Priyanka Gandhi Parliament Speech: संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को भारी हंगामा देखने को मिला, जब कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा (MGNREGA) की जगह लाए जा रहे नए विधेयक का तीखा विरोध किया। उन्होंने ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन’ (G Ram G) बिल को पेश किए जाने पर सख्त आपत्ति जताई और इसे गरीबों के पेट पर लात मारने वाला कदम बताया।
प्रियंका गांधी ने नियम 72 (1) के तहत इस विधेयक को पुनः स्थापित करने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून पिछले 20 सालों से ग्रामीण भारत की रीढ़ रहा है। यह एक ऐसा क्रांतिकारी कानून था जिसे सदन के सभी दलों की सहमति से बनाया गया था, लेकिन आज सरकार इसे कमजोर करने की कोशिश कर रही है।
‘चेहरे पर झुर्रियां, पत्थर जैसे हाथ’
अपने भाषण के दौरान प्रियंका गांधी ने भावनात्मक कार्ड खेलते हुए सदन का ध्यान देश के सबसे गरीब मजदूरों की तरफ खींचा। उन्होंने कहा, “हम सब जनप्रतिनिधि हैं और जब हम अपने क्षेत्रों में जाते हैं, तो दूर से ही पहचान लेते हैं कि मनरेगा का मजदूर कौन है। उनके चेहरे पर झुर्रियां होती हैं, और जब हम उनसे हाथ मिलाते हैं, तो उनके हाथ पत्थरों की तरह कठोर होते हैं क्योंकि वे इतनी कड़ी मेहनत करते हैं।”
प्रियंका ने तर्क दिया कि यह बिल उन गरीबों के अधिकारों को छीनने की कोशिश है। पुराना कानून उन्हें रोजगार की कानूनी गारंटी देता था, जो ‘मांग’ पर आधारित था। यानी जहां काम की जरूरत होती थी, वहां सरकार को काम देना ही पड़ता था।
केंद्र का नियंत्रण बढ़ा, राज्यों का फंड घटाया
प्रियंका गांधी ने बिल की तकनीकी खामियों को भी उजागर किया। उन्होंने बताया कि नए विधेयक में केंद्र सरकार को यह अधिकार दिया जा रहा है कि वह पहले से तय कर ले कि कहां कितना पैसा भेजना है। इससे संविधान के 73वें संशोधन और ग्राम सभाओं के अधिकारों को नजरअंदाज किया जा रहा है। पहले ग्राम सभाएं जमीनी हालात देखकर मांग तय करती थीं, लेकिन अब यह हक उनसे छीना जा रहा है।
उन्होंने एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि पहले मनरेगा में 90% अनुदान केंद्र से आता था, लेकिन इस नए विधेयक के जरिए इसे घटाकर 60% किया जा रहा है। इससे राज्यों की अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ पड़ेगा, जो पहले से ही जीएसटी (GST) के बकाए के लिए केंद्र की ओर देख रहे हैं।
‘नाम बदलने की सनक समझ से परे’
प्रियंका गांधी ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि “हर योजना का नाम बदलने की जो सनक है, यह मेरी समझ से परे है।” उन्होंने कहा कि जब भी नाम बदला जाता है, तो सरकारी खजाने से पैसा खर्च होता है।
उन्होंने सदन में स्पष्ट कहा कि यह विधेयक बिना चर्चा और सलाह के जल्दबाजी में पास नहीं होना चाहिए। उन्होंने मांग की कि इस बिल को वापस लिया जाए और गहन जांच के लिए इसे स्थायी समिति (Standing Committee) के पास भेजा जाना चाहिए।
‘गांधी जी मेरे परिवार के नहीं, देश के हैं’
महात्मा गांधी का नाम हटाए जाने के मुद्दे पर प्रियंका गांधी ने भावुक होकर कहा, “महात्मा गांधी जी मेरे परिवार के नहीं थे, लेकिन वो मेरे परिवार जैसे ही हैं और इस पूरे देश की यही भावना है।” उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि किसी की निजी महत्वाकांक्षा, सनक और पूर्वाग्रह के आधार पर कोई कानून नहीं बनना चाहिए।
भाषण के अंत में, भारी शोर-शराबे के बीच केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘विकसित भारत जी राम जी विधेयक 2025’ (VB-G RAM G) को सदन में पेश करने का प्रस्ताव रखा।
आम पाठक पर असर (Human Impact)
अगर यह बिल पास होता है और प्रियंका गांधी के दावे सही साबित होते हैं, तो इसका सीधा असर गांव में रहने वाले उस मजदूर पर पड़ेगा जो साल में 100 दिन के काम के भरोसे अपना घर चलाता है। राज्यों पर आर्थिक बोझ बढ़ने से हो सकता है कि मजदूरों को समय पर वेतन मिलने में भी दिक्कतें आएं।
‘जानें पूरा मामला’
केंद्र सरकार मनरेगा (MGNREGA) कानून को निरस्त कर उसकी जगह एक नया कानून ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ लाने की तैयारी में है। इसे शॉर्ट में ‘VB-G RAM G’ कहा जा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार इसमें से ‘महात्मा गांधी’ का नाम हटा रही है और फंडिंग का ढांचा बदलकर राज्यों के अधिकार कम कर रही है, जबकि सरकार इसे विकसित भारत की दिशा में एक कदम बता रही है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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विरोध: प्रियंका गांधी ने नियम 72 (1) के तहत ‘G Ram G’ बिल का विरोध किया।
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फंडिंग में कटौती: केंद्र का हिस्सा 90% से घटाकर 60% करने का दावा किया गया।
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अधिकार हनन: ग्राम सभाओं से रोजगार की मांग तय करने का अधिकार छीने जाने का आरोप।
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भावनात्मक अपील: प्रियंका ने कहा, “गांधी जी पूरे देश के परिवार हैं,” नाम बदलने की सनक पर उठाए सवाल।
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मांग: बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजने की मांग की गई।






