Ram Rajya Reality vs Corruption अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामराज्य, सत्य और मर्यादा की बड़ी-बड़ी बातें कीं। उन्होंने कहा कि हमें प्रभु राम से सीखना होगा और उनके आदर्शों को अपनाना होगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या पिछले 12 सालों में देश की संस्थाएं और खुद सरकार इन आदर्शों पर चल पाई है? जिस रामराज्य में न्याय और सत्य सर्वोपरि होता है, वहां आज कॉरपोरेट दबाव, चुनावी चंदे और बैंक फ्रॉड करने वालों के लिए अलग नियम क्यों नजर आ रहे हैं?
देश की जनता को रामराज्य का सपना दिखाया जा रहा है, लेकिन हकीकत के धरातल पर जो घटनाएं घट रही हैं, वे चिंताजनक हैं। चाहे वह अडानी समूह द्वारा सरकार पर दबाव बनाना हो, टाटा को सब्सिडी के बदले चंदा हो, या फिर हजारों करोड़ का गबन करने वाले संदेशरा ब्रदर्स को राहत देने की बात हो—हर तरफ विरोधाभास दिखाई दे रहा है।
‘अडानी की कंपनी और सरकार की मजबूरी’
रामराज्य में सत्य की जीत होती है, लेकिन आज के दौर में कॉरपोरेट की ‘आर्म ट्विस्टिंग’ (दबाव) की जीत हो रही है। ‘स्क्रोल’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जयपुर की जिला अदालत में राजस्थान सरकार ने खुद स्वीकार किया कि अडानी समूह की एक कोयला खनन कंपनी ने ऐसे तरीके अपनाए कि सरकार को झुकना पड़ा।
आरोप है कि कंपनी ने बिजली आपूर्ति रोकने का डर दिखाकर सरकार से ट्रांसपोर्ट के नाम पर 1400 करोड़ रुपये का भुगतान करवा लिया। सरकार ने कहा कि दबाव और वसूली का तरीका अपनाया गया। हालांकि, अदालत ने कंपनी पर 50 लाख का जुर्माना लगाया और सीएजी जांच के आदेश दिए, लेकिन 13 दिनों के भीतर ही इस आदेश पर रोक लग गई। सवाल यह है कि क्या रामराज्य में सत्ता कॉरपोरेट के आगे बेबस हो सकती है?
‘टाटा को सब्सिडी और बीजेपी को चंदा’
पारदर्शिता रामराज्य का एक अहम स्तंभ है, लेकिन हाल ही में हुए एक घटनाक्रम ने इस पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। फरवरी 2024 में मोदी सरकार की कैबिनेट ने टाटा समूह की दो सेमीकंडक्टर यूनिट्स को मंजूरी दी। सरकार ने फैसला किया कि यूनिट लगाने के खर्च का आधा पैसा यानी 44,203 करोड़ रुपये की सब्सिडी टाटा समूह को दी जाएगी।
हैरानी की बात यह है कि इस फैसले के महज 4 सप्ताह बाद टाटा समूह ने बीजेपी को 758 करोड़ रुपये का चंदा दिया। जनता को बताया जाता है कि देश सुपरपावर बन रहा है, लेकिन पर्दे के पीछे सब्सिडी और चंदे का यह गणित आम आदमी की समझ से परे रखा जाता है। क्या नीतिगत फैसलों और चुनावी चंदे के बीच का यह रिश्ता नैतिकता के दायरे में आता है?
