The News Air – (नई दिल्ली) रिज़र्व बैंक ने अपने केंद्रीय बोर्ड से कहा है कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से बैन लगा देना चाहिए। शुक्रवार को RBI की हुई बैठक में यह बात कही गई। इससे पहले, सरकार ने भी संसद के मौजूदा सत्र में क्रिप्टोकरंसी के रेगुलेशन के लिए बिल लाने की तैयारी की थी, लेकिन वह फ़िलहाल टल गया है।
RBI के सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स की यह बैठक बैंक के गवर्नर शक्ति कांत दास की अध्यक्षता में लखनऊ में हुई थी। मीटिंग के बाद जारी प्रेस रिलीज में कहा गया कि इसमें डिजिटल करेंसी और निजी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े कई मामलों पर चर्चा की गई। सूत्रों ने जानकारी दी है कि RBI के आंतरिक सदस्य प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के पक्ष में नहीं हैं और इस पर सख़्ती से पाबंदी लगाना चाहते हैं।
क्रिप्टो करंसी की अस्थिरता चिन्ता का विषय
मीटिंग में RBI के ज़्यादातर सदस्यों ने निजी क्रिप्टोकरेंसी और वित्तीय स्थिरता पर उसके असर के बारे में चिन्ता जताई। साथ ही बैंक और सरकार की तरफ़ से इसके रेगुलेशन के लिए सख़्त क़दम उठाने के बारे में भी चर्चा की। बोर्ड मेंबर्स ने समानांतर करंसी से जुड़े वित्तीय जोख़िम पर भी बातचीत की।
प्रधानमंत्री मोदी भी इस पर चर्चा कर चुके
रिज़र्व बैंक ने बोर्ड के सामने क्रिप्टोकरंसी की मौजूदगी और इसके असर को लेकर डिटेल्ड प्रेजेंटेशन दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मामले में कई चरणों में चर्चा की थी। इससे पहले, जुलाई 2019 में एक हाई लेवल सरकारी पैनल भी सभी तरह की क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने की वकालत कर चुका है। इसने क्रिप्टोकरेंसी में डील करने पर 25 करोड़ रुपए फाइन और 10 साल की सज़ा की सिफ़ारिश की थी।
गोपीनाथ ने कहा, रेगुलेशन बने
रिज़र्व बैंक की मीटिंग से एक दिन पहले ही अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक कोष (IMF) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा था कि क्रिप्टो पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की बजाय इसे रेगुलेशन के दायरे में लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं को इस डिजिटल टोकन को बैन करने की बजाय बेहतरीन तरीक़े से रेगुलेट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस पर एक वैश्विक पॉलिसी बननी चाहिए।
इस सत्र में मुश्किल है बिल का आना
उधर, ख़बर है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर इस सत्र में बिल लाने के मामले को टाल सकती है। संसद का सत्र अगले हफ़्ते ख़त्म हो जाएगा और फिर अगला सत्र बजट का शुरू हो जाएगा। इसके बाद 5 राज्यों की चुनावी गहमागहमी शुरू हो जाएगी। माना जा रहा है कि सरकार चुनाव के बाद इस बिल को संसद में ला सकती है। केंद्रीय बैंक ने बार-बार क्रिप्टोकरेंसी के ख़िलाफ़ अपने मज़बूत विचारों को रखा है। उसका कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी देश की मैक्रोइकोनॉमिक और वित्तीय स्थिरता के ख़िलाफ़ बड़ा ख़तरा है। उसने क्रिप्टोकरेंसी पर ट्रेडिंग करने वाले निवेशकों की संख्या और उनकी क्लेम की गई मार्केट वैल्यू पर भी संदेह किया है।