नई दिल्ली 20 दिसंबर (The News Air) : सिगरेट और तंबाकू उत्पादों पर कर बढ़ाने से जुड़ी खबरें फिर से चर्चा में हैं। मंत्रियों के समूह (GOM) ने हाल ही में इन उत्पादों पर मौजूदा 28% GST को बढ़ाकर 35% ‘सिन टैक्स’ स्लैब में लाने की सिफ़ारिश की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह क़दम न केवल तंबाकू की खपत को कम करेगा, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक असर डाल सकता है।
तंबाकू पर कर बढ़ाने से स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर : एम्स, नई दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. आलोक ठाकर का कहना है कि तंबाकू से जुड़ी बीमारियाँ भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा बोझ डालती हैं। उन्होंने ज़ोर दिया कि करों में बढ़ोतरी से तंबाकू का सेवन कम करने में मदद मिलेगी, जैसा कि दुनिया के अन्य देशों में देखा गया है। डॉ. ठाकर के अनुसार, तंबाकू पर कर बढ़ाने से युवाओं और निचले आय वर्ग में तंबाकू उत्पादों की खपत में कमी आएगी, जिससे भारत में स्वास्थ्य समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकेगा।
तंबाकू पर कर बढ़ाना भारत के विकास के लिए अहम कदम: विशेषज्ञ – स्वास्थ्य अर्थशास्त्री और लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. अरविंद मोहन ने कहा कि तंबाकू पर कर बढ़ाना भारत के विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में एक अहम क़दम होगा। उनका तर्क है कि तंबाकू का इस्तेमाल मानव पूंजी को नुक़सान पहुँचाता है और पिछले एक दशक में इन उत्पादों पर कर का वास्तविक बोझ घटा है। डॉ. मोहन का मानना है कि तंबाकू पर कर बढ़ाने से भारत को स्वस्थ और समृद्ध समाज बनाने में मदद मिलेगी।
ICMR और WHO की चेतावनी: तंबाकू पर कर बढ़ाने की आवश्यकता : ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत कुमार सिंह ने तंबाकू से होने वाली मौतों और बीमारियों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि 2019 से 2021 के बीच तंबाकू से जुड़ी बीमारियों के कारण करोड़ों लोगों की जान गई। डॉ. सिंह ने WHO की सिफ़ारिश का भी ज़िक्र किया कि तंबाकू पर कर इसके खुदरा मूल्य का कम से कम 75% होना चाहिए। जबकि भारत में यह दर सिगरेट के लिए 57.6% और मशीन से बनी बीड़ी के लिए सिर्फ़ 22% है।
GST काउंसिल की आगामी बैठक में महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव : GST काउंसिल की आगामी बैठक, जो 21 दिसम्बर को होने वाली है, में इस सिफ़ारिश पर विचार किया जाएगा। इसके अलावा, नोटबुक, बोतलबंद पानी और साइकिल जैसी आवश्यक वस्तुओं पर GST दर घटाने और स्वास्थ्य व जीवन बीमा प्रीमियम में कमी के प्रस्तावों पर भी चर्चा होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि तंबाकू पर बढ़े हुए कर से मिलने वाला राजस्व निवारक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य लक्ष्यों को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
तंबाकू पर बढ़े हुए कर का प्रभाव: राजस्व और स्वास्थ्य : विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि तंबाकू पर बढ़ाए गए कर से सरकार को अतिरिक्त राजस्व मिलेगा, जिसे निवारक स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य स्वास्थ्य योजनाओं के लिए ख़र्च किया जा सकता है। साथ ही, कोल्ड ड्रिंक जैसे अन्य हानिकारक उत्पादों पर भी इस तरह के टैक्स लगाने की सिफ़ारिश की गई है ताकि सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जा सके और हानिकारक आदतों को नियंत्रित किया जा सके।
तंबाकू पर कर वृद्धि से सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार : सिगरेट और तंबाकू उत्पादों पर कर बढ़ाने का क़दम भारत में तंबाकू की खपत को नियंत्रित करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए एक महत्त्वपूर्ण क़दम हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, तंबाकू पर कर बढ़ाने से न केवल तंबाकू की खपत में कमी आएगी, बल्कि इससे मिलने वाला राजस्व स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश किया जा सकेगा, जिससे समग्र रूप से देश के स्वास्थ्य मानकों में सुधार होगा।