Rajendra Panchal Jaw Surgery सोशल मीडिया की दुनिया जितनी आभासी है, उतनी ही क्रूर भी हो सकती है। पुणे के रहने वाले एक शख्स की पुरानी तस्वीर पर सात समंदर पार अमेरिका में भद्दे कमेंट्स किए गए और उनका मजाक उड़ाया गया, लेकिन जब उनकी असली कहानी और संघर्ष सामने आया, तो हर संवेदनशील इंसान की रूह कांप गई। यह दास्तां 37 साल के असहनीय दर्द, एक दुर्लभ बीमारी और मेडिकल साइंस के चमत्कार की है।
महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले राजेंद्र पांचाल की एक तस्वीर, जो 2017 से पहले की थी, इंटरनेट पर वायरल हुई। इस तस्वीर में उनका चेहरा कुछ अलग दिख रहा था, जिसे लेकर अमेरिका में लोगों ने ओछापन दिखाया। उनकी मेडिकल कंडीशन का मजाक उड़ाया गया और बेहद आपत्तिजनक बातें लिखी गईं।
‘शारीरिक कमी पर हंसना नैतिक दिवालियापन’
राजेंद्र की तस्वीर पर आए भद्दे कमेंट्स के बाद सोशल मीडिया पर एक विवाद छिड़ गया। हालांकि, कई भारतीय यूजर्स उनके समर्थन में उतर आए। अभिषेक कुमार नाम के एक यूजर ने ट्रोल करने वालों को करारा जवाब देते हुए लिखा कि किसी की मेडिकल कंडीशन के आधार पर नस्लभेदी (Resist) कमेंट करना बोलने की आजादी नहीं, बल्कि ‘नैतिक दिवालियापन’ है।
वहीं, दानिश नाम के एक अन्य यूजर ने लिखा कि “रूह दागदार है उनकी, जो एक जिस्म के दाग पर हंसते हैं।” यह सिर्फ एक तस्वीर नहीं थी, बल्कि इसके पीछे राजेंद्र का 37 साल का लंबा संघर्ष छिपा था, जिसे लोग देख नहीं पा रहे थे।
1 साल की उम्र में टेढ़ा हो गया था जबड़ा
राजेंद्र पांचाल का जीवन बचपन से ही चुनौतियों से भरा रहा। जब वह महज एक साल के थे, तब उनका एक एक्सीडेंट हो गया था। इस हादसे में उनका जबड़ा टेढ़ा हो गया था। मुसीबत यहीं खत्म नहीं हुई, वह एक दुर्लभ बीमारी की चपेट में भी आ गए।
हालत इतनी बिगड़ गई कि उनका मुँह ठीक से खुल ही नहीं पाता था। इस तकलीफ के साथ उन्होंने अपनी जिंदगी के 37 साल गुजार दिए। इस दौरान न तो वह ठीक से बोल पाते थे और न ही सामान्य इंसानों की तरह खाना खा पाते थे।
‘टेंपो मेंडीबुलर जॉइंट एंक्लोसिस’ का शिकार
डॉक्टरों के मुताबिक, राजेंद्र को ‘टेंपो मेंडीबुलर जॉइंट एंक्लोसिस’ (Temporomandibular Joint Ankylosis) नाम की दुर्लभ बीमारी थी। इस स्थिति में चेहरे का जोड़ खोपड़ी की हड्डी से जुड़कर पूरी तरह जाम हो जाता है।
परिवार वालों ने बताया कि इलाज से पहले तक राजेंद्र खाने में सिर्फ लिक्विड (तरल) और सेमी-लिक्विड फूड ही ले पाते थे। ठोस खाना न खा पाने की वजह से वह कई वर्षों तक कुपोषण का शिकार भी रहे। उनकी यह पीड़ा तब तक बनी रही जब तक उन्हें सही इलाज नहीं मिला।
दांत के दर्द ने खोली इलाज की राह
राजेंद्र की किस्मत तब बदली जब उन्हें दांत में दर्द की शिकायत हुई। जब वे डॉक्टर के पास गए, तो उन्हें सर्जरी की सलाह दी गई। उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों ने उन्हें ‘एमए रंगूनवाला कॉलेज ऑफ डेंटल साइंसेस एंड रिसर्च सेंटर’ रेफर कर दिया।
यहाँ डॉक्टर जेबी गार्डे और डॉक्टर गौरव खुटवद ने मुख्य भूमिका निभाते हुए उनकी सर्जरी का जिम्मा उठाया। यह सर्जरी करीब 4 घंटे तक चली। इस जटिल प्रक्रिया के दौरान डॉक्टरों ने उनकी खोपड़ी से जुड़ी जबड़े की हड्डी को अलग किया।
मुफ्त सर्जरी से मिली नई जिंदगी
सर्जरी बेहद सफल रही और चमत्कारिक परिणाम सामने आए। ऑपरेशन के बाद राजेंद्र का मुँह अब 45 मिलीमीटर तक खुलने लगा है। उनका जबड़ा फिर से ठीक हो गया है। अब वह ठोस खाना (Solid Food) खा सकते हैं और ठीक से बोल भी पाते हैं।
सबसे राहत की बात यह रही कि राजेंद्र पांचाल को यह सर्जरी पूरी तरह मुफ्त में मिली, क्योंकि वह इसका भारी-भरकम खर्च उठाने में सक्षम नहीं थे। 2017 में हुई इस सर्जरी के बाद उनकी और उनके परिवार की जिंदगी बदल गई है, जो पहले उनकी स्थिति को लेकर हमेशा चिंतित रहते थे।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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राजेंद्र पांचाल की पुरानी तस्वीर पर अमेरिका में मजाक उड़ाया गया, जिसका सोशल मीडिया पर विरोध हुआ।
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बचपन में हुए एक्सीडेंट और दुर्लभ बीमारी के कारण 37 साल तक उनका मुँह नहीं खुलता था।
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पुणे के डॉक्टरों ने 4 घंटे की सर्जरी करके उनके जबड़े को ठीक किया।
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आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण राजेंद्र की यह जटिल सर्जरी मुफ्त में की गई।






