The News Air- डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम के जेल जाने के बाद 14 फरवरी को पंजाब में पहला विधानसभा चुनाव हो रहा है। इन चुनावों में जीत के लिए हर राजनीतिक दल ने डेरे की दौड़ लगानी शुरू कर ही है। 9 जनवरी को कांग्रेस, भाजपा, AAP के कई नेता बठिंडा स्थित डेरे की सबसे बड़ी शाखा सलाबतपुरा में अपनी हाज़िरी लगा चुके हैं। इस बार राम रहीम जेल से ही अपना फ़ैसला डेरा पॉलिटिकल विंग को भेजेंगे, जो इसे डेरा प्रेमियों तक पहुंचाएगी।
पंजाब के 23 ज़िलों में 300 बड़े डेरे हैं जिनका सीधा दख़ल सूबे की राजनीति में है। ये डेरे प्रदेश के माझा, मालवा और दोआबा क्षेत्र में अपना-अपना वर्चस्व रखते हैं। पड़ोसी राज्य हरियाणा के सिरसा ज़िले में स्थित डेरा सच्चा सौदा का पंजाब के मालवा रीजन की क़रीब 69 सीटों पर प्रभाव है।
हरियाणा चुनाव की तरह जेल से आएगा संदेश
राम रहीम के इशारे पर ही इससे पहले डेरा प्रेमियों ने दो लोकसभा चुनावों, दिल्ली विधानसभा चुनाव, हरियाणा के दो विधानसभा चुनावों में दलों को समर्थन दिया। लोकसभा चुनाव और हरियाणा विधानसभा 2019 के चुनाव के समय भी डेरा प्रमुख जेल में था। राम रहीम के गद्दी संभालने के बाद पहला अवसर है कि पंजाब चुनाव के समय वह डेरे की राजनीतिक विंग से सीधे नहीं जुड़ा है। पिछले हरियाणा विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तरह ही राम रहीम जेल से ही अपना संदेश डेरा सच्चा सौदा की पॉलिटिकल विंग तक पहुंचाएगा। विंग के इशारे पर ही डेरा प्रेमी अपना वोट डालेंगे।
डेरे का दावा- पंजाब में 40 से 45 लाख श्रद्धालु
डेरा सच्चा सौदा की 45 सदस्यीय कमेटी के एक पदाधिकारी का दावा है कि पूरे देश में डेरे के 6 करोड़ श्रद्धालु हैं। पंजाब में ही डेरे के श्रद्धालुओं की संख्या 40 से 45 लाख है। शाह सतनाम सिंह ग्रीन वेल्फेयर फोर्स के सदस्य, सेवादार, भंगी दास, 15 सदस्यीय कमेटी के सदस्यों के आधार पर यह दावा है। उनके अनुसार, मालवा की हर विधानसभा सीट पर 22 से 25 प्रतिशत वोट बैंक डेरा प्रेमियों का है। उन्होंने स्वीकार किया कि वे उम्मीदवार की हार-जीत के समीकरणों को तो बदल सकते हैं, लेकिन अपना उम्मीदवार खड़ा कर जीत नहीं सकते।
डेरे की राजनीतिक विंग 2006-07 में बनी
डेरे की स्थापना 1948 में शाह मस्ताना ने की थी। 1960 में शाह सतनाम डेरे की गद्दी पर बैठे। इसके बाद 1990 में 23 साल की उम्र में राम रहीम डेरे की गद्दी पर बैठा था। साल 2006-07 में डेरा सच्चा सौदा ने राजनीतिक विंग बनाई। इसमें डेरा प्रमुख के विश्वासपात्र लोग शामिल हैं। साथ ही हर राज्य की 45 सदस्यीय कमेटी भी गठित की।
2007 के पंजाब चुनाव में पहली बार प्रत्यक्ष रूप से डेरे की राजनीतिक विंग ने कांग्रेस को समर्थन दिया। कांग्रेस को समर्थन के बावज़ूद सूबे में शिरोमणि अकाली दल-भाजपा की सरकार बनी। इसके बाद डेरे और शिरोमणि अकाली दल के बीच मतभेद पैदा हुए। बठिंडा में गुरु गोबिंद सिंह का स्वरूप धारने पर डेरा प्रमुख राम रहीम के ख़िलाफ़ केस दर्ज़ हुआ और देशभर में सिखों ने विरोध प्रदर्शन किए। यही कारण था कि 2012 के चुनावों में मालवा बेल्ट में कांग्रेस को समर्थन के बावज़ूद अकाली दल को 33 सीटें मिलीं। साल 2017 में डेरे ने कुछ सीटों पर अकाली दल और कुछ पर कांग्रेस को समर्थन दिया।
तीन बार चुनाव हारा राम रहीम का समधी
साल 2012 के विधानसभा चुनावों में राम रहीम के बेटे का सुसर हरमिन्दर सिंह जस्सी बठिंडा विधानसभा हलक़े से शिरोमणि अकाली दल के प्रत्याशी सरूप चंद सिंगला से 6445 वोटों से चुनाव हार गए। तलवंडी साबो उप चुनाव में भी उनकी पराजय हुई। वर्ष 2017 में मौड़ मंडी हलक़े से जस्सी फिर चुनाव हारे। इस चुनाव में रैली के दौरान ब्लास्ट भी हुआ और 7 लोगों की मौत हुई। डेरा सच्चा सौदा वर्कशाप के तीन कर्मचारियों के ख़िलाफ़ केस भी दर्ज़ हुआ।
इन चुनावों में रही है डेरे की भागीदारी
साल 2007, 2012, 2017 के पंजाब विधानसभा चुनावों में डेरे ने पूरी तरह से भागीदारी की। 2014 के लोकसभा चुनाव और हरियाणा विधानसभा चुनाव में डेरा प्रमुख ने PM के स्वच्छ भारत मिशन की सराहना करते हुए समर्थन दिया। सभी नेता वोटों की राजनीति के लिए डेरे में माथा टेकने पहुंचते हैं। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह भी विधानसभा चुनावों से पहले पत्नी और परिवार के साथ डेरे में पहुंच चुके हैं। बादल परिवार भी डेरे में हाज़िरी लगवा चुका है।
डेरे की सलाबतपुरा शाखा में जुटे कई दिग्गज
बठिंडा में डेरा सच्चा सौदा की सलाबतपुरा शाखा में 9 जनवरी को शाह सतनाम के प्रकाश दिवस के अवसर पर समागम हुआ। इस कार्यक्रम में भाजपा के पूर्व मंत्री सुरजीत कुमार ज्याणी, हरजीत सिंह ग्रेवाल, पूर्व चेयरमैन इंप्रूवमेंट ट्रस्ट बठिंडा मोहन लाल गर्ग, कांग्रेस के पूर्व मंत्री साधु सिंह धर्मसोत, पूर्व मंत्री और डेरा प्रमुख के समधी हरमिन्दर सिंह जस्सी, पूर्व विधायक मंगत राय बंसल और आम आदमी पार्टी के बठिंडा से उम्मीदवार जगरूप सिंह गिल पहुंचे थे।
जेल से संदेश आने के बाद ही डेरे की पॉलिटिकल विंग की सक्रियता बढ़ेगी और विंग के इशारे पर ही डेरे की संगत अपना वोट डालेगी। यही वजह है कि सभी राजनीतिक दलों के नेता डेरे तक दौड़ लगा रहे हैं।