकों के लिए प्रोसेस का समय सुबह 9 से शाम 7 बजे तक रहेगा।
-
Reason: आरबीआई और बैंकों को लगा कि इतने बड़े बदलाव के लिए अभी और तैयारी की जरूरत है।
-
Process: चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) के जरिए डिजिटल इमेज के आधार पर क्लियरेंस होती है।






