चंडीगढ़, 28 दिसंबर (The News Air) पंजाब में 30 दिसम्बर को होने वाले बंद को लेकर किसान संगठन ने अपना मजबूत आह्वान किया है। किसानों के नेता सरवन सिंह पंधेर ने वीडियो संदेश जारी कर बताया कि यह बंद पूरे पंजाब में बड़े स्तर पर होगा, जिसमें विभिन्न सेवाओं पर व्यापक असर पड़ेगा। यह बंद खासतौर पर केंद्र सरकार की कॉरपोरेट नीति के खिलाफ किया जा रहा है, जिसे किसानों के संगठन ने एक हमले के रूप में देखा है।
किसानों के आह्वान का पूरा असर : सरवन सिंह पंधेर ने इस बंद को लेकर बताया कि, “यह बंद सिर्फ किसानों का नहीं, बल्कि हर वर्ग का आंदोलन है। इसमें पंजाब के सभी वर्गों का समर्थन मिल रहा है।” इस बंद के दौरान प्रमुख सेवाएँ जैसे पेट्रोल पंप, गैस एजेंसियाँ, ट्रेन सेवाएँ और सार्वजनिक यातायात पूरी तरह से ठप रहेंगी। इसके साथ ही, दुकानों के शटर भी बंद होंगे, जिससे आम जनता को कठिनाई हो सकती है।
आवश्यक सेवाओं को मिलेगा विशेष छूट : हालांकि, इस बंद के दौरान आपातकालीन सेवाएँ जैसे चिकित्सा, विवाह कार्यक्रम, हवाई अड्डे की सेवाएँ और अन्य आवश्यक सेवाएँ बहाल रहेंगी। विशेष परिस्थितियों में जिन बच्चों का इंटरव्यू है, उन्हें भी कोई रुकावट नहीं आएगी। पंधेर ने कहा, “हम चाहते हैं कि पंजाब पूरी तरह से इस बंद का समर्थन करे, लेकिन किसी को भी आपातकालीन परिस्थितियों में परेशानी न हो।”
कॉरपोरेट नीति पर सवाल उठाए गए : पंधेर ने इस मौके पर केंद्र सरकार की कॉरपोरेट नीति पर तीखा हमला किया। उनका कहना था, “केंद्र सरकार की कॉरपोरेट नीति पंजाब के छोटे व्यापारियों, दुकानदारों और श्रमिकों के लिए खतरे की घंटी है। यह नीति हमारी आजीविका और संस्कृति पर आक्रमण कर रही है।” उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वे इस मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार हों और किसानों की बात सुनें।
राजनीतिक दलों का रुख स्पष्ट करने का आह्वान : सरवन सिंह पंधेर ने पंजाब के राजनीतिक दलों से भी अपना रुख स्पष्ट करने को कहा। उन्होंने कहा, “अब समय आ गया है कि पंजाब के सभी राजनीतिक दलों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे किसानों के साथ हैं या मोदी सरकार के साथ।” उनका कहना था कि किसानों के मुद्दों को हल करना सरकार की जिम्मेदारी है, और इसे बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए।
किसान आंदोलन का व्यापक असर : किसान संगठनों के आह्वान पर 30 दिसम्बर को होने वाला बंद पंजाब में ही नहीं, बल्कि देशभर में चर्चा का विषय बन चुका है। इस बंद का मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार की नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना है। किसान नेताओं का मानना है कि यदि यह नीति लागू रही, तो छोटे व्यापारियों और किसानों को गंभीर नुकसान हो सकता है।