The News Air-आरबीआई ने शुक्रवार स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) शुरू करने का ऐलान किया। इसका इस्तेमाल सिस्टम में लिक्विडिटी में कमी लाने के लिए होगा। इसका इट्रेस्ट रेट 3.75 फीसदी होगा। केंद्रीय बैंक ने लिक्विडिटी एजजस्टमेंट फैसिलिटी (LAF) और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) शुरू करने का भी ऐलान किया।
आर्थिक गतिविधियां कोरोना पूर्व से स्तर पर पहुंची
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आर्थिकि गतिविधियां कोरोना से पहले के स्तर पर पहुंच गई हैं। इकोनॉमी में रिकवरी जारी है। ऐसे में केंद्रीय बैंक धीरे-धीरे लिक्विडिटी वापस लेने की शुरुआत करेगा। यह काम कई साल में होगा। इसकी शुरुआत इस साल हो जाएगी। दरअसल, कोरोना की महामारी शुरू होने के बाद इकोनॉमी को सपोर्ट देने के लिए केंद्रीय बैंक ने लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए थे।
सिस्टम में 8.5 लाख करोड़ की अतिरिक्त लिक्विडिटी
शक्तिकांत दास ने कहा, “कोरोना को देखते हुए लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए कई तरह के उपाय किए गए थे। आरबीआई ने अपने स्तर पर भी लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए थे। इससे सिस्टम में 8.5 लाख करोड़ की अतिरिक्त लिक्विडिटी है।” उन्होंने कहा कि लिक्विडिटी को वापस लेने में कुछ साल लग जाएंगे। यह दो साल या तीन साल हो सकता है।
आरबीआई लिक्विडिटी की कमी नहीं होने देगा
केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा कि हमारा मकसद सिस्टम में अतिरिक्त लिक्विडिटी में कमी लाना है। हम इसे उस स्तर पर लाना चाहते हैं, जो मौजूदा मॉनेटरी पॉलिसी से मेल खाती हो। उन्होंने कहा कि ऐसा करने के दौरान हम यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि इकोनॉमी की जरूरतें पूरी करने के लिए सिस्टम में किसी तरह की लिक्विडिटी की कमी न हो।
स्टेंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी लिक्विडिटी घटाने में मदद करेगी
सएडीएफ लिक्विडिटी को मैनेज करने के लिए आरबीआई का बड़ा टूल होगा। सबसे पहले 2014 में उर्जित पटेल कमेटी ने स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी शुरू करने की सिफारिश की थी। कई बार बैंकों के पास जरूरत से ज्यादा पैसा हो जाता है तो कई बार उनके पास जरूरत से कम पैसे होते हैं। जरूरत से कम पैसे होने पर वे रेपो रेट के तहत आरबीआई से उधार लेते हैं। इसके लिए उन्हें बतौर कौलेटरल गवर्नमेंट सिक्योरिटीज आरबीआई के पास रखने पड़ते हैं।