Pundrik Goswami Guard of Honor Controversy: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले से एक ऐसा Video सामने आया है जिसने पुलिस महकमे और प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है। यहां पुलिस लाइन के Police Parade Ground, जिसे अनुशासन और राष्ट्र निष्ठा का प्रतीक माना जाता है, वहां नियमों को ताक पर रखकर एक धार्मिक कथावाचक पुंडरिक गोस्वामी को पुलिस द्वारा Guard of Honor दिया गया। इस घटना का Video Viral होते ही संविधान, Protocol और Secularism पर नई बहस छिड़ गई है।
रेड कार्पेट, सलामी और एसपी की अगुवाई
Viral Video में साफ देखा जा सकता है कि बहराइच के एसपी आर.एन. सिंह खुद परेड की अगुवाई कर रहे हैं। ग्राउंड में बाकायदा Red Carpet बिछाया गया है। पुलिसकर्मी कतार में खड़े होकर कथावाचक पुंडरिक गोस्वामी को सलामी दे रहे हैं और कथावाचक इस सम्मान को स्वीकार कर रहे हैं। यह दृश्य किसी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के स्वागत जैसा था, लेकिन असल में यह सम्मान एक निजी धार्मिक गुरु को दिया जा रहा था, जिसका कोई संवैधानिक आधार नहीं है।
क्या कहता है नियम और प्रोटोकॉल?
भारत में Guard of Honor राज्य की संप्रभु शक्ति का प्रतीक है। यह सम्मान केवल संवैधानिक और सरकारी पदों जैसे President, Prime Minister, Governor, Chief Minister, Chief Justice या सेना प्रमुखों के लिए निर्धारित है। इसके अलावा शहीदों को अंतिम विदाई के समय यह सम्मान दिया जाता है। किसी भी कथावाचक, बाबा या निजी व्यक्ति को Guard of Honor देने का कोई कानूनी या Protocol आधार नहीं है। यही वजह है कि इसे संविधान का उल्लंघन माना जा रहा है।
विपक्ष का हमला: ‘भारत कोई मठ नहीं’
इस घटना पर विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। नगीना से सांसद और भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने X (ट्विटर) पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि “भारत कोई मठ नहीं बल्कि एक संवैधानिक गणराज्य है।” उन्होंने आरोप लगाया कि यूपी में आस्था को संविधान और धर्म को कानून से ऊपर रखा जा रहा है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 15 और 25-28 का हवाला देते हुए कहा कि राज्य का कोई धर्म नहीं होता और उसे धर्म से दूरी बनाए रखनी चाहिए। वहीं, समाजवादी पार्टी ने इसे बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान का अपमान बताया है।
संपादक का विश्लेषण: वर्दी का धर्म और संवैधानिक मर्यादा
एक वरिष्ठ Editor के तौर पर इस घटना का विश्लेषण करें, तो यह एक बेहद गंभीर प्रशासनिक चूक है। पुलिस की वर्दी संविधान की शपथ लेती है, न कि किसी विशेष धर्म या व्यक्ति की। जब एक जिले का SP स्तर का अधिकारी, जो कानून का रखवाला है, एक कथावाचक के सामने नतमस्तक होकर सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल करता है, तो यह पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है। अगर प्रेरक व्याख्यान ही उद्देश्य था, तो उसे ऑडिटोरियम में किया जा सकता था, परेड ग्राउंड में Guard of Honor देकर ‘राजधर्म’ और ‘व्यक्तिगत आस्था’ के बीच की लकीर को मिटाना खतरनाक परंपरा है।
पुलिस की सफाई और डीजीपी का एक्शन
बहराइच पुलिस ने तर्क दिया कि ट्रेनिंग के दौरान पुलिसकर्मी मानसिक अवसाद (Depression) में थे, इसलिए कथावाचक को ‘मोटिवेशनल लेक्चर’ के लिए बुलाया गया था। लेकिन सवाल यह है कि लेक्चर के लिए Red Carpet और सलामी की क्या जरूरत थी? मामले की गंभीरता को देखते हुए यूपी के DGP ने इसका स्वतः संज्ञान लिया है। DGP कार्यालय ने साफ किया है कि परेड ग्राउंड का इस्तेमाल सिर्फ आधिकारिक कार्यों के लिए हो सकता है। अनाधिकृत उपयोग और Protocol उल्लंघन के लिए बहराइच एसपी से स्पष्टीकरण मांगा गया है और उन पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।
आम आदमी पर असर
जब रक्षक ही नियमों को तोड़ने लगें, तो आम आदमी का सिस्टम पर से भरोसा डगमगा जाता है। यह घटना संदेश देती है कि रसूख और धर्म के नाम पर सरकारी नियमों को मोड़ा जा सकता है। एक आम नागरिक जो अपने अधिकारों के लिए पुलिस के पास जाता है, उसे यह देखकर धक्का लग सकता है कि पुलिस संविधान के बजाय ‘पांव पूजने’ में व्यस्त है।
जानें पूरा मामला
पुंडरिक गोस्वामी वृंदावन के एक युवा कथावाचक हैं जो 7 साल की उम्र से कथा सुना रहे हैं और खुद को ऑक्सफोर्ड शिक्षित बताते हैं। बहराइच पुलिस लाइन में उन्हें बुलाकर जिस तरह से राजकीय सम्मान दिया गया, उसने संवैधानिक मर्यादाओं को तार-तार कर दिया है। अब यह देखना होगा कि जांच के बाद क्या कार्रवाई होती है।
मुख्य बातें (Key Points)
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बहराइच एसपी ने नियमों के खिलाफ जाकर कथावाचक को दिया Guard of Honor।
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Red Carpet बिछाकर पुलिसकर्मियों ने दी सलामी, वीडियो हुआ Viral।
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चंद्रशेखर आजाद ने इसे संविधान का उल्लंघन बताया, कहा- भारत मठ नहीं गणराज्य है।
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यूपी DGP ने एसपी से मांगा जवाब, परेड ग्राउंड के गलत इस्तेमाल पर जांच शुरू।






