Rahul Gandhi welcomed the Supreme Court’s comment, said- BJP exposed on ‘bulldozer policy’ | सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का राहुल गांधी ने किया स्‍वागत, बोले

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नई दिल्ली, 03 सितंबर, (The News Air): लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा मकानों पर राज्य सरकारों द्वारा बुलडोजर चलाने को गलत कहने की टिप्पणी का स्वागत किया है और इसके बहाने केंद्र की सत्ताधारी भाजपा पर निशाना साधा है। राहुल ने एक पोस्ट में कहा कि भाजपा की अन्यायपूर्ण ‘बुलडोजर नीति’ पर SC की टिप्पणी स्वागत योग्य है। राहुल ने यह भी कहा कि अब भाजपा का संविधान विरोधी चेहरा देश के सामने बेनक़ाब हो चुका है। उन्होंने कहा कि देश बाबा साहब के संविधान से चलेगा, सत्ता की चाबुक से नहीं।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में लिखा,”भाजपा की असंवैधानिक और अन्यायपूर्ण ‘बुलडोज़र नीति’ पर सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी स्वागत योग्य है। बुलडोज़र के नीचे मानवता और इंसाफ को कुचलने वाली भाजपा का संविधान विरोधी चेहरा अब देश के सामने बेनक़ाब हो चुका है। बेलगाम सत्ता का प्रतीक बन चुके बुलडोज़र ने नागरिक अधिकारों को कुचल कर कानून को निरंतर अहंकार भरी चुनौती दी है। ‘त्वरित न्याय’ की आड़ में ‘भय का राज’ स्थापित करने की मंशा से चलाए जा रहे बुलडोज़र के पहियों के नीचे अक्सर बहुजनों और गरीबों की ही घर-गृहस्थी आती है।”उन्होंने आगे लिखा, “हम अपेक्षा करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस अति संवेदनशील विषय पर स्पष्ट दिशा निर्देश जारी कर भाजपा सरकारों के इस लोकतंत्र विरोधी अभियान से नागरिकों की रक्षा करेगा। देश बाबा साहब के संविधान से चलेगा, सत्ता की चाबुक से नहीं।”

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम निर्देश देते हुए कहा कि आपराधिक मामलों में शामिल व्यक्तियों के मकानों को राज्य सरकारों द्वारा बुलडोजर से ध्वस्त करना गलत है। कोर्ट ने सोमवार को सवाल किया कि किसी का मकान सिर्फ इसलिए कैसे गिराया जा सकता है कि वह एक आरोपी है? शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस मुद्दे पर दिशा-निर्देश तैयार करेगी जो पूरे देश में लागू होंगे।जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, “किसी का मकान सिर्फ इसलिए कैसे गिराया जा सकता है क्योंकि वह एक आरोपी है? भले ही वह दोषी हो, फिर भी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता।” हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि वह किसी भी अनधिकृत निर्माण या सार्वजनिक सड़कों पर अतिक्रमण को संरक्षण नहीं देगा।
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