मामले पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि, 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 7 नर और 5 मादा चीतों सहित 12 चीतों को भारत लाया जा रहा है। वहीं एसपी यादव, डीजी वाइल्डलाइफ ने बताया कि, कूनो नेशनल पार्क में सभी चीतों ने अपने परिवेश को अच्छी तरह से अनुकूलित किया है। एक ‘सासा’ नाम के चीते को छोड़कर सभी चीते स्वस्थ हैं।
मिली खबर के अनुसार, दक्षिण अफ्रीकी चीते सबसे पहले शनिवार सुबह मध्य प्रदेश में ग्वालियर वायु सेना के अड्डे पर पहुंचेंगे और 30 मिनट बाद उन्हें भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों द्वारा लगभग 165 किमी दूर श्योपुर जिले के केएनपी पहुंचाया जाएगा। विशेषज्ञ ने कहा कि दोपहर 12 बजे KNP पर उतरने के बाद, उन्हें आधे घंटे के बाद क्वारंटाइन (बाड़ों) में रखा जाएगा। केएनपी के निदेशक उत्तम शर्मा ने कहा कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी चीतों के लिए 10 बाड़े स्थापित किए हैं। दक्षिण अफ्रीका ने भारत को ये चीते दान किए हैं।
जानकारी हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को अपने 72 वें जन्म दिवस पर नामीबिया से कुनो नेशनल पार्क में आठ चीतों को छोड़ा था। लेकिन उस समय दक्षिण अफ्रीकी सरकार से अनुमोदन के अभाव में इन 12 चीतों KNP नहीं लाया जा सका था। गौरतलब है कि, भारत को प्रत्येक चीता को स्थानांतरित करने से पहले वहां पकड़ने के लिए 3000 अमरीकी डालर का भुगतान करना पड़ता है।
यह भी विदित हो कि भारतीय वन्यजीव कानूनों के अनुसार, जानवरों को आयात करने से पहले एक महीने का क्वारंटाइन अनिवार्य है और देश में आने के बाद उन्हें अगले 30 दिनों के लिए आइसोलेशन में रखा जाना आवश्यक है। पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने UPAसरकार के तहत 2009 में भारत में चीतों को फिर से पेश करने के उद्देश्य से ‘प्रोजेक्ट चीता’ की शुरुआत की थी।