आरबीआई ने कैशफ्री और मोबीक्विक जैसी ऑनलाइन पेमेंट कंपनियों की जांच बढ़ा दी है। माना जा रहा है कि पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस के लिए इन कंपनियों के अप्लिकेशंस रिजेक्ट हो सकते हैं। अंग्रेजी बिजनेस न्यूज वेबसाइट ईकोनॉमिट टाइम्स ने यह खबर दी है।
ईटी ने सूत्र के हवाले से बताया है कि क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजेज और गेमिंस एप्स के साथ कुछ फिनटेक कंपनियों की डीलिंग का पता चलने के बाद आरबीआई ने जांच बढ़ाई है। आरबीआई ने कैशफ्री से नो-योर-कस्टमर (KYC) स्टैंडर्ड, पेआउट बिजनेस, नेट-वर्थ क्राइटेरिया और बतौर क्लाइंट्स ऑनबोर्डिंग बेटिंग एप्स के बारे में सख्त सवाल पूछे हैं।
इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने ईटी को बताया कि आरबीआई ऐसी क्रिप्टोकरेंसी कंपनियों और गेमिंग एप्स जिन पर मनी लॉउंड्रिंग का माध्यम बनने के आरोप लगे हैं, उनसे डीलिंग वाले पेमेंट एग्रीगेटर्स से खुश नहीं है।
एक दूसरे सूत्र ने बताया कि आरबीआई ने ZaakPay का पेमेंट एग्रीगेटर का लाइसेंस और मोबीक्विक का पेमेंट गेटवे सर्विस रोकने का फैसला किया है। इन पर क्रिप्टो एक्सचेंज के साथ डीलिंग करने और नेट-वर्थ क्राइटेरिया का पालन नहीं करने के आरोप हैं।
RBI के नियमों के मुताबिक, पेमेंट एग्रीगेटर्स के लिए अप्लिकेशन के दिन या 31 मार्च 2021 को 15 करोड़ रुपये का नेटवर्थ होना जरूरी है। इसके अलावा फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के अंत तक उनका नेटवर्थ 25 करोड़ रुपये होना चाहिए।
इस बारे में कैशफ्री के प्रवक्ता ने कहा, “हमारे पेमेंट एग्रीगेटर के लाइसेंस पर आरबीआई विचार कर रहा है। हम आधारहीन अटकलों पर टिप्पणी नहीं करते।” मोबीक्विक ने भी टिप्पणी करने से इनकार किया।
पिछले कुछ महीनों से आरबीआई पेमेंट गेटवेज और दूसरी फिनटेक कंपनियों के प्रजेंटेशंस देख रहा है। इन कपनियों ने केंद्रीय बैंक के पास पेमेंट एग्रीगेट लाइसेस के लिए अप्लाई किया है। सूत्रों ने बताया कि आरबीआई ने अभी किसी को लाइसेंस नहीं दिया है। लेकिन वह उन कंपनियों को जल्द उनके लाइसेंस रिजेक्ट होने की जानकारी दे रहा है।
कम से कम 185 फिनटेक कंपनियों ने पेमेंट एग्रीगेटर के लाइसेंस के लिए आरबीआई के पास अप्लाई किया है। इनमें क्रेड. रेजरपे और फोनपे जैसी बड़ी फिनटेक कंपनियां शामिल हैं। आरबीआई ने मार्च 2020 में पेमेंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क पेश किया था। इसमें कहा गया था कि सिर्फ आरबीआई से एप्रूव्ड फर्म ही मर्चेंट्स को पेमेंट सर्विसेज ऑफर कर सकती है।