‘भगोड़े संदेशरा ब्रदर्स को राहत की तैयारी’
न्याय सबके लिए बराबर होना चाहिए, लेकिन नितिन और चेतन संदेशरा जैसे भगोड़ों के लिए सिस्टम नरम क्यों है? इन दोनों भाइयों पर हजारों करोड़ के बैंक फ्रॉड का आरोप है और वे 2017 में देश छोड़कर अल्बानिया भाग गए थे। उन्हें ‘फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर्स’ (भगोड़ा आर्थिक अपराधी) घोषित किया गया था।
अब सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि अगर वे बैंक के बकाये का एक-तिहाई हिस्सा यानी करीब 5100 करोड़ रुपये लौटा देते हैं, तो उनके खिलाफ आपराधिक मामले खत्म किए जा सकते हैं। ईडी दफ्तर में इस बात का जश्न मनाया जा रहा है कि पीएमएलए के तहत यह बड़ी रिकवरी होगी। लेकिन सवाल यह है कि जिस पैसे से उन्होंने अपराध करके संपत्ति बनाई और देश की एजेंसियों का समय बर्बाद किया, उन्हें सजा से मुक्ति क्यों? क्या आम आदमी को लोन न चुकाने पर ऐसी माफी मिलती?
‘खेल के मैदान में मौत और 2030 का सपना’
एक तरफ 2030 में अहमदाबाद में कॉमनवेल्थ गेम्स कराने का सपना बेचा जा रहा है, तो दूसरी तरफ बुनियादी ढांचे की कमी जान ले रही है। हरियाणा में बास्केटबॉल कोर्ट का खंभा गिर जाने से 48 घंटे के भीतर अमन और हार्दिक राठी जैसे होनहार खिलाड़ियों की मौत हो गई। हार्दिक नेशनल लेवल का खिलाड़ी था।
इन मौतों पर कोई शोर नहीं मचा, कोई जवाबदेही तय नहीं हुई। 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स के भ्रष्टाचार पर जो शोर मचा था, आज 15 साल बाद सुरेश कलमाड़ी के खिलाफ जांच में ‘क्लोजर रिपोर्ट’ फाइल कर दी गई है। यानी इतने सालों के बाद भी हाथ कुछ नहीं लगा। क्या यही वह न्याय है जिसकी कल्पना रामराज्य में की गई थी?
‘जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार की सेंध’
‘इकोनॉमिक टाइम्स’ की रिपोर्ट बताती है कि जल जीवन मिशन में भी भ्रष्टाचार की दीमक लग चुकी है। रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने कहा है कि जब तक राज्य सरकारें भ्रष्टाचार पर एक्शन नहीं लेंगी, नया फंड नहीं मिलेगा। गुजरात में एक कॉन्ट्रैक्टर पर 120 करोड़ का जुर्माना लगाया गया, लेकिन उसने सिर्फ 6.65 करोड़ जमा किए।
यह कॉन्ट्रैक्टर कौन है, इसका नाम रिपोर्ट में नहीं है। अब तक 621 अधिकारियों और 969 ठेकेदारों के खिलाफ एक्शन की बात कही जा रही है। 3.5 लाख करोड़ की इस योजना में अगर इतनी बड़ी संख्या में ठेकेदार गड़बड़ी कर रहे हैं, तो समझिए कि लूट का स्तर क्या होगा।
‘जहरीली हवा और झूठे वादे’
रामराज्य में प्रजा के स्वास्थ्य की चिंता राजा का धर्म होता है। लेकिन आज दिल्ली समेत देश के 60% जिलों में लोग जहरीली हवा (PM 2.5) में सांस लेने को मजबूर हैं। 15 अगस्त 2022 को पीएम मोदी ने 100 शहरों को प्रदूषण मुक्त करने का प्रण लिया था, जो आज तक पूरा नहीं हुआ। पर्यावरण मंत्री खामोश हैं और लोग बीमार पड़ रहे हैं।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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राजस्थान सरकार ने कोर्ट में माना कि अडानी की कंपनी ने दबाव डालकर 1400 करोड़ रुपये वसूले।
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टाटा समूह को 44,203 करोड़ की सब्सिडी मिलने के 4 हफ्ते बाद बीजेपी को 758 करोड़ का चंदा मिला।
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बैंक फ्रॉड के आरोपी संदेशरा ब्रदर्स द्वारा कुछ पैसा लौटाने पर उनके आपराधिक केस खत्म हो सकते हैं।
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हरियाणा में खंभा गिरने से दो खिलाड़ियों की मौत हुई, जबकि 2030 कॉमनवेल्थ के सपने दिखाए जा रहे हैं।






