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मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब विधानसभा ने पारित किया ऐतिहासिक प्रस्ताव

बी.बी.एम.बी. के नदी जल संबंधी किसी भी आदेश को मानने से इंकार"

The News Air by The News Air
सोमवार, 5 मई 2025
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चंडीगढ़, 5 मई (The News Air) मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब विधानसभा ने आज सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया कि पंजाब नदी जल के बंटवारे के बारे में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बी.बी.एम.बी.) के किसी भी फैसले को नहीं मानेगा।

जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर हुई बहस में हिस्सा लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बी.बी.एम.बी. का गठन वास्तव में सतलुज और ब्यास के पानी के प्रबंधन के लिए हुआ था। ये दोनों नदियाँ पंजाब में बहती हैं जिसके कारण इन पानी पर पूरी तरह पंजाब का हक है। हरियाणा या राजस्थान का इन नदियों से कोई लेना-देना नहीं है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि बी.बी.एम.बी. के जरिए कई सालों से पंजाब का पानी दूसरे राज्यों को बांटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब भाजपा सरकार ने इस बोर्ड को अपने राजनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब से पूछे बिना आधी रात को बैठकें बुलाकर और दूसरे राज्यों के दबाव में आकर पंजाब का हक छीना जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से भारतीय जनता पार्टी अपनी हरियाणा सरकार, केंद्र सरकार और बी.बी.एम.बी. के माध्यम से पंजाब के अधिकारों पर डाका मारने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि गैर-संवैधानिक और गैर-कानूनी ढंग से बी.बी.एम.बी. की बैठक बुलाकर पंजाब का पानी जबरदस्ती हरियाणा को देने की कोशिश की जा रही है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि हरियाणा 31 मार्च तक अपने हिस्से के पानी का उपयोग कर चुका है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब भाजपा सरकार चाहती है कि पंजाब के हक का पानी हरियाणा को दिया जाए। उन्होंने कहा कि पिछले 3 सालों में भगवंत मान सरकार ने पंजाब के हर खेत को नहर का पानी पहुंचाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि नहरों और खालों का नेटवर्क बहुत बड़े स्तर पर कायम किया गया है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि साल 2021 तक पंजाब के सिर्फ 22 फीसदी खेतों तक नहर का पानी पहुंचता था।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि आज पंजाब के लगभग 60 फीसदी खेतों तक नहर का पानी पहुंच रहा है, इसीलिए अब पंजाब के पानी की एक-एक बूंद पंजाब के लिए बहुत कीमती हो गई है। उन्होंने कहा कि पंजाब के पास अब अपने हिस्से का पानी किसी और राज्य को देने के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछली 6 अप्रैल को हरियाणा ने पंजाब से अनुरोध किया था कि उसे पीने के लिए पानी की जरूरत है। भगवंत सिंह मान ने पंजाब ने बड़ा दिल दिखाते हुए अपने हिस्से में से हरियाणा को 4000 क्यूसेक पानी दे दिया; क्योंकि हमारे महान गुरु साहिबान ने हमें सिखाया है कि किसी भी प्यासे को पानी देना बहुत बड़े पुण्य का काम है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा की आबादी 3 करोड़ है और 3 करोड़ लोगों को पीने के लिए और सभी मानवीय जरूरतों को पूरा करने के लिए सिर्फ 1700 क्यूसेक पानी की जरूरत है, लेकिन हरियाणा ने हमसे 4000 क्यूसेक की मांग की और हमने मानवता के नाते उन्हें दे दिया। उन्होंने कहा कि अब हरियाणा कह रहा है कि उसे 8500 क्यूसेक पानी चाहिए। पंजाब के पास इस मांग को पूरा करने के लिए और अतिरिक्त पानी नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा ने जबरदस्ती गैर-संवैधानिक और गैर-कानूनी ढंग से बी.बी.एम.बी. की बैठक बुलाई और एक प्रस्ताव पारित किया कि पंजाब को अपने हिस्से के पानी में से हरियाणा को पानी देना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह सदन की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि स्पष्ट तौर पर दृढ़ता से यह ऐलान करता है कि पंजाब सरकार अपने हिस्से में से हरियाणा को एक बूंद भी अतिरिक्त पानी नहीं देगी। उन्होंने कहा कि सिर्फ पीने के लिए जो पानी दिया जा रहा है, वही दिया जाएगा, इसके अलावा अतिरिक्त पानी की एक बूंद भी नहीं दी जाएगी।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सदन भारतीय जनता पार्टी द्वारा गैर-कानूनी और गैर-संवैधानिक तरीके से बी.बी.एम.बी. की बैठक बुलाए जाने की कड़ी निंदा करता है। उन्होंने कहा कि पंजाब अब भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड को नहीं मानेगा। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब अब बी.बी.एम.बी. के पानी से जुड़े किसी भी फैसले को नहीं मानेगा और सतलुज और ब्यास नदियों का पानी सिर्फ और सिर्फ पंजाब का है और हम अब इस पानी का पूरा उपयोग करेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार अपने बनते हिस्से के पानी की रक्षा के लिए हर कानूनी और संवैधानिक कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि सदन यह प्रस्ताव पंजाब के हक, पंजाब की मिट्टी और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की रक्षा के लिए है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह प्रस्ताव हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी की सुरक्षा करेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरित क्रांति राज्य के लिए बहुत महंगी साबित हुई है क्योंकि भूजल का अधिक उपयोग किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने खालों और कस्सियों को बहाल किया जिससे राज्य में टेलों पर पानी पहुंच रहा है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब सरकार अपने पानी का 80 फीसदी नहर का पानी उपयोग कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे पहले गांवों के माध्यम से नहरें तो गुजरती थीं लेकिन कभी इन गांवों को पानी नहीं मिला लेकिन उनकी सरकार राज्य के हर हिस्से में पानी की पहुंच को सुनिश्चित कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने इन मसलों की कभी परवाह नहीं की क्योंकि आम आदमी और राज्य के प्रति उनका रवैया नकारात्मक था।

