Rajdhani Express Elephant Accident की खबर ने एक बार फिर इंसान और वन्यजीवों के बीच के संघर्ष को उजागर कर दिया है।
असम के लुमडिंग डिवीजन में शनिवार तड़के एक बड़ा रेल हादसा हुआ है, जिसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। होजाई जिले में सैरांग से नई दिल्ली (आनंद विहार) जा रही राजधानी एक्सप्रेस अचानक पटरी पर आए जंगली हाथियों के एक विशाल झुंड से टकरा गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि ट्रेन का इंजन और चार डिब्बे पटरी से नीचे उतर गए। इस दुखद घटना में 8 हाथियों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि सैकड़ों यात्रियों की जान पर बन आई।
रात के अंधेरे में मौत का तांडव
घटना रात के करीब 2:30 बजे की है, जब ट्रेन अपनी पूरी रफ्तार में थी। जमुनामुख और कामपुर सेक्शन के बीच घने अंधेरे में लोको पायलट को अचानक रेलवे ट्रैक पर करीब 100 हाथियों का एक झुंड दिखाई दिया। पायलट ने सूझबूझ दिखाते हुए तुरंत इमरजेंसी ब्रेक लगाए और ट्रेन की स्पीड को कंट्रोल करने की कोशिश की, लेकिन दूरी कम होने के कारण टक्कर को पूरी तरह टाला नहीं जा सका। भारी-भरकम हाथियों से टकराने के बाद ट्रेन के पहिए पटरी छोड़ गए और एक जोरदार झटके के साथ इंजन समेत 5 डिब्बे (इंजन प्लस 4 कोच) डिरेल हो गए।
लोको पायलट की सूझबूझ से बचीं 650 जानें
इस भयावह हादसे में गनीमत यह रही कि ट्रेन में सवार सभी यात्री सुरक्षित हैं। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, ट्रेन में कुल 650 यात्री सवार थे, जिनमें से करीब 200 यात्री उन डिब्बों में थे जो पटरी से उतरे। अगर लोको पायलट ने समय रहते इमरजेंसी ब्रेक लगाकर स्पीड कम न की होती, तो यह हादसा एक बड़ी मानवीय त्रासदी में बदल सकता था। यात्रियों को कोई चोट नहीं आई है और उन्हें दूसरे कोच में शिफ्ट करके सुरक्षित गंतव्य की ओर भेज दिया गया है।
अधिकारियों का बयान और रेस्क्यू ऑपरेशन
वन विभाग और रेलवे के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि हादसे में हाथियों को भारी नुकसान पहुंचा है। हालांकि एंकर ने 8 हाथियों की मौत की बात कही है, वहीं एक रेलवे अधिकारी ने शुरुआती जानकारी में 6 हाथियों के मारे जाने की पुष्टि की है। हादसे के तुरंत बाद लुमडिंग डिवीजन में रेल परिचालन बाधित हो गया। रेलवे की टीमें युद्धस्तर पर रिस्टोरेशन (बहाली) के काम में जुटी हैं ताकि ट्रैक को साफ कर नॉर्मल रेल ऑपरेशन दोबारा शुरू किया जा सके।
विश्लेषण: विकास की पटरी और वन्यजीवों का रास्ता (Analysis)
यह घटना केवल एक हादसा नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर भारत में रेलवे नेटवर्क और ‘एलीफेंट कॉरिडोर’ के बीच के गंभीर टकराव का प्रमाण है। जब 100 हाथियों का झुंड ट्रैक पार कर रहा हो, तो यह समझा जा सकता है कि यह उनका नियमित रास्ता रहा होगा। हालांकि लोको पायलट की तारीफ होनी चाहिए कि उसने सैकड़ों इंसानी जानें बचा लीं, लेकिन 8 विशालकाय जीवों की मौत एक अपूरणीय क्षति है। यह घटना सवाल उठाती है कि संवेदनशील वन क्षेत्रों में ट्रेनों की गति और निगरानी को लेकर अब तक कोई ठोस ‘वार्निंग सिस्टम’ (AI आधारित या सेंसर) पूरी तरह प्रभावी क्यों नहीं हो पाया है? बेजुबानों की मौत की कीमत पर विकास की रफ्तार का यह मॉडल चिंताजनक है।
जानें पूरा मामला
शनिवार सुबह असम के होजाई जिले में लुमडिंग डिवीजन के अंतर्गत सैरांग-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस जंगली हाथियों के झुंड से टकरा गई। टक्कर के कारण ट्रेन बेपटरी हो गई और कई हाथियों की जान चली गई। राहत की बात यह रही कि किसी भी यात्री के हताहत होने की खबर नहीं है। रेलवे प्रशासन ने यात्रियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की है और ट्रैक को साफ करने का काम जारी है।
मुख्य बातें (Key Points)
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Rajdhani Express की टक्कर से असम में 8 हाथियों की मौत।
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लोको पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर 650 यात्रियों की जान बचाई।
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ट्रेन का इंजन और 4 डिब्बे पटरी से उतरे, रेल मार्ग बाधित।
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घटना रात 2:30 बजे जमुनामुख-कामपुर सेक्शन के बीच हुई।






