The News Air-भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को होम लोन (Home Loan) पर बड़ा ऐलान किया। उसने हाउसिंग लोन पर लोअर रिस्क वेटेज को एक साल के लिए बढ़ा दिया है। केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक के बाद इस फैसले के बारे में बताया। इसका क्या मतलब है, आरबीआई ने यह फैसला क्यों लिया, इससे घर खरीदारों को क्या फायदा होगा? आइए इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
लोअर रिस्क वेटेज एक साल के लिए बढ़ाया गया
आरबीआई ने अक्टूबर 2020 में हाउसिंग लोन पर रिस्क वेटेज में बदलाव किया था। उसने रिस्क वेटेज के लिए सिर्फ लोन-टू-वैल्यू (LTV) रेशियो का इस्तेमाल करने को कहा था। यह बदलाव 31 मार्च, 2022 तक सैंक्शन हो चुके सभी नए हाउसिंग लोन के लिए था। शुक्रवार को आरबीआई ने इस व्यवस्था को एक साल के लिए बढ़ा दिया है। इसका मतलब है कि अब 31 मार्च, 2023 तक सैंक्शन होने वाले सभी हाउसिंग लोन के रिस्क वेटेज के लिए LTV रेशियो का इस्तेमाल होगा।
घर खरीदारों को होगा यह फायदा
आरबीआई के इस उपाय से घर खरीदारों को फायदा होगा। शक्तिकांत दास ने कहा कि इससे हाउसिंग सेक्टर के लिए क्रेडिट फ्लो बढ़ जाएगा। इसका मतलब है कि इससे होम लोन देने वाली फाइनेंस कंपनियों या बैंकों के हाथ में ज्यादा पैसे होंगे। रिस्क वेटेज घटने से उन्हें हाउसिंग लोन पर कम पूंजी का प्रावधान (Capital Provisioning) करना होगा। इससे उनके पास ज्यादा पूंजी बचेगी। इसका इस्तेमाल वे ज्यादा ग्राहकों को हाउसिंग लेने देने के लिए कर सकेंगे।
आरबीआई ने क्यो रिस्क वेटेज घटाया था?
आरबीआई ने अक्टूबर 2020 में हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया था। उसका मानना था कि हाउसिंग सेक्टर को प्रोत्साहन देने से दूसरे कई सेक्टर को भी फायदा होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आरबीआई के इस फैसले से बैंक बैलेंसशीट पर दबाव महसूस किए बैगर ज्यादा ग्राहकों को होम लोन दे सकेंगे।
2020 के सर्कुलर में क्या कहा गया था?
केंद्रीय बैंक ने अक्टूबर 2020 के सर्कुलर में कहा था कि अगर लोन-टू-वैल्यू रेशियो 80 फीसदी या इससे कम है तो हाउसिंग लोन पर 35 फीसदी रिस्क वेटेज का नियम लागू होगा। ऐसे मामलों में जहां एलटीवी 80 फीसदी से ज्यादा लेकिन 90 फीसदी या इससे कम है, वहां रिस्क वेटेज 50 फीसदी होगा। 0.25 फीसदी का स्टैंडर्ड एसेट प्रोविजन का नियम ऐसे सभी लोन पर लागू होगा।