Punjab Taran Taran Bypoll 2025: पंजाब की सियासत एक बार फिर गरमाने जा रही है। भारतीय चुनाव आयोग ने 6 अक्टूबर को तरनतारन विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। इस सीट पर 11 नवंबर को वोटिंग और 14 नवंबर को मतगणना (Counting) होगी।
उपचुनाव की घोषणा होते ही आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू हो गई है, और राजनीतिक दलों ने मैदान में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
यह सीट करीब तीन महीने पहले AAP विधायक कश्मीर सिंह सोहल के निधन के बाद खाली हुई थी। अब यह उपचुनाव न सिर्फ तरनतारन के लिए, बल्कि राज्य की राजनीति में आम आदमी पार्टी (AAP) की पकड़ को परखने का भी बड़ा मौका माना जा रहा है।
चार प्रमुख पार्टियों ने मैदान में उतारे अपने उम्मीदवार
तरनतारन उपचुनाव में चार बड़ी पार्टियों — AAP, कांग्रेस, बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। हर दल ने इस सीट पर रणनीतिक रूप से ऐसे चेहरों को उतारा है जिनका स्थानीय स्तर पर मजबूत जनाधार है।
1. AAP ने दलबदलू नेता पर खेला दांव
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरमीत संधू को उम्मीदवार घोषित किया है। संधू पहले अकाली दल में थे, लेकिन हाल ही में AAP में शामिल हो गए।
AAP ने बीते कुछ उपचुनावों में भी यही फॉर्मूला अपनाया — यानी अन्य दलों के प्रभावशाली नेताओं को लाकर टिकट देना।
पिछले तीन उपचुनावों में AAP को इसी रणनीति से जीत मिली थी। पार्टी को उम्मीद है कि हरमीत संधू की स्थानीय पकड़ और संगठनात्मक क्षमता उसे चौथी उपचुनावी जीत दिला सकती है।
2. कांग्रेस ने टकसाली और किसान नेता को उतारा मैदान में
कांग्रेस ने इस उपचुनाव में करणबीर सिंह बुर्ज पर भरोसा जताया है।
बुर्ज कांग्रेस किसान सेल के राज्य उपाध्यक्ष (Vice President) रह चुके हैं और क्षेत्र में किसानों के मुद्दों पर मुखर आवाज माने जाते हैं।
वह पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा के करीबी हैं और तरनतारन में पुराने कांग्रेस परिवारों से उनका गहरा जुड़ाव है।
कांग्रेस को उम्मीद है कि स्थानीय मुद्दों और किसान वर्ग में उनकी पकड़ पार्टी के लिए जीत का रास्ता खोल सकती है।
3. भाजपा ने पूर्व अकाली और यूथ लीडर को दी टिकट
भाजपा ने इस उपचुनाव में हरजीत सिंह संधू को उम्मीदवार बनाया है, जो पहले शिरोमणि अकाली दल (SAD) के यूथ विंग से जुड़े रहे।
उन्होंने 2022 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन थामा था और फिलहाल तरनतारन जिला अध्यक्ष के रूप में संगठन को मजबूत कर रहे हैं।
स्थानीय राजनीति और पार्टी ढांचे में उनकी मजबूत पकड़ को देखते हुए भाजपा ने उन्हें मैदान में उतारा है।
हालांकि, इस सीट पर भाजपा को पारंपरिक तौर पर संघर्ष करना पड़ता रहा है, लेकिन इस बार पार्टी अपने वोट बैंक को मजबूत करने में जुटी है।
4. अकाली दल ने “आजाद ग्रुप” के साथ मिलाया हाथ
शिरोमणि अकाली दल ने तरनतारन में प्रिंसिपल सुखविंदर कौर रंधावा को टिकट दिया है, जो “आजाद ग्रुप” की प्रमुख नेता हैं।
उनकी अगुआई में स्थानीय निकाय चुनावों में कई पंचायत प्रतिनिधियों और पार्षदों ने जीत दर्ज की थी।
उनके साथ 43 सरपंच, 8 नगर परिषद पार्षद, और कई पूर्व चेयरमैन खुले तौर पर खड़े हैं। रंधावा पहले स्कूल प्रिंसिपल रह चुकी हैं, और उनकी साफ-सुथरी छवि तथा अनुशासित कार्यशैली उन्हें मजबूत उम्मीदवार बनाती है।
क्यों अहम है तरनतारन का उपचुनाव
तरनतारन पंजाब के मजलिसी (मजदूर-किसान) बेल्ट का इलाका है, जहां धार्मिक और ग्रामीण राजनीति दोनों का गहरा असर है।
AAP के विधायक कश्मीर सिंह सोहल की लोकप्रियता यहां काफी थी। उनके निधन के बाद यह सीट खाली हुई और अब यह उपचुनाव पार्टी की सरकार की परफॉर्मेंस पर जनमत संग्रह की तरह देखा जा रहा है।
साथ ही, विपक्षी पार्टियों के लिए यह मौका है कि वे राज्य में AAP के वर्चस्व को चुनौती दें और आने वाले चुनावों के लिए खुद को मजबूत करें।
मुख्य बातें (Key Points):
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पंजाब के तरनतारन उपचुनाव की वोटिंग 11 नवंबर और काउंटिंग 14 नवंबर को होगी।
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यह सीट AAP विधायक कश्मीर सिंह सोहल के निधन से खाली हुई थी।
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AAP, कांग्रेस, BJP और अकाली दल — चारों दलों ने उम्मीदवार घोषित किए।
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मुकाबला हरमीत संधू, करणबीर बुर्ज, हरजीत संधू और सुखविंदर कौर रंधावा के बीच होगा।






