Sindoor Politics in Punjab – पंजाब (Punjab) में इन दिनों सिंदूर (Sindoor) को लेकर सियासत अपने चरम पर है। हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधते हुए सिंदूर को लेकर चल रही मुहिम को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने तंज कसते हुए पूछा, “क्या यह वन नेशन-वन हसबैंड स्कीम (One Nation-One Husband Scheme) है?” यह बयान उन्होंने तब दिया जब उनसे सवाल किया गया कि बीजेपी नेता घर-घर जाकर सिंदूर बांटने की बात कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंदूर जैसे पवित्र प्रतीक का मजाक उड़ाया जा रहा है और इसका उपयोग राजनीतिक एजेंडे के लिए किया जा रहा है। उन्होंने मीडिया से सवाल किया कि अगर किसी के घर बीजेपी की ओर से सिंदूर भेजा जाए, तो वह किसके नाम का सिंदूर लगाएगा? यह परंपरा और धार्मिक आस्था का विषय है, ना कि राजनीतिक प्रचार का माध्यम।
इस मुद्दे पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग (Amrinder Singh Raja Warring) भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने बीजेपी नेताओं को चेतावनी दी कि वे घर-घर सिंदूर लेकर न जाएं, नहीं तो पंजाब की महिलाएं उन्हें पीटेंगी। वड़िंग ने कहा कि सिंदूर सिर्फ एक महिला के पति का अधिकार है और इसका राजनीतिक लाभ लेना निंदनीय है। उन्होंने बीजेपी नेताओं सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar) और रविशंकर बिट्टू (Ravishankar Bittu) पर भी सीधा हमला करते हुए कहा कि वे सिंदूर के नाम पर दुकानदारी बंद करें।
वहीं, बीजेपी प्रवक्ता विनीत जोशी (Vineet Joshi) ने भगवंत मान के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि इस तरह का बयान देकर सीएम उन हिंदू महिलाओं की धार्मिक भावनाओं का अपमान कर रहे हैं, जो सिंदूर को श्रद्धा से अपनाती हैं। उन्होंने इसे अस्वीकार्य बताया।
सिंदूर को लेकर यह विवाद तब शुरू हुआ जब लुधियाना (Ludhiana) में चल रहे चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी उम्मीदवार जीवन गुप्ता (Jeevan Gupta) के नामांकन के दौरान बिट्टू ने कथित रूप से कहा था कि लोग “ऑपरेशन सिंदूर” के नाम पर वोट करें।
गौरतलब है कि “ऑपरेशन सिंदूर” भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान (Pakistan) में छिपे आतंकियों के खिलाफ चलाया गया था, जब अप्रैल में जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) के पहलगाम (Pahalgam) में आतंकियों ने 26 लोगों की जान ली थी। इस सैन्य कार्रवाई का नाम ऑपरेशन सिंदूर रखा गया था, जो अब सियासी हथियार बन चुका है।
अब देखना होगा कि पंजाब की जनता इस सिंदूर सियासत को किस नजरिए से देखती है और इसका चुनाव पर क्या असर पड़ता है।