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भगवंत सिंह मान ने कहा कि बड़े महलों और घरों में रहने वाले नेताओं को आम लोगों के मसलों से कोई सरोकार नहीं था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पानी की स्थिति बहुत नाजुक है और बीते साल के मुकाबले इस साल बांधों में 55 फीट पानी कम है। उन्होंने कहा कि हरियाणा ने मार्च में ही अपने हिस्से का पानी उपयोग कर लिया था जिसके बाद पंजाब ने हरियाणा को छह पत्र लिखकर पहले ही सचेत कर दिया था। भगवंत सिंह मान ने कहा कि हरियाणा को मानवता के आधार पर 4000 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस, अकाली और भाजपा के हाथ पंजाबियों के खून से रंगे हुए हैं क्योंकि इन पार्टियों ने अपने निजी स्वार्थ के लिए पानी के हक को दरकिनार करके पंजाब से गद्दारी की। हर 25 साल बाद पानी का मूल्यांकन करने की वकालत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज यमुना सतलुज लिंक नहर (वाई.एस.एल.) की जरूरत है क्योंकि हरियाणा के पानी में पंजाब का भी हिस्सा है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि उन्हें पंजाब के हित सबसे अधिक प्यारे हैं और इसकी खातिर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर पंजाब के साथ सौतेला व्यवहार अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि भगवा पार्टी राज्य के हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए घटिया राजनीति कर रही है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि भाजपा की पंजाब विरोधी मानसिकता है और अगर उनका वश चले तो वे राष्ट्रीय गीत में से पंजाब शब्द ही हटा देंगे।

डैम सेफ्टी एक्ट को सिरे से खारिज करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राज्य और इसके अधिकारों पर सीधा हमला है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि उन्होंने सांसद के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान इसका कड़ा विरोध किया था। उन्होंने याद दिलाया कि पंजाब, देश में बांधों की सुरक्षा के लिए जाना जाता है और हमें अपने बांधों की रक्षा के लिए किसी और की जरूरत नहीं है।

मुख्यमंत्री ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सर्वदलीय बैठक में शामिल होने वाले सभी नेताओं का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि यह राज्य से संबंधित महत्वपूर्ण मामला था और वैचारिक मतभेदों के बावजूद सभी पार्टियों के नेताओं ने राज्य के अधिकारों की इस लड़ाई में उनका समर्थन किया है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि सभी राजनीतिक नेता एक मंच पर इकट्ठे हुए और देश को सख्त और एकजुट संदेश दिया, जो आज समय की जरूरत थी।

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प्रस्ताव के कुछ मुख्य बिंदु:

1 पंजाब सरकार हरियाणा को अपने हिस्से में से एक भी बूंद अतिरिक्त पानी नहीं देगी। वर्तमान में मानवता के आधार पर पीने के पानी के रूप में केवल 4000 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है जो जारी रहेगा। एक भी बूंद और नहीं देंगे।

2 यह सदन भाजपा द्वारा बी.बी.एम.बी. की बैठक बुलाने के गैर-कानूनी और गैर-संवैधानिक तरीके की कड़ी निंदा करता है।

