Ravneet Bittu on Congress: पंजाब की सियासत में इन दिनों ठंड के मौसम में भी बयानों की गर्मी महसूस की जा रही है। पहले नवजोत कौर सिद्धू के ‘500 करोड़ की अटैची’ वाले बयान ने भूचाल लाया, फिर कैप्टन अमरिंदर सिंह की कांग्रेस वापसी की चर्चाओं ने जोर पकड़ा। लेकिन अब कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने सियासी गलियारों में खलबली मचा दी है।
बिट्टू ने न सिर्फ कैप्टन की कांग्रेस वापसी की अटकलों पर पूर्णविराम लगा दिया है, बल्कि अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस पर बेहद गंभीर आरोप भी लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि जब कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री थे, तो कांग्रेस हाईकमान उन पर पैसों का दबाव बनाता था।
‘पार्टी फंड के नाम पर 500 करोड़ की डिमांड’
रवनीत बिट्टू ने एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा कि दिल्ली में बैठकों के दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह से कहा जाता था कि पंजाब पर पार्टी का फंड बकाया है। बिट्टू ने बताया, “उनसे कहा जाता था कि पंजाब के ऊपर कांग्रेस पार्टी का फंड इतने साल से नहीं आया है। अब यह डबल होकर 500 करोड़ हो गया है। 100 करोड़ पिछली बार देना था, वो भी नहीं दिया।”
बिट्टू का दावा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली की मीटिंग्स इसलिए स्किप कर जाते थे क्योंकि वहां पैसों की बात होती थी। हाईकमान उनसे कहता था कि मलाईदार मंत्रालय उन लोगों को दिए जाएं जहां से पैसा आ सके।
‘70% नाराजगी पैसा न पहुंचाने की थी’
बीजेपी नेता ने यह भी आरोप लगाया कि कैप्टन को मुख्यमंत्री पद से हटाने के पीछे 70% वजह यही थी कि उन्होंने हाईकमान तक पैसा नहीं पहुंचाया। बिट्टू ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व बार-बार नाराज होता था क्योंकि कैप्टन कहते थे, “मैं करप्शन और लूटपाट नहीं करता, आप बताओ मैं यह काम कैसे करूं?”
बिट्टू के मुताबिक, कांग्रेस के बड़े कार्यक्रमों और रैलियों का खर्चा उठाने की जिम्मेदारी हमेशा पंजाब पर डाली जाती थी। उन्होंने नवजोत कौर सिद्धू के हालिया बयान को भी इसी संदर्भ में जोड़ा। उन्होंने कहा कि सिद्धू परिवार की तरफ से जो ‘रेट’ और ‘टैचियों’ की बात आई है, वो इसी वजह से है कि कैप्टन के जाने के बाद क्या हुआ।
‘मोतीलाल वोरा और अहमद पटेल का जिक्र’
अपने बयान में बिट्टू ने कांग्रेस के दिवंगत नेताओं मोतीलाल वोरा और अहमद पटेल का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी खुद बात नहीं कर पाते थे, इसलिए अहमद पटेल को दूसरे कमरे में बैठाया जाता था और उनके जरिए फंड की बात की जाती थी। मोतीलाल वोरा उस समय कोषाध्यक्ष थे। बिट्टू ने कहा कि यह सब बातें कैप्टन ने उनसे शेयर की थीं।
आम जनता पर असर और सियासी मायने
रवनीत बिट्टू के इन आरोपों ने पंजाब कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया है। अगर ये आरोप सही साबित होते हैं, तो यह दिखाता है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां सत्ता का इस्तेमाल ‘फंड कलेक्शन’ के लिए करती हैं, जिसका सीधा असर जनता की जेब और प्रदेश के विकास पर पड़ता है। 2027 के पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के लिए यह एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
‘जानें पूरा मामला’
हाल ही में नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने एक बयान दिया था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने के लिए ‘500 करोड़ की अटैची’ दी गई थी। इसके बाद कैप्टन की कांग्रेस में वापसी की अफवाहें उड़ीं। अब रवनीत बिट्टू ने इन अफवाहों को खारिज करते हुए कांग्रेस हाईकमान पर ही भ्रष्टाचार के लिए दबाव बनाने का आरोप मढ़ दिया है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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बड़ा आरोप: बिट्टू ने कहा, कांग्रेस हाईकमान कैप्टन से 500 करोड़ रुपये के फंड की मांग करता था।
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दिल्ली मीटिंग: पैसों की मांग से बचने के लिए कैप्टन अक्सर दिल्ली की बैठकें टाल देते थे।
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नाराजगी की वजह: कैप्टन द्वारा पैसा न पहुंचाना ही उनकी कुर्सी जाने की मुख्य वजह बनी।
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भ्रष्टाचार का दबाव: बिट्टू का दावा, हाईकमान कहता था- ‘हमें फर्क नहीं पड़ता, पैसा लाओ’।
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वापसी नहीं: बिट्टू ने साफ किया कि कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस में वापस नहीं जाएंगे।






