Ambedkar Insult Controversy को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) पर सीधा हमला बोला है। सीवान (Siwan) में आयोजित एक जनसभा में पीएम मोदी ने कहा कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर (Dr. B. R. Ambedkar) की तस्वीर का उनके जन्मदिन के मौके पर अपमान करना निंदनीय है। नीले रंग के गमछे में नजर आए मोदी ने मंच से कहा कि ये लोग बार-बार बाबा साहेब का अपमान करते हैं और इनसे माफी की उम्मीद करना व्यर्थ है क्योंकि इनके मन में दलितों, महादलितों और पिछड़ों के लिए कोई सम्मान नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “हम कहते हैं- सबका साथ, सबका विकास। लेकिन लालटेन और पंजे वाले कहते हैं- परिवार का साथ, परिवार का विकास। इनकी राजनीति का असली चेहरा यही है- केवल अपने परिवारों को आगे बढ़ाना, बाकी देश और राज्य की परवाह नहीं। बाबा साहेब आंबेडकर ऐसी राजनीति के सख्त खिलाफ थे, इसलिए ये लोग लगातार उनका अपमान करते रहते हैं।”
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा, “देश ने देखा है कि आरजेडी के नेताओं ने बाबा साहेब की तस्वीर के साथ किस तरह का व्यवहार किया। बिहार में हर जगह पोस्टर लगे हैं- ‘बाबा साहेब के अपमान पर माफी मांगो।’ लेकिन ये लोग कभी माफी नहीं मांगेंगे। ये बाबा साहेब की तस्वीर को पैरों में रखते हैं, जबकि मोदी बाबा साहेब को अपने दिल में रखता है।”
प्रधानमंत्री के इस बयान से पहले 11 जून को राबड़ी देवी (Rabri Devi) के आवास पर लालू यादव के जन्मदिन का कार्यक्रम हुआ था। बीमारी के बाद एहतियातन दूरी बनाकर बैठे लालू की एक वीडियो वायरल हुई, जिसमें एक कार्यकर्ता बाबा साहेब आंबेडकर की फोटो लेकर आया और लालू के पैर छूकर वह फोटो स्टाफ को देकर लौट गया। इस दौरान लालू कुर्सी पर बैठे थे और उनके पैर सामने रखी दूसरी कुर्सी पर थे। वायरल वीडियो में आंबेडकर की फोटो उलटी पकड़ी हुई थी, जिससे ये स्पष्ट नहीं हुआ कि लालू को पता चला कि वो बाबा साहेब की तस्वीर थी या नहीं।
हालांकि इस वीडियो के सामने आने के बाद भाजपा ने इसे बाबा साहेब के अपमान से जोड़ते हुए लालू यादव पर तीखा हमला बोला है। भाजपा की ओर से लगातार माफी की मांग की जा रही है और कहा जा रहा है कि जो लोग बाबा साहेब की तस्वीर का सम्मान नहीं करते, वो दलितों और पिछड़ों के सच्चे हितैषी नहीं हो सकते।
पीएम मोदी के बयान के बाद यह मुद्दा बिहार की सियासत में और ज्यादा गरमा गया है। अब देखना होगा कि इस राजनीतिक संघर्ष का आने वाले चुनावों पर क्या असर पड़ता है।