Punjab Collector Rate: पंजाब सरकार ने जमीन के कलेक्टर रेट बढ़ाने की अपनी योजना को अभी के लिए रोक दिया है। यह कदम ऐसे समय पर आया है, जब सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए इस बदलाव की तैयारी में थी और जिलों से रिपोर्ट भी मंगाई जा चुकी थी। लुधियाना और बठिंडा जैसे प्रमुख जिलों में इसका असर पड़ना था, लेकिन जन नाराजगी से बचने के लिए फिलहाल इस फैसले को टाल दिया गया है।
इस साल सरकार ने स्टैंप और रजिस्ट्रेशन से 7,000 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य रखा है, जो पिछले वर्ष के 5,750 करोड़ रुपये से कहीं अधिक है। वहीं, बीते समय में सरकार ने फाजिल्का, बरनाला, अमृतसर, पठानकोट, रूपनगर, नवांशहर, संगरूर, मोगा, कपूरथला, मालेरकोटला, जालंधर और फरीदकोट जैसे 12 जिलों में 5% से 50% तक कलेक्टर रेट बढ़ाए थे। इनमें अमृतसर के कुछ इलाकों में यह बढ़ोतरी सबसे अधिक रही।
मामले की पृष्ठभूमि
कलेक्टर रेट जमीन की न्यूनतम बिक्री कीमत होती है, जिसे जिला प्रशासन बाजार मूल्य और इलाके की स्थिति को ध्यान में रखते हुए तय करता है। यह सीधे तौर पर संपत्ति की रजिस्ट्री और स्टैंप ड्यूटी की रकम पर असर डालता है। पहले पंजाब में हर साल अप्रैल की शुरुआत में नए कलेक्टर रेट लागू होते थे, लेकिन कोविड-19 महामारी के बाद से इस प्रक्रिया में बदलाव आया है और कई बार रेट बढ़ाए ही नहीं गए।
कलेक्टर रेट में बढ़ोतरी से सरकार का राजस्व बढ़ता है, लेकिन इसके साथ ही रियल एस्टेट बाजार में खरीद-बिक्री पर असर पड़ सकता है। यही कारण है कि कई बार आर्थिक परिस्थितियों और जनभावना को देखते हुए यह फैसला स्थगित किया जाता है।
मुख्य बातें
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पंजाब सरकार ने कलेक्टर रेट बढ़ाने का फैसला फिलहाल टाल दिया।
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लुधियाना और बठिंडा समेत कई जिलों में बढ़ोतरी की तैयारी थी।
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इस साल स्टैंप और रजिस्ट्रेशन से 7,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य तय।
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पिछले साल 12 जिलों में 5% से 50% तक रेट में बढ़ोतरी हो चुकी है।






