पब्लिक प्रोविडेंट फ़ंड यानी पीपीएफ (PPF) देश की सबसे भरोसेमंद और लोकप्रिय स्माल सेविंग स्कीम्स (small savings scheme) में से एक है। हालांकि, तमाम निवेशक इसके ख़ास फीचर्स के बारे में नहीं जानते हैं, इसीलिए इसमें निवेश से बचते हैं। हम यहां पीपीएफ के 10 फीचर्स या उसकी ख़ास बातों के बारे में बता रहे हैं, जिससे आपके लिए इसमें निवेश करना आसान हो सकता है।
एक व्यक्ति, एक अकाउंट
अपने जीवन में आप कभी भी अपने नाम पर एक पीपीएफ अकाउंट (PPF Account) खुलवा सकते हैं। पीपीएफ में ज्वाइंट अकाउंट खुलवाने का प्रावधान नहीं है। अगर आपने एक से ज़्यादा पीपीएफ अकाउंट खुलवाएं तो यह पता चलने पर पहले अकाउंट को छोड़कर सभी डीऐक्टिवेट कर दिए जाएंगे। तब आपको उन अकाउंट में आपकी ओर से जमा की गई रक़म ही वापस होगी यानी ब्याज का एक रुपया भी नहीं मिलेगा।
कितनी है ब्याज दर?
पीपीएफ में ब्याज दर फिक्स नहीं होती है बल्कि यह 10 साल की अवधि वाले सरकारी बॉन्ड की यील्ड से जुड़ी होती है। सरकार अपनी सिक्योरिटीज पर मिले यील्ड (रिटर्न) के आधार पर हर तिमाही PPF के लिए ब्याज दर निर्धारित करती है। 1968-69 में पीपीएफ पर 4% ब्याज था तो 1986-2000 के बीच ब्याज दर बढ़कर 12% तक पहुंच गया था। पिछले तीन महीनों में बॉन्ड यील्ड बढ़ गया है लेकिन छोटी बचत योजनाओं में रेट पहले ही तय फॉर्म्युले से अधिक हैं। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी जून, 2022 तक के लिए यह 7.10 फ़ीसदी तय किया गया है।
नाबालिग के लिए अकाउंट?
आप चाहें तो अपने नाबालिग बच्चे के नाम पर भी एक पीपीएफ अकाउंट खुलवा सकते हैं। हालांकि, वह बच्चे का ही अकाउंट होगा, आप सिर्फ़ गार्जियन रहेंगे। अपने हर बच्चे के लिए या मां या फिर पिता, दोनों में से कोई एक ही अपने किसी बच्चे के साथ अकाउंट खुलवा सकते हैं। बच्चे के माता-पिता के जिन्दा रहते दादा-दादी उसके लिए पीपीएफ अकाउंट नहीं खुलवा सकते। अगर माता-पिता ने दादा-दादी को बच्चे का क़ानूनी अभिभावक नियुक्त कर दिया हो तो माता-पिता की मौत के बाद दादा-दादी बच्चों के लिए पीपीएफ अकाउंट खुलवा सकते हैं।
सालाना कम से कम 500 रुपये करने होंगे जमा
अकाउंट ऐक्टिव रखने के लिए सालाना कम-से-कम 500 रुपये अकाउंट में डालने होंगे जबकि एक वित्त वर्ष (अप्रैल से मार्च) में ज़्यादा-से-ज़्यादा 1.5 लाख रुपये ही डाल सकते हैं। अगर आपने अपने और अपने बच्चे के नाम पर भी अकाउंट खोल रखे हैं तो सारे अकाउंट्स मिलाकर अधिकतम निवेश की रक़म 1.5 लाख रुपये ही रहेगी। अगर आपने 1.5 लाख रुपये की वार्षिक सीमा से ज़्यादा की रक़म पीपीएफ अकाउंट में डाली तो अतिरिक्त रक़म पर ब्याज नहीं मिलेगा और न ही इस पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट ले पाएंगे। यह रक़म आपको बिना ब्याज के लौटा दी जाएगी।
कैसे खोलें PPF Account
