नई दिल्ली, 23 मार्च (The News Air) रानाघाट पश्चिम बंगाल के घनी आबादी वाले शहरों में से एक है. यह अपने हथकरघा उद्योग, विभिन्न प्रकार के फूलों और फूलों की खेती और फूल बाजार के लिए जाना जाता है. भारत की स्वतंत्रता के बाद रानाघाट को नादिया के जिला मुख्यालय के रूप में चुना गया था, लेकिन बाद में इसके बजाय कृष्णानगर शहर को मुख्यालयबनाया गया. शहर के नाम रानी (रानी) या राणा (एक राजपूत योद्धा) और घाट (नदी की ओर जाने वाली सीढ़ियां) से रखे गए हैं. एक मिथक अभी भी प्रचलित है कि शहर का नाम डाकू ‘राणा डकैत’ के नाम पर पड़ा है, जो पांच या छह सौ साल पहले इस क्षेत्र को लूटता था और वह देवी काली की पूजा किया करता था.
रानाघाट की आबादी का एक बड़ा हिस्सा बांग्लादेश से आए हिंदू शरणार्थियों के परिवार हैं, जो 1971 में पाकिस्तान के साथ बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान आकर बसे हैं. बांग्लादेश से आए मतुआ समुदाय का इस इलाके में बाहुल्य है और चुनाव में हार-जीत में उनकी अहम भूमिका होती है.
रानाघाट ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. फिल्म अभिनेत्री राखी गुलजार का जन्म और पालन-पोषण रानाघाट की एक शरणार्थी कॉलोनी में हुआ था. एथलीट और ओलंपियन सोमा बिस्वास रानाघाट से हैं. कृष्णा पंती को “बंगाल के 5 महान महानुभावों” में से एक के रूप में जाना जाता था.
उन्होंने और उनके वंशज पाल-चौधरी परिवार ने भूमि दान की और शहर के कई मंदिरों का निर्माण किया. उन्हें पाल-चौधरी की उपाधि दी गई और वे नादिया के एक विशाल क्षेत्र के जमींदार बन गए. स्कॉटिश वास्तुकारों को नियुक्त करते हुए, उन्होंने महलनुमा इमारतें, मंदिर और उद्यान बनवाए, जो इस क्षेत्र की एकमात्र ऐसी इमारतें हैं जो ज्यादातर बरकरार रहीं.
रानाघाट की राजनीतिक पृष्ठभूमि : रानाघाट (एससी) संसदीय क्षेत्र पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में स्थित है. रानाघाट संसदीय सीट का अस्तित्व साल 2009 में आया था. उसके पहले यह क्षेत्र नवद्वीप लोकसभा के अधीन था. दो लोकसभा चनावों के दौरान इस सीट पर टीएमसी का कब्जा था, लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के जगन्नाथ सरकार ने जीत हासिल की. जगन्नाथ सरकार मतुआ समुदाय से हैं और बीजेपी के सीएए लागू करने की घोषणा के बाद मतुआ समुदाय के लोगों ने बीजेपी का खुलकर समर्थन किया था.
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी फिर से सांसद जग्ननाथ सरकार को उम्मीदवार बनाया है, जबकि टीएमसी ने मुकुट मणि अधिकारी और माकपा ने रामा बिस्वास को उम्मीदवार बनाया है.
रानाघाट का सामाजिक ताना-बाना : लोकसभा क्षेत्र की साक्षरता दर 67.35% है. रानाघाट (एससी) संसद सीट पर एससी मतदाताओं की संख्या लगभग 637,590 है, जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 36.3% है. रानाघाट (एससी) संसद सीट पर एसटी मतदाता लगभग 63,232 हैं, जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 3.6% है. रानाघाट (एससी) संसद सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 171,876 है, जो मतदाता सूची विश्लेषण के अनुसार लगभग 9.8% है.
