PM Modi Parliament Speech: संसद के शीतकालीन सत्र के आगाज के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों के रवैये पर अब तक का सबसे तीखा प्रहार किया है। पीएम मोदी ने मीडिया से बात करते हुए दो टूक कहा कि विपक्ष को अपनी हार की हताशा संसद में नहीं निकालनी चाहिए और अगर उन्हें प्रदर्शन करने का सही तरीका नहीं पता है, तो वे उन्हें राजनीति के ‘टिप्स’ देने के लिए भी तैयार हैं।
प्रधानमंत्री ने शीतकालीन सत्र को राष्ट्र की प्रगति के लिए अहम बताते हुए कहा कि यह सत्र भारत की विकास यात्रा में नई ऊर्जा भरने का काम करेगा। उन्होंने हालिया बिहार चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि लोकतंत्र में हार-जीत चलती रहती है, लेकिन कुछ लोग पराजय को पचा नहीं पा रहे हैं। उन्होंने विपक्ष को सलाह दी कि वे अपनी खीज संसद की कार्यवाही में बाधा डालकर न निकालें।
‘हार का गुस्सा संसद में न निकालें’
पीएम मोदी ने कहा कि दुर्भाग्य से कुछ दल ऐसे हैं जो अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पाते। उन्होंने बिहार चुनाव के नतीजों का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि अब तक विपक्ष थोड़ा संभल गया होगा, लेकिन उनकी बयानबाजी सुनकर लगता है कि वे अभी भी हार से परेशान हैं। पीएम ने सभी दलों से आग्रह किया कि इस सत्र को ‘पराजय की बौखलाहट’ का मैदान न बनने दें और न ही इसे ‘विजय के अहंकार’ में बदलें। सभी को जिम्मेदारी के साथ देश की जनता की अपेक्षाओं को पूरा करना चाहिए।
‘मैं टिप्स देने के लिए तैयार हूं’
विपक्ष की रणनीति पर कटाक्ष करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 10 साल से विपक्ष जो खेल खेल रहा है, देश उसे स्वीकार नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा, “उन्हें अपनी रणनीति बदलनी चाहिए। अगर उन्हें नहीं पता कि कैसे परफॉर्म करना है, तो मैं उन्हें टिप्स देने के लिए तैयार हूं।” पीएम मोदी ने तंज कसते हुए कहा कि विपक्ष को संसद को चुनावी ‘वार्मिंग अप’ या अपनी भड़ास निकालने के लिए इस्तेमाल करने की नई परंपरा को बंद करना चाहिए।
नए सांसदों का दर्द और विपक्ष को नसीहत
पीएम मोदी ने संसद में नए और युवा सांसदों की स्थिति पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि विपक्ष के हंगामे के कारण सभी दलों के नए सांसद, जो पहली बार चुनकर आए हैं, बेहद दुखी और परेशान हैं। उन्हें सदन में अपनी बात रखने और अपने क्षेत्र की समस्याएं उठाने का मौका नहीं मिल रहा है। पीएम ने विपक्ष के वरिष्ठ नेताओं से अपील की कि वे अपनी हताशा में इन सांसदों के अधिकारों को न कुचलें और उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर दें।
‘ड्रामा नहीं, डिलीवरी चाहिए’
संसद में होने वाले हंगामे पर पीएम मोदी ने कड़े शब्दों में कहा कि “ड्रामा करने के लिए जगह बहुत होती है, यहां ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि नारे लगाने के लिए पूरा देश खाली पड़ा है, जहां हारकर आए हैं वहां बोलें या जहां हारने वाले हैं वहां बोलें, लेकिन सदन में नीति (Policy) पर बात होनी चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि राजनीति में थोड़ी-बहुत नेगेटिविटी चल सकती है, लेकिन राष्ट्र निर्माण (Nation Building) के लिए सकारात्मक सोच बहुत जरूरी है।
जीएसटी और राज्यसभा के नए सभापति
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने जीएसटी रिफॉर्म्स की भी चर्चा की और कहा कि इसने देशवासियों के मन में एक भरोसा पैदा किया है। उन्होंने बताया कि इस सत्र में भी आर्थिक सुधारों की दिशा में कई काम होने वाले हैं। इसके साथ ही, उन्होंने राज्यसभा के नए सभापति के कार्यकाल की शुरुआत पर उन्हें शुभकामनाएं दीं और उम्मीद जताई कि उनके मार्गदर्शन में उच्च सदन का काम सुचारू रूप से चलेगा।
जानें पूरा मामला
संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पारंपरिक रूप से मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान उनका पूरा फोकस विपक्ष के उस रवैये पर था, जिसमें अक्सर सत्र के दौरान हंगामा और व्यवधान देखने को मिलता है। पीएम मोदी ने हाल ही में हुए चुनावों (विशेषकर बिहार का जिक्र करते हुए) में विपक्ष की हार और उसके बाद की प्रतिक्रिया को आधार बनाकर यह नसीहत दी कि जनता के फैसले का सम्मान करते हुए संसद को सुचारू रूप से चलने देना चाहिए।
मुख्य बातें (Key Points)
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पीएम मोदी ने विपक्ष से कहा कि शीतकालीन सत्र को हार की बौखलाहट का मैदान न बनाएं।
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मोदी ने कहा कि वे विपक्ष को बेहतर प्रदर्शन करने के लिए ‘टिप्स’ देने को तैयार हैं।
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नए और युवा सांसदों को बोलने का मौका न मिलने पर पीएम ने जताई चिंता।
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विपक्ष को सख्त संदेश: संसद में ड्रामा नहीं, काम (डिलीवरी) होना चाहिए।
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नारे लगाने के बजाय नीतियों पर चर्चा करने की सलाह दी।






