नई दिल्ली, 03 अगस्त (The News Air): बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ हुए देशव्यापी प्रदर्शन ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। जिस तरह से छात्रों और आम जनता ने पूरा आंदोलन चलाया उसने बांग्लादेश की सत्ता को हिलाकर रख दिया। क्या ये प्रदर्शन टिप ऑफ आइसबर्ग था? क्या बांग्लादेश की सरकार जनता के आक्रोश को समझने में फेल रही। इस सब पर पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने रॉयटर्स से खास बातचीत में खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने ट्रंप पर हमले से लेकर कमला हैरिस के अमेरिकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी समेत हर मुद्दे पर बात की। जानिए उन्होंने क्या कुछ कहा।
बांग्लादेश में पिछले दिनों हुए प्रदर्शन और हिंसा पर पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कई मुद्दों को उठाया। उन्होंने कहा कि ये कोई पहली बार नहीं है जब बांग्लादेश में इस तरह से छात्रों ने बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया है। आरक्षण के मुद्दे पर छात्रों के आक्रोश को वहां की सरकार समझ नहीं सकी। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि ये मुद्दा छात्रों से होते हुए देशव्यापी बन जाएगा। उन्होंने ये भी बताया कि केवल आरक्षण का मुद्दा ही इस प्रदर्शन में अहम नहीं था बल्कि महंगाई जैसे मुद्दे भी थे, जिसकी वजह से लोग सड़कों पर उतरे।
क्या ये प्रदर्शन टिप ऑफ आइसबर्ग है तो भारत के पूर्व विदेश सचिव श्रृंगला ने बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था का हाल बयां कर दिया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में आज 17 से 18 फीसदी महंगाई दर है। इससे वहां इकोनॉमी प्रभावित हो रही। युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा। आम लोगों को जीवित रहने के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ रहा। वहां की जनता अच्छी गवर्नेंस चाहती है। ये कुछ अंदरूनी मामले हैं जिसने लोगों को सड़क पर उतरने और बांग्लादेश में इतना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर किया।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले जिस तरह से ट्रंप पर फायरिंग हुई, उसका गहरा असर पड़ना तय है। ये बात पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कही है। उन्होंने कहा कि जैसे ट्रंप पर गोली चली वैसे ही बाइडन का गिरना तय हो गया। यही वजह है कि जो बाइडन ने अपनी राष्ट्रपति पद से दावेदारी से नाम वापस ले लिया।
वहीं कमला हैरिस क्या खुद को इंडियन अमेरिकन के तौर पर पेश करना चाहेंगा? इस पर हर्ष श्रृंगला ने रायटर्स को दिए इंटरव्यू में बताया कि वो प्राइमरी तौर पर खुद को अफ्रीकन-अमेरिकन के तौर पर पेश करेंगी। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां वो बड़े वोटर ब्लॉक हैं। वहां की स्थिति के चलते ऐसा होगा। हालांकि, वो ओसीआई कार्ड के तौर पर भी योग्य हैं। भारतीय मूल की होने का दांव चल सकती हैं।