कैसे करेगा काम
अपनी तकनीक पर अक्षय रिडलान ने जानकारी देते हुए बताया कि, कुत्तों और बिल्लियों जैसे जानवरों को भी टैग किया जा सकेगा और उन्हें एक युनिक क्यूआर कोड दिया जा सकेगा, जिसमे उनसे संबंधित सभी जानकारियाँ होंगी. स्कैन किए जाने पर क्यूआर कोड जानवर के बारे में बुनियादी जानकारी और उनकी देखभाल करने वालों के फोन नंबर भी प्रदर्शित करेगा। दरअसल ‘पावफ्रेंड.इन’ के नाम से इस QR कोड को जानवर के कॉलर से आराम से जोड़ा जा सकता है, ताकि जो कोई भी उसे स्कैन करेगा उसे तुरंत पता चल जाएगा कि कुत्ता या बिल्ली मूल रूप से कहां का निवासरत है और उनकी देखभाल करने वाले कौन हैं।
अक्षय ने कहा कि, “क्यूआर कोड का विचार मेरे पास तब आया जब मैंने पअपने प्यारे स्ट्रीट डॉग,कालू को खो दिया था। वैसे टी पालतू जानवरों में माइक्रोचिप्स लगाना भी एक प्रचलित समाधान है, लेकिन यह यह महंगा है और उनके शरीर में माइक्रोचिप्स डालने की परेशानी भी एक परेशानी है। इसलिए, अब अपनी निराशा को कम करने का एकमात्र तरीका उन लोगों की मदद करने के लिए एक तकनीक-आधारित समाधान बनाना था, जिन्होंने अपने फालतू जानवारों को खो दिया था।”
बेहतरीन तकनीक
अक्षय ने आगे बताया कि “फिलहाल मैंने लगभग 10 आवारा जानवरों के लिए ऐसे QR कोड विकसित किए हैं। हालांकि, मैं उन्हें लोकप्रिय बनाने और यह सुनिश्चित करने के लिए पशु कल्याण लोगों और शायद नगर पालिका की मदद से जल्द ही शहर भर में इसे व्यापक रूप से प्रसारित करने की योजना बना रहा हूं। जहां ऐसे खोये हुए जानवरों को आराम से ट्रेस किया जा सके है।”
उन्होंने यह भी कहा कि, “यह कुत्तों के स्थान का पता लगाने और उनकी नसबंदी या टीकाकरण के लिए रणनीति बनाने में भी सरकार की मदद करेगा। यह डेटाबेस के माध्यम से किया जा सकता है। हम इस QR को अभी मामूली कीमत पर पेश करना चाहते हैं। लोग और संगठन जो भोजन या बचाव करते हैं जानवर इसका उपयोग कर सकते हैं।”