Putin India Visit को लेकर दुनिया भर में कूटनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विमान के दिल्ली में लैंड करने से पहले ही ब्रुसेल्स से लेकर वाशिंगटन तक सियासी पारा चढ़ गया है। अगले 30 घंटे न सिर्फ भारत की विदेश नीति की परीक्षा लेंगे, बल्कि यह तय करेंगे कि ‘कोल्ड वॉर 2.0’ में नई दिल्ली किसके साथ खड़ी होगी—पुराने दोस्त रूस के साथ या रणनीतिक साझेदार अमेरिका के साथ?
यह दौर एक नए शीत युद्ध (Cold War) का है। एक तरफ अमेरिका और नाटो (NATO) देश खड़े हैं, तो दूसरी तरफ रूस और चीन का गठजोड़ है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब दुनिया गुटों में बंटी थी, तब भारत गुटनिरपेक्ष था। लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। आज भारत इस नए कोल्ड वॉर की ‘केंद्रीय भूमिका’ में आकर खड़ा हो गया है। पूरी दुनिया को एहसास है कि भारत का झुकाव जिस तरफ होगा, पलड़ा उधर ही भारी हो जाएगा।
30 घंटे जो दुनिया की दिशा तय करेंगे
रूसी राष्ट्रपति पुतिन कल दिल्ली पहुंच रहे हैं और वे यहां करीब 30 घंटे गुजारेंगे। पश्चिमी देश और अमेरिका, जो यूक्रेन युद्ध को लेकर पुतिन को ‘खलनायक’ मानते हैं, इस यात्रा को पचा नहीं पा रहे हैं। आज ही ब्रुसेल्स में नाटो देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में पुतिन को खुले तौर पर युद्ध को बढ़ावा देने वाला शख्स बताया गया। लेकिन इन तमाम दबावों के बावजूद, भारत ने रेड कार्पेट बिछाने का फैसला किया है।
पुतिन के प्रवक्ता का बड़ा ऑफर: ‘जहां तक भारत चाहेगा…’
इस यात्रा से ठीक पहले मास्को से एक बहुत बड़ा बयान आया है। पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने पहली बार खुलकर कहा है कि रूस भारत के साथ रिश्तों की कोई सीमा नहीं मानता। उन्होंने कहा, “चीन के साथ हमारे संबंध रणनीतिक और उच्च स्तर के हैं, लेकिन भारत के साथ भी हमारा रुख वही है। भारत जिस हद तक आगे जाएगा, हम भी उसी हद तक जाने को तैयार हैं।”
रूस ने साफ़ कर दिया है कि अगर भारत चाहे तो एनर्जी और डिफेंस के क्षेत्र में वह अमेरिका की परवाह किए बिना ‘बॉर्डरलेस’ यानी सीमाहीन सहयोग के लिए तैयार है। यह बयान अमेरिका के लिए किसी चेतावनी से कम नहीं है।
नाटो की चेतावनी और पुतिन का पलटवार
जहां एक तरफ पुतिन भारत आ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ नाटो ने अपनी घेराबंदी तेज कर दी है। नाटो का कहना है कि यूरोप की सुरक्षा अब यूक्रेन को हथियार देने में ही है। लेकिन पुतिन ने भी अपनी दिल्ली यात्रा से पहले अमेरिका और यूरोप को दो टूक सुना दिया है। उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों से कहा, “मैंने 100 बार कहा है कि हमारी यूरोप से लड़ने की कोई योजना नहीं है। लेकिन अगर यूरोप युद्ध शुरू करता है, तो हम अभी तैयार हैं। इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए।”
क्या डॉलर के दबदबे को चुनौती देगा भारत?
इस यात्रा को सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि एक बड़े ‘जियोपॉलिटिकल’ दांव के रूप में देखा जा रहा है। सवाल यह है कि क्या भारत और रूस ‘स्विफ्ट बैंकिंग सिस्टम’ और डॉलर के प्रभुत्व को दरकिनार कर कोई नई पेमेंट प्रणाली लाएंगे?
भारत की चिंता अपनी अर्थव्यवस्था को लेकर भी है। डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, मोदी काल में रुपया डॉलर के मुकाबले लगभग 45% तक टूटा है। इस साल ही इसमें 5% की गिरावट आई है। विदेशी निवेशकों (FPI) ने भारतीय बाजार से करीब 17 अरब डॉलर निकाल लिए हैं। ऐसे में, क्या भारत ब्रिक्स (BRICS) की तर्ज पर नई करेंसी या पेमेंट सिस्टम की तरफ बढ़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ता व्यापार घाटा
भारत इस वक्त एक अजीब कश्मकश में है। अमेरिका के साथ भारत का व्यापार सरप्लस (फायदे) में है, जहां से हमें करीब 45 बिलियन डॉलर का लाभ होता है। वहीं, रूस और चीन के साथ हम भारी व्यापार घाटे में हैं। रूस से हम 63 बिलियन डॉलर का माल खरीदते हैं, लेकिन बेचते सिर्फ 4-5 बिलियन डॉलर का हैं। ऐसे में, अगर भारत रूस के साथ और करीब जाता है, तो अमेरिका के साथ चल रहे ‘टैरिफ वॉर’ और आर्थिक रिश्तों पर क्या असर पड़ेगा, यह चिंता का विषय है।
जानें पूरा मामला
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से दुनिया दो धड़ों में बंट गई है। अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से दूरी बनाए, लेकिन भारत ने अपने हितों को सर्वोपरि रखते हुए रूस से तेल और हथियार खरीदना जारी रखा है। अब पुतिन की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब अमेरिका में सत्ता परिवर्तन (ट्रंप की वापसी की आहट) और वैश्विक मंदी का दौर चल रहा है। भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा और सीमाओं की सुरक्षा के लिए रूस की जरूरत है, लेकिन अपनी अर्थव्यवस्था के लिए अमेरिका और यूरोप के बाजार भी जरूरी हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
-
रूसी राष्ट्रपति पुतिन कल 30 घंटे के लिए भारत दौरे पर आ रहे हैं।
-
रूस ने भारत को चीन की तरह ही ‘सीमाहीन’ रणनीतिक साझेदारी का ऑफर दिया है।
-
नाटो देशों ने पुतिन की यात्रा पर नाराजगी जताई है और यूक्रेन को हथियार देने का ऐलान किया है।
-
डॉलर के मुकाबले रुपये में आई 45% की गिरावट भारत के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।
-
पुतिन ने यूरोप को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने युद्ध छेड़ा तो रूस तैयार है।