सरकार ने कुछ पोस्ट ऑफ़िस और कुछ बैंकों को पीपीएफ अकाउंट खोलने का अधिकार दे रखा है। आप इन निश्चित पोस्ट ऑफ़िसों या बैंक शाखाओं में जाकर अपना अकाउंट खुलवा सकते हैं। कुछ बैंक ऑनलाइन अकाउंट खोलने की भी सुविधा दे रहे हैं। ऐसे बैंकों में आप घर बैठे भी पीपीएफ अकाउंट खोल सकते हैं। पीपीएफ के आवेदन फॉर्म (फॉर्म- A) में नॉमिनी का कोई कॉलम नहीं होता है, इसलिए किसी को नॉमिनी बनाना हो तो अकाउंट खोलते वक़्त फॉर्म- E जरुर भरें।
पीपीएफ अकाउंट पर ले सकते हैं लोन
आप अपने पीपीएफ अकाउंट के एवज़ में लोन भी ले सकते हैं और जमा रक़म में से कुछ हिस्सा निकाल भी सकते हैं। इन दिनों मैच्योरिटी से पहले पीपीएफ अकाउंट बंद करवाने की सुविधा दे दी गई है। हालांकि, खाता खुलने के कम-से-कम पांच वित्त वर्ष पूरा होने के बाद कुछ ख़ास मामलों में इसकी अनुमति दी जा सकती है। मसलन खाताधारक, उसके जीवनसाथी, बच्चे या माता-पिता की गंभीर या जानलेवा बीमारियों के इलाज और खाताधारक की उच्च शिक्षा आदि के लिए ऐसा किया जा सकता है।
आंशिक विद्ड्रॉल की है अनुमति
PPF इमरजेंसी में इनवेस्टर्स को आंशिक विद्ड्रॉल की अनुमति देता है। छह साल के बाद, एक निवेशक अपने चौथे साल के अंत तक या बिल्कुल पिछले साल की बैलेंस राशि जो भी कम हो, उसका 50 फ़ीसदी तक पैसा निकाल सकता है। यदि खाते को बिना अतिरिक्त अंशदान के जारी रखा जाता है तो सब्सक्राइबर खाते से कोई भी धनराशि निकाल सकता है। लेकिन यदि खाते को अतिरिक्त अंशदान के साथ जारी रखा जाता तो विद्ड्रॉल लिमिट एक्सटेंशन पीरियड की शुरुआत में कुल बैलेंस की 60 फ़ीसदी है।
टैक्स पर छूट
पीपीएफ में निवेश की गई रक़म पर इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80C के तहत टैक्स डिडक्शन मिलता है। इतना ही नहीं, इस निवेश पर जो ब्याज मिलता है, वह भी सेक्शन 10 के तहत टैक्स छूट के दायरे में आता है। PPF को ट्रिपल टैक्स बेनिफिट (triple tax benefit) वाली स्कीम कहा जाता है। ट्रिपल टैक्स बेनिफिट का मतलब होता है कि साल भर में अगर आप 1.5 लाख रुपए तक का निवेश करते हैं, तो उस पर मिलने वाले इंट्रस्ट और मैच्योरिटी पर मिलने वाले पूरे पैसों पर कोई टैक्स नहीं लगता है।
1-5 तारीख़ जमा करेंगे तो रहेंगे फ़ायदे में
अगर आप पीपीएफ में निवेश करना चाहते हैं तो हर महीने का पांच तारीख़ काफ़ी अहम है। आपको पीपीएफ अकाउंट में एक से पांच तारीख़ तक हर हाल में पैसे डाल देना चाहिए। दरअसल, पीपीएफ में ब्याज का आकलन हर महीने की पांच तारीख़ तक अकाउंट के मिनिमम बैलेंस पर किया जाता है। अगर आप हर महीने की पांच तारीख़ तक पैसे डाल देते हैं तो आपका मिनिमम बैलेंस बढ़ जाता है और आपको ज़्यादा ब्याज मिलती है।
15 वर्ष का निवेश
यह केंद्र सरकार की लंबी अवधि की निवेश योजना है जिसका प्रोविजन पीपीएफ ऐक्ट, 1968 में किया गया है। पीपीएफ 15 साल की मैच्योरिटी वाली स्कीम है जिसे 5-5 साल के लिए जितनी मर्ज़ी उतनी अवधि तक बढ़ाते रह सकते हैं। पीपीएफ अकाउंट में एक वर्ष में ज़्यादा-से-ज़्यादा 12 बार ही पैसे डाले जा सकते हैं। कई निवेशक बार-बार पैसे डालने की जगह एकमुश्त रक़म ही निवेश कर देते हैं। अगर किसी निवेशक ने अप्रैल 2008 में पीपीएफ अकाउंट खोला होगा तो यह अप्रैल 2023 में मैच्योर होगा।