PM Modi Success Mantra: नए साल की दहलीज पर खड़े देशवासियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सफलता का एक ऐसा मूलमंत्र दिया है जो न केवल व्यक्तिगत तरक्की, बल्कि पूरे समाज की दशा और दिशा बदल सकता है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक प्राचीन संस्कृत श्लोक साझा करते हुए बताया कि कैसे हमारे मन के विचार ही हमारी असल ताकत होते हैं। पीएम मोदी का यह संदेश साफ करता है कि जब हम दूसरों की भलाई और सकारात्मक संकल्प के साथ आगे बढ़ते हैं, तो सफलता खुद-ब-खुद हमारे कदम चूमती है। यह सिर्फ एक उपदेश नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक कला है जो आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मन की शांति और सफलता की गारंटी बन सकती है।
कल्याणकारी विचारों से ही हम समाज का हित कर सकते हैं।
यथा यथा हि पुरुषः कल्याणे कुरुते मनः।
तथा तथाऽस्य सर्वार्थाः सिद्ध्यन्ते नात्र संशयः।। pic.twitter.com/HAX4rgpgQD
— Narendra Modi (@narendramodi) December 31, 2025
‘यथा यथा हि पुरुषः’ – श्लोक का गहरा अर्थ
प्रधानमंत्री ने जिस ‘सुभाषितम’ (अच्छे विचार) को साझा किया है, उसका एक-एक शब्द प्रेरणा से भरा है। उन्होंने लिखा:
“कल्याणकारी विचारों से ही हम समाज का हित कर सकते हैं।
यथा यथा हि पुरुषः कल्याणे कुरुते मनः।
तथा तथाऽस्य सर्वार्थाः सिद्ध्यन्ते नात्र संशयः।।”
इस श्लोक का अर्थ बेहद गहरा और सीधा है। इसका मतलब है कि जैसे-जैसे कोई व्यक्ति अपना मन कल्याणकारी कार्यों (परोपकार और भलाई) में लगाता है, वैसे-वैसे उसके सभी उद्देश्य और लक्ष्य अपने आप सिद्ध होने लगते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है। आसान भाषा में कहें तो, जब आपकी नीयत साफ होती है और आप दूसरों का भला सोचते हैं, तो कुदरत भी आपके रास्ते की सारी रुकावटें हटा देती है।
पीएम मोदी का ‘सॉफ्ट पावर’ और विश्लेषण
केवल एक राजनेता के तौर पर नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक के रूप में पीएम मोदी अक्सर ऐसे प्राचीन ज्ञान को साझा करते रहते हैं। उनका यह प्रयास दिखाता है कि तकनीक के इस दौर में भी हमारी जड़ें कितनी मजबूत होनी चाहिए। यह श्लोक आज के युवाओं के लिए एक ‘गाइडिंग लाइट’ की तरह है, जो अक्सर सफलता को सिर्फ पैसों और पद से तोलते हैं। पीएम मोदी का यह विश्लेषण बताता है कि असली सफलता ‘कलेक्टिव ग्रोथ’ यानी सबकी भलाई में छिपी है। जब आप समाज के लिए अच्छा सोचते हैं, तो आपकी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं भी सकारात्मक ऊर्जा के साथ पूरी होती हैं। यह विचार मानसिक तनाव को कम करने और एक खुशहाल समाज बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है।
आम आदमी के जीवन पर असर
इस संदेश का सीधा असर आम आदमी की रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ता है। अक्सर हम अपनी परेशानियों में इतने उलझ जाते हैं कि नकारात्मकता हमें घेर लेती है। पीएम मोदी का यह मंत्र हमें याद दिलाता है कि अगर हम अपनी सोच को ‘सेल्फिश’ (स्वार्थी) से हटाकर ‘सेल्फलेस’ (निस्वार्थ) कर लें, तो न केवल हमारे रिश्ते सुधरेंगे, बल्कि हमारे काम में भी बरकत आएगी। एक दुकानदार, एक छात्र या एक कर्मचारी—हर कोई अगर इस भावना से काम करे कि उसके काम से किसी का भला हो रहा है, तो काम का तनाव खत्म हो जाएगा और संतुष्टि मिलेगी।
सुभाषितम की समृद्ध परंपरा
क्या है पृष्ठभूमि: प्रधानमंत्री मोदी नियमित रूप से सोशल मीडिया पर ‘सुभाषितम’ सीरीज के तहत संस्कृत के ऐसे अनमोल रत्न साझा करते रहते हैं। इसका उद्देश्य भारत की नई पीढ़ी को अपनी समृद्ध विरासत और प्राचीन ज्ञान से जोड़ना है। इससे पहले भी उन्होंने परिश्रम, सत्य और धैर्य पर आधारित कई श्लोक साझा किए हैं, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल होते हैं और लोगों को जीवन की सही राह दिखाते हैं।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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PM Modi ने ‘सुभाषितम’ के जरिए परोपकारी विचारों की शक्ति पर जोर दिया।
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संस्कृत श्लोक ‘यथा यथा हि पुरुषः…’ के माध्यम से बताया कि अच्छी नीयत से ही सभी कार्य सिद्ध होते हैं।
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संदेश दिया कि व्यक्तिगत सद्गुण ही समाज की सामूहिक प्रगति का आधार हैं।
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यह मंत्र युवाओं को तनाव मुक्त होकर सफलता पाने का रास्ता दिखाता है।
FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न