इस सीट पर ग्रामीण मतदाताओं की संख्या लगभग 1,036,303 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 59% है. इस सीट पर शहरी मतदाता लगभग 720,142 हैं, जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 41% है. कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का अनुपात क्रमशः 35.98 और 3.57 है. जाति जनसंख्या के अनुसार बौद्ध 0.01%, ईसाई 0.65%, जैन 0.01%, मुस्लिम 9.8%, एससी 36.3%, एसटी 3.6% और सिख 0.02% फीसदी हैं. 2021 की मतदाता सूची के अनुसार, इस निर्वाचन क्षेत्र में 1833975 मतदाता और 2548 मतदान केंद्र हैं.
रानाघाट की सात में से छह विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा : शांतिपुर, कृष्णगंज (एससी), चकदहा, रानाघाट दक्षिण (एससी), रानाघाट उत्तर पूर्व (एससी), रानाघाट उत्तर पश्चिम, कृष्णानगर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र रानाघाट लोकसभा क्षेत्र में आते हैं. पिछले 2021 विधानसभा चुनाव के अनुसार, रानाघाट (एससी) संसद क्षेत्र से टीएमसी के पास 1 विधायक और भाजपा के पास 6 विधायक हैं. नवद्वीप से टीएमसी के पुंडरीकाक्ष्य साहा, शांतिपुर से बीजेपी के जगन्नाथ सरकार, रानाघाट उत्तर पश्चिम से बीजेपी के पार्थसारथी चटर्जी, कृष्णगंज (एससी) से बीजेपी के आशीष कुमार विश्वास, रानाघाट उत्तर पूर्व (एससी) से बीजेपी के असीम बिस्वास, रानाघाट दक्षिण (एससी) से बीजेपी के मुकुट मणि अधिकारी और चकदाहा से बीजेपी के बंकिम चंद्र घोष विधायक हैं.
2019 के चुनाव में बीजेपी ने पहली बार हासिल की जीत : साल 2019 के लोकसभा चुनाव में रानाघाट लोकसभा सीट पर बीजेपी के जगन्नाथ सरकार ने टीएमसी की रूपाली बिस्वास को हराकर 2,33,428 वोटों के अंतर से जीत हासिल की. जगन्नाथ सरकार को 7,83,253 वोट मिले थे. टीएमसी की रूपाली बिस्वास को 5,49,825 वोट के साथ 37.05 फीसदी मत मिले. सीपीआई (एम) की रामा विश्वास को 97,771 वोट के साथ 6.59 फीसदी मत मिले. कांग्रेस की मिनती बिस्वास को 23,297 वोट के साथ 1.57 फीसदी मत मिले. नोटा को 9,137 मत के साथ 0.62 फीसदी मत मिले.
2019 के संसदीय चुनाव में मतदाता मतदान 84.26% था, जबकि 2014 के संसदीय चुनाव में यह 84.45% था. 2019 के संसदीय चुनाव में टीएमसी, बीजेपी, सीपीएम और कांग्रेस को क्रमशः 37.05%, 52.78%, 6.59% और 1.57% वोट मिले.
टीएमसी का रहा है दबदबा : 2014 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी के तापस मंडल को 5,90,451 वोट के साथ 43.63 फीसदी मत मिले और जीत हासिल की. सीपीआई (एम) की अर्चना विश्वास को 3,88,684 वोट के साथ 28.72 फीसदी मत मिले थे. भाजपा के डॉ. सुप्रभात विश्वास को 2,33,670 वोट के साथ 17.27 फीसदी और कांग्रेस के प्रताप कांति रे को 92,218 वोट के साथ 6.81 फीसदी मत मिले थे.
2009 में पहली बार यह लोकसभा सीट गठित हुई थी. टीएमसी के तापस पॉल को 443,679 वोट के साथ 42.43 फीसदी मत मिले. बांग्ला फिल्मों के सुपर स्टार कहे जाने वाले तापस पॉल ने जीत हासिल की. सीपीआई (एम) की ज्योतिर्मयी सिकदर को 366,293 वोट के साथ 35.03 फीसदी मत मिले. ज्योतिर्मयी सिकदर एथलीट थी और एशियन गेस्म में पदक भी जीता था. बाद में वह माकपा में शामिल हो गई थी. बीजेपी के सत्यब्रत मुखर्जी को 175,283 वोट के साथ 16.76 फीसदी मत मिले.