पंजाब में बढ़ रहा है जल संकट, क्या कहती है रिपोर्ट?
विशेषज्ञों के अनुसार, पंजाब (Punjab) में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है। केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के कई हिस्सों में पानी की उपलब्धता खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी है। विशेष रूप से लुधियाना (Ludhiana), पटियाला (Patiala), संगरूर (Sangrur), और बरनाला (Barnala) जिलों में स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है।
विधानसभा में विधायकों ने रखे अपने विचार
कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारूचक (Lal Chand Kataruchak) ने इस चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि “जल संकट सिर्फ सरकार का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज का मामला है। हमारे गुरुओं ने भी पानी बचाने की आवश्यकता पर बल दिया था। हमें जल संरक्षण (Water Conservation) को एक जन आंदोलन बनाना होगा।”
विधायक दिनेश चड्ढा (Dinesh Chaddha) ने कहा कि “राज्य में जल संरक्षण के लिए सख्त कानून बनाने की जरूरत है। पंजाब की नहरों और जल स्रोतों का सही तरीके से प्रबंधन किया जाए तो पानी की कमी दूर की जा सकती है।”
किसानों और हरित क्रांति की भूमिका
विधायक मनप्रीत सिंह अयाली (Manpreet Singh Ayali) ने कहा कि “पंजाब में ट्यूबवेल (Tube Well) और बोरवेल (Borewell) के अंधाधुंध इस्तेमाल से भूजल स्तर गिरता चला गया। हरित क्रांति (Green Revolution) के दौरान किसानों ने बड़े पैमाने पर धान (Paddy) की खेती शुरू की, जिससे पानी की खपत बहुत अधिक बढ़ गई। इसके अलावा, जंगलों की कटाई (Deforestation) भी इस समस्या का एक बड़ा कारण है।”
पठानकोट में चक्की नदी पर झील बनाने का सुझाव
मंत्री लाल चंद कटारूचक ने सुझाव दिया कि पठानकोट (Pathankot) में चक्की नदी (Chakki River) पर एक बड़ी झील बनाई जा सकती है। इससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा और भूजल स्तर में सुधार आएगा। इसके साथ ही, झील से आसपास के क्षेत्रों में जल आपूर्ति भी सुनिश्चित हो सकेगी।
क्या कहती है सरकार?
पंजाब सरकार (Punjab Government) के अनुसार, जल संकट से निपटने के लिए कई नई योजनाएं लागू की जाएंगी:
पानी के पुनर्भरण (Water Recharging) की योजनाएं: तालाबों, झीलों और जलाशयों को फिर से भरा जाएगा।
फसल विविधीकरण (Crop Diversification): धान की जगह कम पानी वाली फसलों को बढ़ावा दिया जाएगा।
सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई (Solar Irrigation): ट्यूबवेल और बोरवेल की जगह सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई को बढ़ावा दिया जाएगा।
कृषि के आधुनिक तकनीक (Modern Farming Techniques): ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation) और स्प्रिंकलर सिस्टम (Sprinkler System) को अपनाने पर जोर दिया जाएगा।
जल संकट से कैसे निपट सकता है पंजाब?
बोर्निंग वाटर हार्वेस्टिंग (Rainwater Harvesting): सभी घरों और इमारतों में वर्षा जल संचयन प्रणाली (Rainwater Harvesting System) को अनिवार्य किया जाए।
नदियों और झीलों की सफाई (Cleaning of Rivers & Lakes): जल स्रोतों की स्वच्छता बनाए रखना आवश्यक है।
कृषि में बदलाव (Agricultural Reforms): किसानों को कम पानी में उगने वाली फसलों की ओर आकर्षित करना होगा।
निष्कर्ष
पंजाब में जल संकट (Punjab Water Crisis) एक गंभीर समस्या बन चुका है, जिसे हल करने के लिए सरकार और समाज दोनों को मिलकर प्रयास करने होंगे। विधानसभा में हुई इस चर्चा से स्पष्ट है कि पानी बचाने की दिशा में कड़े कदम उठाने की जरूरत है। यदि सही रणनीति अपनाई गई तो पंजाब फिर से अपने जल स्रोतों को पुनर्जीवित कर सकता है और भविष्य में जल संकट से बच सकता है।