3 मौजूदा बी.बी.एम.बी. केवल भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कठपुतली के रूप में काम करती है। बी.बी.एम.बी. बैठकों में पंजाब की चिंताओं और अधिकारों को पूरी तरह से नजरअंदाज करता है। इसलिए पंजाब के योग्य प्रतिनिधित्व और इसके हितों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए बी.बी.एम.बी. का पुनर्गठन किया जाना चाहिए।

4 सतलुज, रावी और ब्यास नदियाँ पूरी तरह से पंजाब में बहती हैं और इसके बावजूद उनका पानी दूसरे राज्यों को किस आधार पर दिया जा रहा है? वर्ष 1981 का समझौता जो इस पानी के बंटवारे की व्यवस्था तय करता है, वह नदी जल के प्रवाह के स्तर पर आधारित था जो आज काफी कम है। मौजूदा जमीनी हकीकतों को दर्शाने के लिए नए समझौते की आवश्यकता है।

5 बी.बी.एम.बी. बैठकों के नोटिस जारी करने के लिए बार-बार कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन करता है-अक्सर आधी रात को बैठकें तय करता है। यह सदन बी.बी.एम.बी. को इस संबंध में कानून का सख्ती से पालन करने का निर्देश देता है।

6 प्रत्येक राज्य को आवंटित किए गए पानी के बंटवारे संबंधी वर्ष 1981 के समझौते में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। बी.बी.एम.बी. के पास इसे बदलने की कोई कानूनी ताकत नहीं है। बी.बी.एम.बी. द्वारा ऐसी बैठकों के माध्यम से पंजाब के हिस्से को किसी अन्य राज्य को पुनर्वितरित करने का कोई भी प्रयास गैर-कानूनी और गैर-संवैधानिक है।

7 यह सदन ‘डैम सुरक्षा अधिनियम-2021’ को पंजाब के अधिकारों पर सीधा हमला मानता है। यह केंद्र को राज्य के स्वामित्व वाले बांधों और नदियों पर अधिक नियंत्रण करने का अधिकार देता है और यहां तक कि वे बांध और नदियां भी जो पूरी तरह से राज्य की सीमाओं के भीतर हैं। यह भारत के संघीय ढांचे को कमजोर करता है और जल संसाधनों पर पंजाब की संप्रभुता को कमजोर करता है। अधिनियम को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।

भाजपा की नई साजिश – हरियाणा, केंद्र सरकार और बी.बी.एम.बी. के माध्यम से पंजाब के पानी के अधिकार छीनना।

बी.बी.एम.बी. की आधी रात को गैर-कानूनी बैठक-पंजाब के पानी को हरियाणा को देने की गहरी साजिश।

* हरियाणा 31 मार्च तक अपने हिस्से का पानी खत्म कर चुका है-अब पंजाब का पानी चाहता है।

* भाजपा का लक्ष्य-पंजाब के हिस्से का पानी लूटकर हरियाणा को देना।

* भगवंत मान की अगुवाई वाली सरकार में सिर्फ 3 सालों में खेतों तक नहर के पानी का उपयोग बढ़कर 60 फीसदी तक पहुंचा। पंजाब की तरक्की भाजपा सरकार की आंखों में खटक रही है।

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* साल 2021 में सिर्फ 22 फीसदी खेतों को नहर का पानी पहुंचता था और आज यह 60 फीसदी तक पहुंच गया है। पंजाब के लिए एक-एक बूंद बेशकीमती है।

* 6 अप्रैल को हरियाणा ने पीने के पानी का अनुरोध किया था-पंजाब ने मानवता के आधार पर 4000 क्यूसेक पानी दिया।

* जरूरत सिर्फ 1700 क्यूसेक थी, फिर भी पंजाब ने 4000 क्यूसेक पानी दिया क्योंकि पंजाब अपने महान गुरु साहिबान की शिक्षाओं पर चलता है।

* अब वे 8500 क्यूसेक पानी मांग रहे हैं-यह कोई मांग नहीं बल्कि दिन-दहाड़े पंजाब के अधिकारों पर डाका है।

* बी.बी.एम.बी. अब भाजपा की कठपुतली है-गैर-कानूनी ढंग से बैठकें करके पंजाब पर मनमर्जी के फैसले थोपना चाहते हैं।

* पंजाब का स्पष्ट संदेश: अपने हिस्से की एक भी बूंद किसी को नहीं देगा।

* यह सिर्फ पानी की लड़ाई नहीं-यह पंजाब की जमीन, किसानी और अस्तित्व की लड़ाई है।

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