पंजाब, 10 सितंबर (The News Air): पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने ऑटो-रिक्शा में हुई इंटर रिलीजन मैरिज मामले में अवैध धार्मिक रूपांतरण के कारणों की गहराई से जांच करने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस संदीप मोदगिल ने बिना किसी गवाह के ऑटो-रिक्शा में इंटर-रिलीजन विवाह से जुड़े एक मामले के सामने आन
इस मामले में एडवोकेट मो. यूसुफ, हरजिंदर सिंह याचिकाकर्ताओं और एडवोकेट प्रतीक गुप्ता सीबीआई की तरफ से पेश हुए। हाईकोर्ट ने दोहराया है कि सीबीआई को इंटर रिलीजन मैरिज के नाम पर संदिग्ध अवैध धार्मिक रूपांतरण के कारणों की गहराई तक जाने की जरूरत है। कोर्ट ने अपने पहले के आदेश को दोहराते हुए कहा- यह एक ऐसा मामला है जहां सीबीआई से अनुरोध किया जाना चाहिए कि वह यहां उठाए गए कारण और चिंता की जड़ों की गहराई से जांच करे। यानी, विशेष रूप से धर्म के अवैध रूपांतरण की आशंकाएं और संदेह की जांच गहराई से करे। जिस तरह से इस विवाह के संपन्न होने का अनुमान लगाया गया है, उससे इसके आयोजन पर ही गंभीर संदेह पैदा हो गया है।
प्रतीकात्मक तस्वीर।
सीबीआई ने आदेश स्पष्ट करने की रखी थी मांग
सीबीआई ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत एक आवेदन दायर कर अदालत के पहले के आदेश में स्पष्टीकरण और संशोधन की मांग की थी। जिसमें केंद्रीय एजेंसी को मामले की जांच करने का निर्देश दिया गया था।
आवेदन में कहा गया है कि गहन जांच करने के लिए, मुद्दों की शुरुआती जांच करने के लिए अदालत से सीबीआई को एक स्पष्ट निर्देश की आवश्यकता होगी। न्यायालय ने इस आवेदन को स्वीकार कर लिया और एजेंसी को शुरुआती जांच के निष्कर्ष के बाद सुनवाई की अगली तारीख पर उसे अवगत कराने का निर्देश दिया। जस्टिस ने डीजीपी चंडीगढ़ को यह भी निर्देश दिया कि जब भी सीबीआई को आवश्यकता हो, आवश्यक मैनपावर प्रदान की जाए।
क्या था मामला-
हाईकोर्ट एक जोड़े द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें नव-विवाहित जोड़े ने लड़की के परिवार से धमकी मिलने का आरोप लगाया गया था, क्योंकि दोनों ने इच्छा के विरुद्ध जाकर विवाह किया था। इस मामले में, लड़की ने कथित तौर पर शादी करने के लिए इस्लाम धर्म अपना लिया। याचिका में लड़की ने अपने परिवार का पता पंजाब के फतेहगढ़ साहिब का बताया। हाई कोर्ट को सूचित किया गया कि 6 जुलाई को चंडीगढ़ के पास नयागांव में मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार शादी हुई थी। इस संबंध में जोड़े ने विवाह का प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया, जो एक मोलवी द्वारा जारी किया गया था।
तस्वीरें देख हुआ कोर्ट को शक
तस्वीरों की जांच करने के बाद हाईकोर्ट ने पाया कि शादी किसी भी मस्जिद में नहीं की जा रही थी। ये शादी एक ऑटोरिक्शा में आयोजित की जा रही थी। पीठ ने याचिकाकर्ता नव-विवाहित जोड़े के वकील से सवाल किया, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि समारोह एक ऑटो-रिक्शा में आयोजित किए गया था।