Election Commission CCTV Footage Controversy को लेकर देश की राजनीति में नया मोड़ आ गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) द्वारा मतदान केंद्रों की वेबकास्टिंग फुटेज सार्वजनिक करने की मांग को चुनाव आयोग (Election Commission) ने सिरे से खारिज कर दिया है। आयोग का कहना है कि यह मतदाताओं की गोपनीयता और सुरक्षा के खिलाफ है और इससे संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन हो सकता है।
चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों ने शनिवार को स्पष्ट किया कि पोलिंग स्टेशन (Polling Station) की रिकॉर्डिंग को सार्वजनिक करना मतदाताओं की निजता पर सीधा हमला होगा। यह मांग भले ही पारदर्शिता के नाम पर की गई हो, लेकिन इसका वास्तविक प्रभाव उल्टा हो सकता है। आयोग के मुताबिक, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950-1951 और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेशों के मुताबिक मतदाता की पहचान गोपनीय रहनी चाहिए, ताकि कोई भी उसे डराने, धमकाने या भेदभाव करने का प्रयास न कर सके।
आयोग का कहना है कि पोलिंग स्टेशन के फुटेज केवल 45 दिनों तक अपने रिकॉर्ड के लिए रखे जाते हैं, और इसका उपयोग केवल तभी किया जाता है जब इस अवधि में कोई चुनाव याचिका (Election Petition) दाखिल होती है। यदि याचिका नहीं आती, तो नियमों के अनुसार फुटेज को नष्ट कर दिया जाता है। दिसंबर 2024 में सरकार द्वारा किए गए चुनाव नियम 93 (Rule 93) में संशोधन के तहत, सीसीटीवी और वेबकास्टिंग फुटेज को सार्वजनिक निरीक्षण से प्रतिबंधित कर दिया गया था।
EC ने चेताया कि फुटेज को लंबे समय तक रखने और सोशल मीडिया पर वायरल करने से गलत सूचना (Misinformation) फैल सकती है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नुकसान पहुंचेगा। आयोग ने दोहराया कि रिकॉर्डिंग अनिवार्य नहीं है, बल्कि यह आंतरिक प्रबंधन का हिस्सा है, जिससे मतदान प्रक्रिया की सुचारु निगरानी की जा सके।
इस मामले में राहुल गांधी की प्रतिक्रिया और मांगों को लेकर सियासी गर्मी और बढ़ गई है। उन्होंने हाल ही में आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 (Maharashtra Assembly Election 2024) में गंभीर अनियमितताएं हुई हैं। उन्होंने आयोग से डिजिटल मतदाता सूची, मशीन से पढ़ने योग्य डाटा और मतदान के बाद के सीसीटीवी फुटेज की मांग की थी। राहुल का आरोप था कि मतदान प्रतिशत में हेरफेर हुआ है और नकली वोटरों को जोड़ा गया है, जिसे उन्होंने “मैच फिक्सिंग” तक कह डाला। उनका कहना है कि यह लोकतंत्र के लिए जहर है और आयोग को पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए।
हालांकि, चुनाव आयोग ने राहुल गांधी की मांगों को खारिज कर साफ कर दिया है कि लोकतंत्र में मतदाता की सुरक्षा और गोपनीयता सर्वोपरि है और यह सिद्धांत किसी भी राजनीतिक दबाव में नहीं बदला जाएगा। आयोग के मुताबिक पारदर्शिता के नाम पर अगर मतदाता की पहचान उजागर होती है तो यह लोकतंत्र को और अधिक नुकसान पहुंचाएगा।