Ayodhya Ram Mandir Dhwajarohan अयोध्या में राम मंदिर का संपूर्ण निर्माण होने के बाद, आज (25 नवंबर) इसके शिखर पर केसरिया धर्म ध्वज फहराया गया। यह ध्वजारोहण सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सदियों की तपस्या के बाद वैभव और आध्यात्मिक शक्ति की पुन:स्थापना का प्रतीक माना जा रहा है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिलकर इस अलौकिक ध्वज की स्थापना की।
अभिजीत मुहूर्त पर ही क्यों फहराया ध्वज?
राम मंदिर पर आज ध्वजारोहण अभिजीत मुहूर्त (सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:29 बजे तक) में हुआ। साधु-संतों के मुताबिक, यह समय इसलिए चुना गया क्योंकि माना जाता है कि भगवान राम का जन्म इसी अभिजीत मुहूर्त में हुआ था। इतना ही नहीं, आज की तिथि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी है, जिसे विवाह पंचमी तिथि भी कहते हैं, क्योंकि त्रेता युग में इसी तिथि को भगवान राम और मां जानकी का विवाह हुआ था।
ध्वज में छिपा है सूर्यवंश का रहस्य
राम मंदिर के शिखर पर फहराए गए इस धर्म ध्वज की बनावट और प्रतीक चिन्ह इसके आध्यात्मिक महत्व को कई गुना बढ़ा देते हैं।
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आकार: ध्वजा की लंबाई 22 फीट और चौड़ाई 11 फीट है, जिसे 42 फीट के ध्वज दंड पर स्थापित कर 161 फीट ऊंचे शिखर पर पहुंचाया गया है।
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रंग का अर्थ: केसरिया रंग सनातन परंपरा में त्याग, बलिदान, वीरता, भक्ति, ज्ञान और पराक्रम का प्रतीक माना गया है।
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तीन चिन्ह: ध्वज पर तीन प्रमुख चिन्ह अंकित हैं— सूर्य, ओम और कोविदार वृक्ष। यह ध्वज अयोध्या के इतिहास और सूर्यवंश की परंपरा का प्रतीक माना जाता है।
कोविदार वृक्ष और ओम का महत्व
कोविदार वृक्ष (जो आज के कचनार के पेड़ जैसा दिखता है) का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है और इसे पारिजात और मंदार के दिव्य संयोग से बना वृक्ष माना गया है।
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रघुवंश की परंपरा में कोविदार वृक्ष को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है, और सूर्यवंश के राजाओं के ध्वज पर सदियों से इसी वृक्ष का प्रतीक अंकित होता आया है। यहां तक कि वाल्मीकि रामायण में भरत के ध्वज पर भी इसका वर्णन मिलता है।
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ओम, जो सभी मंत्रों का प्राण है, ध्वजा पर अंकित होने से यह संपूर्ण सृष्टि का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य देवता को विजय का प्रतीक माना जाता है।
बुरी शक्तियों से रक्षा करता है ध्वज
शास्त्रों और गरुड़ पुराण के मुताबिक, मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराने की परंपरा बहुत पुरानी है।
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देवत्व का प्रतीक: शिखर पर ध्वज लगाना मंदिर में भगवान की उपस्थिति का प्रतीक होता है।
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रक्षक: इसे मंदिर का रक्षक कहा जाता है, जो मंदिर को बुरी शक्तियों से दूर रखता है और नकारात्मक शक्तियों को घर नहीं करने देता।
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पवित्र क्षेत्र: जिस दिशा में यह ध्वज लहराता है, वह पूरा इलाका पवित्र माना जाता है और दिव्य ऊर्जा का संचार करता है।
क्या है पृष्ठभूमि
त्रेता युग का उत्सव भगवान राम के जन्म का था, और आज यह समारोह उनके मंदिर निर्माण के पूर्ण होने की घोषणा है। रघुकुल तिलक के मंदिर शिखर पर जब यह ध्वजा लहराएगी, तो यह पूरे संसार को संदेश देगी कि अयोध्या में रामराज की पुन:स्थापना हो गई है।
मुख्य बातें (Key Points)
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अयोध्या राम मंदिर पर ध्वजारोहण आज अभिजीत मुहूर्त और विवाह पंचमी तिथि के संयोग में हुआ।
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ध्वज 22 फीट लंबा, 11 फीट चौड़ा है, जिस पर सूर्य, ओम और कोविदार वृक्ष जैसे तीन पवित्र चिन्ह अंकित हैं।
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केसरिया ध्वज सूर्यवंश की थाती का प्रतीक है, जिसे रघुवंश के राजा सदियों से अपने ध्वज पर अंकित करते आए हैं।
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शास्त्रों के अनुसार, मंदिर के शिखर पर ध्वज देवता की उपस्थिति, पवित्रता, और बुरी शक्तियों से रक्षक का प्रतीक होता है।






