The News Air: देश में कैशलैस पेमेंट के बढ़ते चलन के बीच 100 रुपए का नोट अभी भी नक़द लेनदेन के लिए सबसे पसंदीदा नोट बना हुआ है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की रिपोर्ट के मुताबिक़, 2 हज़ार रुपए के नोट को लेनदेन के लिए कम पसंद किया जाता है। वहीं 500 रुपए के नोट का इस्तेमाल सबसे ज़्यादा हो रहा है।
28 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के ग्रामीण, अर्ध-शहरी, शहरी और महानगरीय क्षेत्रों में किए गए इस सर्वे में सामने आया है कि देश में सिर्फ़ 3% लोग ही ऐसे हैं जो नोटों के असली-नक़ली की पहचान नहीं कर पाते हैं। यानी 97% लोगों को महात्मा गांधी की तस्वीर, वॉटरमार्क या सुरक्षा धागे की जानकारी है।
5 रुपए के सिक्के का सबसे ज़्यादा उपयोग
सिक्कों की बात करें तो नगद लेनदेन के लिए 5 रुपए के सिक्के का सबसे ज़्यादा उपयोग किया जाता है। वहीं एक रुपए के सिक्के को उपयोग करना लोग कम पसंद करते हैं।
आय का कम होना एक बड़ा कारण
टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बातचीत में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के अर्थशास्त्री अय्याला श्री हरि नायडू ने बताया कि 100 रुपए के नोट के ज़्यादा उपयोग होने का एक कारण लोगों की कम आय का होना भी है।
उनके अनुसार हमारे देश में 90% लोगों की इनकम कम है, जिस कारण वो आमतौर पर 100 रुपए से लेकर 300 रुपए तक का सामान ही ख़रीदते हैं। ऐसे मामलों में लोग डिजिटल लेनदेन की जगह नगद देना पसंद करते हैं।
देश में नगदी बढ़ी
रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 के दौरान कैश की मात्रा में 5% की बढ़ोतरी हुई है। इसमें सबसे ज़्यादा 34.9% 500 रुपए के नोट की हिस्सेदारी रही। IIT खड़गपुर में अर्थशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर गौरीशंकर एस हिरेमठ ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान लोगों द्वारा आपातकाल के लिए धन जमा करने की ख़बरें थीं। इसके चलते नोटों की संख्या बढ़ी है।
नक़ली नोटों की संख्या बढ़ी
RBI के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में नक़ली नोटों की संख्या काफ़ी बढ़ गई है। RBI के अनुसार, 500 रुपए के नक़ली नोट एक साल में दोगुने हो गए हैं। पिछले साल की तुलना में केंद्रीय बैंक ने 500 रुपए 101.9% ज़्यादा नोट और 2 हज़ार रुपए के 54.16% ज़्यादा नोटों का पता लगाया है।