‘हम सीखने के साथ जिंदगी की शुरुआत करते हैं और बिना सब कुछ सीखे हमारा जीवन खत्म हो जाता है।’ जानेमाने निवेशक राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) अपने बच्चों (बेटी और दो बेटों) को यही संदेश देना चाहते थे। झुनझुनवाला ने अपने 60वें जन्मदिन पर सीएनबीसी-टीवी 18 (CNBC-TV18) को दिए इंटरव्यू में कहा था कि वह चाहते हैं कि उनके बच्चे कभी सीखना बंद नहीं करें और न ही कभी यह सोचें कि वे सब कुछ जानते हैं। उन्होंने कहा था, ‘जानने/सीखने की खोज यात्रा है, न कि मंजिल।’
उनकी दूसरी सलाह स्वतंत्र सोच की अहमियत के बारे में थी। उनका कहना था कि व्यक्तित्व के विकास के लिए स्वतंत्र सोच का होना जरूरी है। झुनझुनवाला अक्सर कहा करते थे कि उनके पिता ने स्वतंत्र सोच विकसित करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया। झुनझुनवाला का कहना था कि वह अपने बच्चों को भी इसी तरह की सलाह देंगे। उन्होंने कहा था, ‘यह जरूरी नहीं है कि हम किसी शख्स की सारी बातें स्वीकार कर लें। साथ ही, हमें किसी की सारी बातों को खारिज भी नहीं करना चाहिए। आपकी स्वतंत्र सोच होनी चाहिए।’
झुनझुनवाला का यह भी मानना था कि पैसा कमाना ही जिंदगी का सबसे बड़ा सुख नहीं हो सकता है। वह नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे पैसे कमाने के पीछे भागते हुए पूरी जिदंगी बिता दें। झुनझुनवाला का कहना था कि उनके बच्चे वह काम करें, जो उन्हें पसंद है।
आखिर में, झुनझुनवाला ने कहा था कि वह चाहते हैं कि उनके बच्चे खुद में अपनी मां (पत्नी रेखा) के गुण विकसित करें। इसके अलावा, वे बेहतर शिक्षा हासिल करें, ईमानदार और स्वतंत्र बनें और समाज को कुछ देने का जज्बा रखें। उन्होंने कहा था, ‘मैं चाहता हूं कि वे स्वतंत्र दिमाग वाले इंसान बनें। मैं उम्मीद करता हूं कि वे अच्छे, परोपकारी और जिम्मेदार नागरिक बनेंगे।’