PM Modi’s Drama Jibe: संसद का शीतकालीन सत्र (Winter Session of Parliament) आज, 1 दिसंबर से शुरू हो चुका है, जो 19 दिसंबर तक चलेगा। सत्र की शुरुआत से ठीक पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया को संबोधित करते हुए विपक्ष को एक नसीहत दी। उन्होंने कहा कि यह सत्र भारत की प्रगति के प्रयासों में नई ऊर्जा भरेगा, लेकिन साथ ही विपक्ष को सलाह दी कि वे संसद में ‘ड्रामा’ न करें। पीएम मोदी ने दो टूक कहा, “यहां ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए।” अगर किसी को नारे लगाने हैं, तो उसके लिए पूरा देश खाली पड़ा है।
प्रधानमंत्री के इस बयान पर विपक्षी नेताओं ने तीखा पलटवार किया है। विपक्ष का कहना है कि जनता से जुड़े मुद्दों को उठाना ड्रामा नहीं है, बल्कि उन मुद्दों पर चर्चा न होने देना असली ड्रामा है।
‘ड्रामा तो आप भी जानते हैं कौन करता है’
समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने पीएम मोदी के बयान पर तंज कसते हुए कहा, “ड्रामा तो आप भी जानते हैं कौन करता है, यह मुस्कुराहट बता रही है कि ड्रामा कौन करता है।” उन्होंने कहा कि ड्रामा शब्द का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए किया जा रहा है क्योंकि यह ‘डी’ से शुरू होता है और ‘डी’ से डेमोक्रेसी (Democracy) भी है। अखिलेश ने मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) के दौरान बीएलओ की जान जाने की घटनाओं का जिक्र करते हुए पूछा, “क्या यह भी ड्रामा था कि जान चली गई?” उन्होंने चुनाव आयोग की जिम्मेदारी पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि भाजपा पुलिस के साथ मिलकर मतदाताओं को रोकने के लिए रिवॉल्वर लगवाने जैसा ‘ड्रामा’ करती है।
‘सबसे बड़े ड्रामा मास्टर्स हमें समझा रहे हैं’
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने पीएम मोदी को ‘सबसे बड़े ड्रामा मास्टर्स’ करार दिया। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, “शाबाश! हमें उनसे सीखना है कि ड्रामा कैसा करना है, कब करना है, कपड़े बदलकर, कैमरे का एंगल देखकर… यह सब हमें सीखना पड़ेगा।” गोगोई ने पीएम को ‘नया साइकोलॉजिस्ट और कंसलटेंट’ बताते हुए कहा कि विपक्ष हार की हताशा में नहीं है। उन्होंने पीएम से पूछा, “आपके अंदर कौन सी हताशा है? चुनाव मौलिक मुद्दों पर नहीं लड़कर कट्टा, मंगलसूत्र, भैंस, मुजरा जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना क्या प्राइम मिनिस्टर की गरिमा है?”
‘जनता के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा ड्रामा नहीं’
एक अन्य विपक्षी नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री के विचारों का कोई विरोध नहीं है, लेकिन उनकी कथनी और करनी में फर्क नहीं होना चाहिए। उन्होंने एसआईआर (SIR) में वोट कटने, लोकतंत्र पर हमले और प्रदूषण जैसे जनता से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की मांग की। प्रियंका गांधी ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रदूषण और एसआईआर जैसे मुद्दे लोकतंत्र के लिए बहुत बड़े हैं। उन्होंने कहा, “इन पर चर्चा होनी चाहिए। यह ड्रामा नहीं है। मुद्दों के बारे में बोलना ड्रामा नहीं है। ड्रामा वह है जब चर्चा नहीं होने दी जाती। ड्रामा वह है जब जनता के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर लोकतांत्रिक चर्चा नहीं होती।”
क्या है पृष्ठभूमि
संसद के हर सत्र से पहले प्रधानमंत्री पारंपरिक रूप से मीडिया को संबोधित करते हैं और सत्र के सुचारू रूप से चलने की उम्मीद जताते हैं। इस बार शीतकालीन सत्र की शुरुआत में पीएम मोदी ने विपक्ष के हंगामे और नारेबाजी को ‘ड्रामा’ करार देते हुए ‘डिलीवरी’ यानी काम पर जोर दिया, जिससे सियासी घमासान छिड़ गया है।
मुख्य बातें (Key Points)
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पीएम मोदी ने संसद सत्र शुरू होने से पहले विपक्ष को ‘ड्रामा’ न करने की नसीहत दी।
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अखिलेश यादव ने पलटवार करते हुए पूछा कि क्या बीएलओ की जान जाना भी ड्रामा था।
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गौरव गोगोई ने पीएम मोदी को ‘सबसे बड़ा ड्रामा मास्टर’ बताया।
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विपक्ष ने एसआईआर, वोट कटने और प्रदूषण जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग की।
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प्रियंका गांधी ने कहा कि मुद्दों पर बोलना ड्रामा नहीं, चर्चा न होने देना ड्रामा है।






